अयोध्या में कार सेवा के लिए आधी रात को जेल से फरार हुई थी उमा भारती

फायर ब्रांड हिंदूवादी नेता साध्वी उमा भारती को पुलिस ने अस्थायी जेल पीडब्लूडी डाकबंगले में रखा था, जहां से उमा भारती पुलिस को आधी रात को चकमा देकर फरार हो गई थी...

अयोध्या में कार सेवा के लिए आधी रात को जेल से फरार हुई थी उमा भारती
Uma Bharti & Raj Kumar Shivhare

अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि में कार सेवा के लिए लाखों की तादाद में देश के कोने कोने से कारसेवक अयोध्या पहुंच रहे थे। जिन्हें रोकने के लिए पुलिस द्वारा गिरफ्तारी की जा रही थी। इन्ही कार सेवकों में शामिल थी फायर ब्रांड हिंदूवादी नेता साध्वी उमा भारती। जिन्हें पुलिस ने चित्रकूट में गिरफ्तार कर बांदा की अस्थाई जेल पीडब्लूडी डाक बंगले में रखा था। जहां से आधी रात को पुलिस को चकमा देकर उमा भारती फरार हो गई थी।

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साध्वी उमा भारती को जेल से भगाने में बजरंग दल के जिस नगर अध्यक्ष का योगदान था। उसी युवा कार्यकर्ता ने अपनी जुबानी उमा भारती के जेल से भागने की कहानी सुनाई। राजकुमार शिवहरे जो उस समय बजरंग दल के नगर अध्यक्ष थे। उन्होंने बताया कि 30 अक्टूबर 1990 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने अयोध्या में कार सेवा के लिए गए कारसेवकों पर गोली चलवा दी थी। जिसमें सैकड़ों कार्यकर्ता मारे गए थे। इधर लोगों में अयोध्या जाकर कार सेवा करने का  जोश बढ रहा था। अलग-अलग जगहों में अलग-अलग रास्तों से लोग अयोध्या पहुंच रहे थे, जिन्हें सरकार के आदेश पर गिरफ्तार किया जा रहा था। गिरफ्तार करके कारसेवकों को अस्थाई जिलों में रखा जा रहा था। इसी दौरान साध्वी उमा भारती व भाजपा की वरिष्ठ नेत्री विजय राजे सिंधिया को चित्रकूट में गिरफ्तार करके बांदा के पीडब्ल्यूडी डाक बंगले में रखा गया था, जिसे अस्थाई जेल का रूप दिया गया था। इनके साथ ही कई हजार कारसेवक गिरफ्तार करके राजकीय इंटर कॉलेज व अन्य स्थानों पर रखे गए थे।

उमा भारती ने सिर मुंडवाया

खुली जेल में अनिरुद्ध उमा भारती 31 अक्टूबर को सवेरे यहां के प्रसिद्ध महेश्वरी देवी मंदिर पहुंची और मंदिर के पास मौजूद कालका नाई को बुलाया और अपने बाल मुंडवाने की बात कही। नाई ने मंदिर परिसर में उनके बाल काट दिए। सिर मुंडवाने के बाद उन्होंने नाई से पूछा कि तुम्हारे बांदा में कोई ऐसा व्यक्ति है, जो मुझे अपनी कार से अयोध्या तक पहुंचा सके। इस पर नाई ने मेरा नाम सुझाया और बताया कि उसके पास नई कार भी है। इस पर उमा ने मुझे मंदिर परिसर में बुलाया।

मुलायम का पुतला फूंकने की थी तैयारी

राजकुमार शिवहरे बताते हैं कि उस समय मैं अपने 10-12 साथियों के साथ मुलायम सिंह यादव का पुतला बनवा रहा था ताकि गोली कांड के विरोध में उनका पुतला दहन किया जा सके। उधर पुलिस मेरी तलाश कर रही थी। जैसे ही हम लोगों ने पुतला दहन किया। वैसे ही मेरे पास संदेशा आया की उमाजी ने तुम्हें महेश्वरी देवी मंदिर में बुलाया है। मैं फौरन मंदिर पहुंचा, जहां मौजूद सुश्री उमा भारती ने मुझसे तमाम सवाल पूछे और कहा कि क्या तुम सुरक्षित मुझे अयोध्या तक पहुंचा सकते हो। राजकुमार ने बताया कि उस समय मुझमें उमंग और उत्साह था। मैंने तुरंत हामी भर दी और  मारुति वैन अपने घर से मंगवाई, जिसमे ड्राइवर नवल था। उनके साथ जाने से पहले मैंने कहा कि मुझे पुलिस ढूंढ रही है और मैं बाहर निकला तो मुझे गिरफ्तार कर लेगी। इस पर उन्होंने कहा कि तुम मेरे साथ रहो तुम्हें कोई पकड़ेगा नहीं। मैंने वैसा ही किया। उनके साथ मारुति वैन में बैठकर केन नदी पहुंचा। केन नदी के नाव घाट में उन्होंने स्नान किया और कपड़े चेंज करके डाक बंगले वापस आए। डाक बंगले में ही यहां से भागने की योजना तैयार की गई। शाम 5 बजे तक पूरी रणनीति तैयार हो जाने के बाद योजना को अंतिम रूप दिया गया।

वैन की पिछली सीट पर कंबल से ढककर निकाला

रात को लगभग 12 बजे डाक बंगले से भागने की योजना के तहत मैं ड्राइवर को लेकर डाक बंगला पहुंचा। बाहर पुलिस लगी हुई थी। पुलिस को बताया कि हम उमा जी को खाना देने आए है, इसके बाद डाक बंगले के पीछे की तरफ गाड़ी लगा दी गई और बाथरूम से बाहर की ओर खुलने वाले दरवाजे से उमा जी को मारुति वैन में लाया गया और पिछली सीट पर लेटा कर उन्हें कंबल से ढक दिया गया था ताकि किसी को शक न होने पाए। रात को 12 बजे उन्हें लेकर हम लोग डाक बंगले से बाहर निकले और जैजी चैराहे में वहां पहले से मौजूद उनके भाई स्वामी प्रसाद सिंह और विधायक सुरेंद्र प्रताप सिंह को गाड़ी में बैठाया। इसके बाद हम लोग आसानी से बांदा की सीमा से फरार हो गये।

भाइयों व पिता की गिरफ्तारी

इस घटना के बाद प्रशासन का गुस्सा मेरे परिवार पर टूट पड़ा। उस समय मेरे पिताजी रामसेवक शिवहरे आर एस एस के सक्रिय कार्यकर्ता थे। उन्हें गिरफ्तार करके चित्रकूट में रखा गया और इधर मेरे भाइयों को भी गिरफ्तार किया गया। घर की कुर्की की गई और मेरे खिलाफ संगीन मामलों में मुकदमा दर्ज हुआ। लेकिन उस समय मेरे अंदर युवा जोश ही था जिसके बदौलत न मैं और न मेरा परिवार पुलिस की प्रताड़ना से जरा भी भयभीत नहीं हुआ।

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