बाँदा में होने वाली है पुरस्कारों की बारिश

बाँदा और बुन्देलखण्ड के लिए पुरस्कारों की बारिश एक बार फिर से होने वाली है। बारिश के मौसम में पुरस्कार की बारिश वाकई यहां के माहौल को और भी खुशनुमा बना देगी। दरअसल पानी के लिए काम कर चुके बाँदा के पूर्व जिलाधिकारी डाॅ. हीरालाल और बाँदा के जखनी गांव को पूरे देश में जल ग्राम का दर्जा दिलाकर इसको विश्वव्यापी पहचान दिलाने वाले उमाशंकर पाण्डेय को आने वाली 26 जुलाई को नई दिल्ली में ‘रजत की बूंदे’ राष्ट्रीय पुरस्कार देने की घोषणा हुई है।

बाँदा में होने वाली है पुरस्कारों की बारिश

नीर फाउंडेशन द्वारा दिया जाने वाला यह पुरस्कार जल एवं पर्यावरण के क्षेत्र में खास योगदान के लिए प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है। वर्तमान में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अपर निदेशक के पद पर लखनऊ में कार्यरत आईएएस डाॅ. हीरा लाल जब बाँदा के जिलाधिकारी हुआ करते थे, तब उन्होंने पानी और पर्यावरण के लिए बाँदा जनपद में कई अभियान चलाये। पारंपरिक जलस्रोतों के उन्नयन एवं पानी के प्रति जनजागरूकता फैलाने के उनके अभियानों का असर भी हुआ और लोगों में भी जल संरक्षण के प्रति चेतना जागृत हुई। उनके द्वारा चलाये गये वोटिंग अवेयरनेस अभियान 90+ को प्रधानमंत्री मोदी ने भी सराहा। इसके लिए उन्हें कई बार राष्ट्रीय मंचों में पुरस्कृत किया गया। अब इस बार उन्हें रजत की बूंदे नाम से राष्ट्रीय पुरस्कार देने की घोषणा जब नीर फाउन्डेशन ने की तो ये बाँदा और बुन्देलखण्ड के लिए गौरव की बात है।

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इसी तरह बाँदा के जखनी गांव को देश स्तर पर जल ग्राम का दर्जा दिलाने वाले सर्वोदयी समाजसेवी उमाशंकर पाण्डेय, जो स्वयं जखनी गांव के ही निवासी हैं, उनके द्वारा गांव वासियों में चेतना जागृत कर जल संरक्षण के लिए अभियान चलाया गया, जिसके परिणामस्वरूप गांव वालों के संयुक्त प्रयासों से जखनी आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ा। और जखनी के हर कुएं, तालाबों में लबालब पानी भी देखने को मिला। इसके बाद भी जखनी नहीं रूका और यहां के लोगों ने खेती-किसानी में भी रिकाॅर्ड उत्पादन कर देश की मीडिया का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया। इन सब कार्यो के संयोजन में उमाशंकर पाण्डेय के योगदान को देखते हुए नीर फाउन्डेशन ने उन्हें भी इस पुरस्कार के लिए चुना।

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इनके अलावा पर्यावरण, प्रदूषण एवं जल संकट जैसी समस्याओं के समाधान की दिशा में उल्लेखनीय योगदान के लिए नई दिल्ली दैनिक जागरण के अतुल पटेरिया, महाराष्ट्र की नीलम दीक्षित, पंजाब के संत बलबीर सिंह सींचेवाल, मध्य प्रदेश के शिव पूजन अवस्थी सहित राजस्थान के विनोद कुमार मेलाना को भी यह पुरस्कार दिया जा रहा है।

आईएएस डाॅ. हीरा लाल ने पुरस्कार के ऐलान के बाद बुन्देलखण्ड न्यूज से फोन पर बातचीत में कहा कि जिस प्रकार से वर्ष प्रतिवर्ष जल संकट गहराता जा रहा है, सतही व भू-जल प्रदूषित हो रहा है तथा छोटी व बरसाती नदियां प्रदूषण का शिकार हो चुकी हैं तथा मरणासन्न हैं, यह भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है। जल को संरक्षित करने, प्राकृतिक जल संरचनाओं को संवारने, प्रदूषण की समस्या से निजात दिलाने तथा नदियों को पुनर्जीवित करने के प्रयासों को और भी गतिशील बनाए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार ने इस दिशा में सराहनीय काम किए हैं, जिनमें से बुन्देलखण्ड के ‘हर घर में नल से जल’ जैसी योजना प्रमुख है।

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