बारिश न हुई तो बुन्देलखण्ड के बांध सूखे रह जाएंगे

मौसम विभाग के नक्शे में प्रदेश के सभी जिलों में पर्याप्त बारिश होने से अधिकांश हिस्सा हरा दिख रहा है, जबकि छतरपुर जिले में अल्पवर्षा होने से यह अंचल ऑरेंज दिखाई दे रहा है। इस लिहाज से जिले की केन, धसान, उर्मिल नदियों सहित कई सहायक नदियों में अभी पानी की और जरूरत है..

बारिश न हुई तो बुन्देलखण्ड के बांध सूखे रह जाएंगे

सिचांई के लिए किसानों को पानी भी मिलना असंभव

छतरपुर अब बारिश के लिए मुश्किल से 1 माह बचा है ,अभी तक पर्याप्त वर्षा न होने से छतरपुर जनपद के बांधों में पर्याप्त पानी नहीं आया है जो आया है उसका आधे से ज्यादा पानी बुंदेलखंड के अन्य जनपदों में चला जाएगा । अगर यूपी को पर्याप्त पानी न मिला वह पानी को लेकर मारामारी होगी।

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इस बार बारिश के बारे में जो पूर्वानुमान लगाए गए थे, वैसी बारिश अब तक नहीं हुई है। 1 जून से 25 अगस्त तक बारिश के लगभग ढाई माह बीत गए हैं। इसमें केवल 479.7 मिमी पानी बरसा है, जो जिले की कुल औसत बारिश से 595.2 मिमी कम है। गत वर्ष इसी ढाई माह में कुल 605.2 मिमी बारिश हो चुकी थी। इस बार अभी तक कुल बारिश गत वर्ष की तुलना में 125.3 मिमी कम हुई है। जिले की कुल औसत बारिश 1074.9 मिमी है।

मौसम विभाग के नक्शे में प्रदेश के सभी जिलों में पर्याप्त बारिश होने से अधिकांश हिस्सा हरा दिख रहा है, जबकि छतरपुर जिले में अल्पवर्षा होने से यह अंचल ऑरेंज दिखाई दे रहा है। इस लिहाज से जिले की केन, धसान, उर्मिल नदियों सहित कई सहायक नदियों में अभी पानी की और जरूरत है। किसानों को चिंता सता रही है कि यदि इस बार बारिश का यही हाल रहा और डैम ओवरफ्लो न हो पाए तो रबी सीजन में नहरों से तीन-चार पानी कैसे मिल सकेगा।

दरअसल ये तीनों डैम जिले के एक बड़े भू-भाग की फसलों के लिए जीवनदायी माने जाते हैं। इनका काफी हिस्सा अभी तक खाली पड़ा है। जो पानी आया है, उसका एक बड़ा हिस्सा एग्रीमेंट के हिसाब से यूपी को देना होगा। नतीजतन एमपी के हिस्से में पानी का जरा सा हिस्सा बचेगा। कई नदियों व नालों में तो अभी जलधारा ही नहीं बनी है। कई तालाब भी अभी भरने बाकी हैं। यदि बचे दिनों में बारिश का यही हाल रहा तो जिले में इस बार अल्पवर्षा किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर देगी।

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जिले में गंगऊ बांध, बरियारपुर बांध, उर्मिल बांध, लहचूरा बांध और सिंहपुर बांध हैं, जिनमें बारिश के मौसम में जमा होने वाली पानी से रबी मौसम में सिंचाई की जाती है। केन नदी पर बना गंगऊ बांध में सबसे अधिक बरसाती पानी जमा हुआ है। सितंबर के बाद पानी का भंडारण करने के लिए इसके गेट बंद कर दिए जाएंगे। इस बांध का पानी केन नदी पर बने बरियारपुर बांध में पहुंचाया जाता है। जिसकी जलभराव क्षमता लगभग 50 फीट है। इस बांध का काफी बड़ा हिस्सा रीता है। जानकारी के अनुसार अभी कुटने डैम में 53.13 प्रतिशत, रनगुवां डैम में 4.83 प्रतिशत और बनीसागर डैम 14.07 प्रतिशत पानी आया है, जो भराव क्षमता के हिसाब से कम है।

गंगऊ व बरियारपुर बांध में जितना पानी जमा होगा, उसका 67 प्रतिशत पानी उत्तर प्रदेश को सप्लाई कर दिया जाएगा। इसके बाद केवल 33 प्रतिशत पानी मप्र के छतरपुर जिले को मिलेगा। इस लिहाज से अभी इन बांधों में अभी और जलभराव जरूरी है। 

बांध का नाम-कुल भराव-वर्तमान भराव

1 कुटने बांध- 131.07- 69.64

2 रनगुंवा बांध- 155- 7.50

3 बेनीसागर बांध-26- 3.69

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