रोजगारपरक शिक्षा प्रारम्भिक कक्षाओं से ही देने का बनाया जाए प्रारूप : डॉ. दिनेश शर्मा

उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि एक ऐसा प्रारूप बनाया जाए जिसमें रोजगारपरक शिक्षा प्रारम्भिक कक्षाओं से ही विद्यार्थियों को दी जा सके। जिससे विद्यार्थी अपनी शिक्षा के दौरान ही रोजगार की जो संभावनाएं हैं उन्हें हासिल कर सकें...

रोजगारपरक शिक्षा प्रारम्भिक कक्षाओं से ही देने का बनाया जाए प्रारूप : डॉ. दिनेश शर्मा

लखनऊ,

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन को लेकर गठित टास्क फोर्स की बैठक आयोजित

उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि एक ऐसा प्रारूप बनाया जाए जिसमें रोजगारपरक शिक्षा प्रारम्भिक कक्षाओं से ही विद्यार्थियों को दी जा सके। जिससे विद्यार्थी अपनी शिक्षा के दौरान ही रोजगार की जो संभावनाएं हैं उन्हें हासिल कर सकें।

उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के पूरी तरह से क्रियान्वयन होने से लार्ड मैकाले की शिक्षा नीति का प्रभाव समाप्त हो जायेगा। अगले 20 वर्षों में हमारी शिक्षा का एक नया विजन इस शिक्षा नीति के माध्यम से दिखाई पड़ेगा।

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डॉ. दिनेश शर्मा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को समग्र रूप से प्रदेश के शिक्षण संस्थाओं में क्रियान्वयन करने के लिए गठित टास्क फोर्स की बैठक में गुरुवार को बोल रहे थे। बैठक में उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन किए जाने की दिशा में विभिन्न बिंदुओं पर विचार विमर्श किया गया। इस अवसर पर कमेटी के सदस्यों द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रदेश में क्रियान्वयन के संबंध में बहुमूल्य सुझाव भी दिए गए। 

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत तैयार किए जाने वाले शिक्षा के प्रारूप में यह भी तय किया जाएगा की शत-प्रतिशत नामांकन कैसे सुनिश्चित किया जाए। नई शिक्षा नीति के तहत प्रदेश में शिक्षा के प्रारूप को तैयार किए जाने के लिए गठित टास्क फोर्स में विभिन्न क्षेत्रों के विद्वजनों को शामिल किया गया है।

इस टास्क फोर्स का उद्देश्य भारत के परिप्रेक्ष में शिक्षा एवं स्टडी इन इंडिया ऐंड स्टे इन इंडिया के लक्ष्य को लेकर विचार करते हुए नई शिक्षा नीति के आधार पर प्रारूप  बनाना है। उपमुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन के संबंध में निर्देश दिया कि सभी संबंधित विभाग अपनी विभागीय स्टीयरिंग कमेटी बना लें। 

बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. सतीश चन्द्र द्विवेदी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 बहुत ही प्रासंगिक है।  छात्र शिक्षित होने के साथ-साथ रोजगार से जुडे़ इस पर ध्यान रखा जाना चाहिए।

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बेसिक शिक्षा विभाग एवं आईसीडीएस के मध्य समन्वय स्थापित करते हुए प्री- प्राइमरी के बच्चों की उच्च प्राथमिक स्तर तक शिक्षा के सार्वभौमीकरण की कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। बच्चों के त्रैमासिक परीक्षा के परिणाम के आधार पर एक करोड़ से अधिक छात्रों का 40 लर्निंग आउटकम्स पर उपलब्धि स्तर का डाटा उपलब्ध है। त्रिमासिक परीक्षा (सेट-2) के परिणामों पर आधारित छात्र रिपोट कार्ड समस्त छात्रों को प्रेषित किये जा चुके हैं।

प्रेरणा तकनीकी फ्रेमवर्क द्वारा विद्यालयों से रियल टाइम डाटा (अवस्थापना सुविधाएं लार्निग आउटकम्स क्लास रूम  प्रेक्टिसेज आदि पर आधारित) प्राप्त करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। शारदा कार्यक्रम के अन्तर्गत वर्ष 2019-20 में तीन लाख से अधिक आउट ऑफ स्कूल बच्चों को विद्यालयों में नामांकित कराया गया।.

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उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के उत्तर प्रदेश में क्रियान्वयन के लिए उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, प्राविधिक शिक्षा एवं व्यवसायिक शिक्षा तथा उच्च शिक्षा विभाग को सम्मिलित करते हुए 16 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। समिति द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 के समस्त पहलुओं पर निर्णय किया जाएगा तथा अंतर्विभागीय समन्वय स्थापित किया जाएगा। कमेटी की अगली बैठक आगामी 28 सितम्बर को होगी।

बैठक में समिति के अन्य सदस्यों में अध्यक्ष उत्तर प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद डॉ गिरीश चंद्र त्रिपाठी, अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा श्रीमती रेणुका कुमार, अपर मुख्य सचिव प्राविधिक शिक्षा एवं व्यवसायिक शिक्षा सुश्री एस राधा चौहान, अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा श्रीमती मोनिका एस गर्ग, अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा श्रीमती आराधना शुक्ला, कुलपति एपीजे अब्दुल कलाम विश्वविद्यालय लखनऊ डॉ0 विनय पाठक, पूर्व अध्यक्ष केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अशोक गांगुली, अध्यक्ष उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान वाचस्पति मिश्र, अंग्रेजी विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय डॉक्टर निशा पांडे, उर्दू विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय डॉक्टर अब्बास नैयर तथा महानिदेशक सर्व शिक्षा अभियान एवं सदस्य सचिव विजय किरण आनंद एवं अन्य उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार

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