चित्रकूट के सीएमओ ने स्वीपर को बना दिया डाॅक्टर!

कोरोना में जहां पूरा देश बेहाल है, लगातार मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है तो वहीं चित्रकूट में भी मरीजों की संख्या दिन दूनी रात चैगुनी रफ्तार से बढ़ती जा रही हैं...

चित्रकूट के सीएमओ ने स्वीपर को बना दिया डाॅक्टर!
चित्रकूट के सीएमओ ने स्वीपर को बना दिया डाॅक्टर

चित्रकूट के सीएचसी में स्वीपर व चौकीदार करते है कोरोना की सैम्पलिंग

देश की सरकार बेचैन है, लगातार निर्देश दे रही है। नये नये नियम भी लागू किये जा रहे हैं, तो कभी लाॅकडाउन तो कभी अनलाॅक। कुल मिलाकर परिस्थिति को देखते हुए केन्द्र सरकार और राज्य सरकारें निर्णय ले रही हैं और जिला प्रशासन उन्हें लागू करा रहा है। पर ऐसी भी क्या समस्या आन पड़ी थी कि चित्रकूट के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने एक स्वीपर को ही डाॅक्टर, कम्पाउन्ड और लैब असिस्टेंट बना रखा है?

यूं तो आपने भी कई बार स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही मीडिया में पढ़ी व देखी होगी और हो सकता है कि आपने अपनी आंखों से भी देखा होगा कि कैसे सरकारी अस्पतालों में मरीजों की मलहम पट्टी एक स्वीपर/चैकीदार करता है। यानि जिसके पास इस बात की डिग्री/डिप्लोमा है, जिसे प्रशिक्षण मिला हुआ है, वो अपना काम किसी और से कराता है। उससे, जिसे साफ सफाई का काम दिया गया है। यानि अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़कर उन लोगों को वो महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंप दी जाती हैं, जिसके लिए उन्हें प्रशिक्षित नहीं किया गया है। क्या ऐसा सिस्टम बनाकर अस्पताल और समाज को और भी बीमार नहीं किया जा रहा?

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दरअसल मामला चित्रकूट जनपद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामनगर का है जहाँ कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में स्वास्थ्य विभाग द्वारा भारी लापरवाही की जा रही है। उस पर भी जब पूंछो तो सीएमओ साहब जवाब देने से कतरा रहे हैं। यहां कोरोना की सैम्पलिंग सफाईकर्मियों व चैकीदारों से करायी जाती है। वहीं  जिनके पास इस काम की जिम्मेदारी है, वो अपने एयर कंडीशंड कमरों से बाहर नहीं झांकने निकलते। बुन्देलखण्ड न्यूज के कैमरे ने जब कोरोना काल में ऐसी घोर लापरवाही फ्लैश चमकाया तो डाॅक्टर ही नहीं बल्कि सीएमओ साहब भी जवाब देने से कतराने लगे। सीएमओ साहब कट रहे हैं, बुन्देलखण्ड न्यूज से बात करने से। क्योंकि उनके पास कोई जवाब नहीं है, अपनी अकर्मण्यता को जगजाहिर होते देख उन्हें कोई जवाब भी नहीं सूझ रहा। कई बार प्रयास करने पर भी जब उनकी ओर से कोई रिस्पाॅन्स नहीं मिला तो बुन्देलखण्ड न्यूज ने चिकित्सा और स्वास्थ्य के अपर निदेशक डाॅ. आर.सी. गौतम से इस बावत बात की। तो उनका जवाब और भी चैंकाने वाला था।

चित्रकूट धाम मण्डल के अपर निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डाॅ. आर.सी. गौतम ने इस बावत पूंछे जाने पर बुन्देलखण्ड न्यूज संवाददाता से फोन पर बताया कि इस समय स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी है, इसीलिए हर किसी को इस हेतु प्रशिक्षित किया गया है। हालांकि रामनगर में हेल्प डेस्क बनाया गया है, सैम्पलिंग इत्यादि वहां पर नहीं की जा रही, बल्कि वहां केवल थर्मल स्क्रीनिंग ही की जा रही है।

लगता है कि चित्रकूट सीएमओ डाॅ. विनोद कुमार ने अपने ही अधिकारी को पूरे तथ्यों से अवगत नहीं कराया है तभी वह सही बात नहीं बता पा रहे। लेकिन अपर निदेशक डाॅ. गौतम की इस बात में भी गौर किया जाना चाहिये जिसमें वह हर किसी को प्रशिक्षण दिये जाने की बात करते हैं। क्या किसी का भी कोरोना जांच के लिए सैम्पल एक सफाईकर्मी भी ले सकता है? क्या उसे इस कार्य के लिए प्रशिक्षित किया गया है?

