जानिये, क्या हैं गिरफ्तार व्यक्ति के अधिकार

आजाद भारत के आजाद नागरिक को जब पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया जाता है तो उसके पास कौन-कौन से अधिकार होने चाहिये, जो उसे भारत का संविधान प्रदान करता है, इस बारे में चर्चा करने के लिए आज से बेहतर दिन और कोई नहीं हो सकता। इसीलिए विधिक शिक्षा दे रहा संत कृपाल सिंह विधि महाविद्यालय......

जानिये, क्या हैं गिरफ्तार व्यक्ति के अधिकार

देश की स्वतन्त्रता का पर्व है 15 अगस्त। यह राष्ट्रीय पर्व है, जो हमें बताता है कि इस दिन हमें सदियों की गुलामी से आजादी मिली थी। यानि यहां के आम नागरिक को सम्मान से जीने का अधिकार मिला था। इसी के बाद संविधान निर्माण की आवश्यकता महसूस हुई और संविधान निर्माण कर देश के आम नागरिकों को उनके कुछ मौलिक अधिकारों के साथ-साथ कई अन्य प्रकार के अधिकार और सुविधायें दिये गये। 

आजाद भारत के आजाद नागरिक को जब पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया जाता है तो उसके पास कौन-कौन से अधिकार होने चाहिये, जो उसे भारत का संविधान प्रदान करता है, इस बारे में चर्चा करने के लिए आज से बेहतर दिन और कोई नहीं हो सकता। इसीलिए विधिक शिक्षा दे रहा संत कृपाल सिंह विधि महाविद्यालय, बाँदा की वेबसाइट https://sksil.ac.in/blog/ में प्रकाशित यह आर्टिकल काफी हद तक आपकी जिज्ञासा को शान्त करेगा।

जानिये, क्या हैं गिरफ्तार व्यक्ति के अधिकार

जब किसी व्यक्ति को पुलिस द्वारा बिना वारन्ट के या वारन्ट के साथ गिरफ्तार किया जाता हैं तो ऐसे गिरफ्तार व्यक्ति को विधि तथा विभिन्न न्यायिक निर्णयों के माध्यम से अनेक अधिकार दिये गये हैं, जिसका उद्देश्य गिरफ्तारी तथा अपराधिक न्याय प्रशासन को और पारदर्शी बनाना हैं तथा गिरफ्तार व्यक्ति के मानवाधिकारों को सुरक्षा प्रदान करना हैं। गिरफ्तार व्यक्ति के प्राप्त अधिकारों को निम्न बिन्दुओं के तहत देख सकते हैं।

गिरफ्तारी के आधारों को जानने का अधिकार
दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-50 तथा भारतीय संविधान का अनुच्छेद-22 (1) यह अपेक्षा करते हैं कि प्रत्येक गिरफ्तार व्यक्ति को उसकी गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी उसकी गिरफ्तारी के समय दी जाय।

दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-55 (क) यह प्रावधानित करती है कि किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने वाला पुलिस अधिकारी, गिरफ्तारी की जानकारी गिरफ्तार व्यक्ति के मित्रों, नातेदारों, या अन्य व्यक्ति को देगा जिसे गिरफ्तार व्यक्ति द्वारा ऐसी जानकारी हेतु नामित किया जाय।

दण्ड प्रक्रिया संहिता कि धारा-50 (2) यह अपेक्षा करती है कि जब किसी व्यक्ति को किसी पुलिस अधिकारी द्वारा किसी अजामानती मामले से भिन्न किसी मामले में बिना वारन्ट के गिरफ्तार किया जाता है तो ऐसे गिरफ्तार करने वाले अधिकारी का यह कर्तव्य है कि ऐसे गिरफ्तार व्यक्ति को यह इत्तिला दे कि उसे जमानत पाने का अधिकार है।

दण्ड प्रक्रिया संहिता कि धारा-57 तथा संविधान का अनुच्छेद 22 (2) यह उपबन्ध करते हैं कि गिरफ्तार किये गये व्यक्ति को 24 घंटे से अधिक अवधि तक बिना मजिस्ट्रेट के आदेश के अभिरक्षा में नहीं रखा जाएगा।

दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-303 तथा संविधान का अनुच्छेद-22 दोनों गिरफ्तार व्यक्ति को यह अधिकार देते है कि वह अपने पसन्द के वकील से परामर्श ले सकें।

जब किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है जो निर्धन है, तो ऐसे गिरफ्तार व्यक्ति को निःशुल्क विधिक सहायता पाने का अधिकार है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि निर्धन व्यक्ति को निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान करना राज्य का अनुच्छेद-21 के तहत संवैधानिक बाध्यता हैं। प्रत्येक गिरफ्तार व्यक्ति को यह अधिकार है कि उसकी प्रार्थना पर उसकी शारीरिक परीक्षा किसी रजिस्टर्ड डाॅक्टर से कराई जाय (धारा-54 सी.आर.पी.सी.)

दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-49 गिरफ्तार व्यक्ति को यह अधिकार देती हैं कि उसके विरूद्ध उससे अधिक बल प्रयोग न किया जाय जो उसके निकल भागने से रोकने के लिए आवश्यक हैं।

डी.के. बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यदि कोई अधिकारी गिरफ्तार व्यक्ति को प्राप्त उपरोक्त अधिकारों की अपेक्षा का पालन नहीं करता है तो ऐसे अधिकारी विभागीय कार्यवाही किये जाने हेतु उत्तरदायी होंगे।

संत कृपाल सिंह विधि महाविद्यालय के प्रबन्धक  यश शिवहरे कहते हैं

आजाद देश के नागरिक हैं हम और देश का संविधान ही हमें यह अधिकार देता है कि हम अपने अधिकारों का प्रयोग करें, उनके बारे में जानें। तभी हम वास्तविक स्वतन्त्रता का अनुभव कर सकेंगे। सिर्फ देश की स्वतन्त्रता का उत्सव मना लेने से ही हम स्वतन्त्र नहीं हो जायेंगे बल्कि संविधान का अक्षरशः पालन करने और कराने के लिए प्रतिबद्धता ही हमें पूर्ण स्वतन्त्रता की ओर ले जायेगी।

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