जब बुन्देलखण्ड न्यूज ने रामनगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर देखा तो हैरानी हुई कि यहां आने वाले लोगों की कोरोना जांच के लिए सैम्पलिंग में यहां के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी लगाये गये हैं। बाकायदा पीपीई किट पहनकर वो बड़े आराम से आये हुए लोगों का सैम्पल ले रहे हैं। यहां पर राहुल और रामप्रकाश नाम के सफाई कर्मचारी हैं जो पूंछे जाने पर कैमरे में स्वीकार करते हैं कि वो सीएचसी प्रभारी डाॅ. राजेश भारतीय के कहने पर यह काम कर रहे हैं। यह दोनों सफाई कर्मचारी प्रतिदिन मरीजों की कोरोना की टेस्टिंग कर रहे हैं। जब उनसे पूंछा गया कि यह काम तुम किसके कहने पर कर रहे हो तो इनमें से राहुल ने बताया कि हमें जो साहब जिम्मेदारी सौंपते हैं, उसे करते हैं। राहुल ने बताया कि अधीक्षक साहब डाॅ. राजेश जी ने टेस्टिंग का काम सौंपा है इसलिए हम काम करते हैं।

स्वास्थ्य विभाग की भारी लापरवाही के चलते चित्रकूट में बेहाल हैं लोग

बताया तो यह भी जाता है कि इनके द्वारा टेस्टिंग के दौरान कुछ मरीजों के नाक से खून आ गया था। फिर भी इन्हें काम से नहीं रोका गया। राहुल के मुताबिक वह पिछले 3 दिन से टेस्टिंग का काम कर रहा है और अब तक करीब 22 लोगों की टेस्टिंग कर चुका है। उसने यह भी बताया कि यहां लैब टेक्नीशियन और एलटी भी हैं लेकिन काम उनसे कराया जा रहा है।

जब डाॅ. राजेश से बात करनी चाही तो वो मामले की गम्भीरता को समझ कर वहां से टालमटोल करते हुए नौ दो ग्यारह हो गये। न तो सीएचसी प्रभारी डाॅ. राजेश बात करने को तैयार हैं, और न ही सीएमओ डाॅ. विनोद कुमार। अगर इनके हिसाब से सब सही चल रहा है तो क्यों बात करने से कट रहे हैं? उधर अपर निदेशक डाॅ. गौतम भी अपने अधीनस्थ अधिकारियों को टाइट रख पाने में नाकाम हुए हैं तभी तो उन्हें भी वो जानकारी नहीं है, जो उन्हें पल-पल मिलनी चाहिये थी। अरे साहब, ये कोरोना काल है, पूरा विश्व परेशान है इस भीषण बीमारी से। और आप इसे मजाक समझ रहे हैं। क्या इनका ये मजाक चित्रकूट की जनता पर भारी पड़ रहा है। इनकी लापरवाहियों से ही तो कहीं चित्रकूट में मरीजों की संख्या में वृद्धि तो नहीं हो रही?

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रामनगर सीएचसी के स्वीपर बताते हैं, कि यहां वो लोग ही कोरोना की सैम्पलिंग करते हैं, उन्हें प्रभारी अधीक्षक द्वारा कहा गया है। अब तक उन लोगों ने आधा सैकड़ा लोगों की सैम्पलिंग की है। जबकि इसी कारण कुछ लोगों का सैम्पल लेते समय उनकी नाक से खून तक निकल आया। क्योंकि जो जिसका काम नहीं है और उससे वह काम कराया जायेगा तो ऐसा ही होगा न। सीएचसी में नियुक्त एक आशा ने बताया कि सफाई कर्मियों से उन लोगों की सैम्पलिंग कराई गयी है, जिसमें जांच के वक्त नाक में पाइप डालने पर उनकी नाक से खून निकला था। उनके साथ की सभी आशाओं व आशा संगनियों की सैम्पलिंग भी इन्हीं सफाई कर्मियों ने की थी।

वहीं इस मामले को गम्भीरता से लेते हुए बाँदा चित्रकूट सांसद आर के सिंह पटेल कहते हैं, “सरकार कोरोना रूपी महामारी बीमारी को लेकर बहुत चिन्तित है। सरकार कोविड19 के तहत इस बीमारी से बचाव के लिए विभिन्न उपाय कर रही है। मुख्यमंत्री स्वयं कोरोना के जल्द खात्मे के लिए ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग करा रहे हैं और यदि ऐसे कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग कोई लापरवाही करता है तो सम्बंधित जिम्मेदारों पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी।”

हालांकि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ विनोद कुमार कैमरे के सामने बोलने से डरे और उन्होंने फोन पर ही बताया कि ऐसा मामला उनके संज्ञान में नहीं है। और उन्होंने अपनी परेशानी बताते हुए पल्ला झाड़ने की नाकाम कोशिश भी की कि कोविड-19 को लेकर वो बहुत व्यस्त चल रहे हैं। पर सीएमओ साहब ही यदि अपनी व्यस्तता बताने लगे तो फिर सभी अधिकारी डाॅक्टर भी अपनी मनमानी पर उतर आयेंगे और वही करेंगे जो अभी रामनगर सीएचसी में हो रहा है। यानि मरीजों के स्वास्थ्य के साथ घोर लापरवाही। ऐसे में मरीजों के साथ कभी भी कोई गम्भीर हादसा भी हो सकता है।

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