यमुना में नाव हादसे से प्रशासन ने नहीं लिया सबक, जान हथेली पर लेकर नाव में सफर करते हैं लोग

एक सप्ताह पहले उत्तर प्रदेश के जनपद बांदा से बह रही यमुना नदी के मरका घाट में सवारियों से भरी नाव पलट जाने से कई परिवारों..

यमुना में नाव हादसे से प्रशासन ने नहीं लिया सबक, जान हथेली पर लेकर नाव में सफर करते हैं लोग

बांदा, 

एक सप्ताह पहले उत्तर प्रदेश के जनपद बांदा से बह रही यमुना नदी के मरका घाट में सवारियों से भरी नाव पलट जाने से कई परिवारों के घर उजड़ गए। इसके बाद भी प्रशासन में कोई सबक नहीं लिया है। जिले की अन्य नदियों में अभी भी जान हथेली पर लेकर नदी के इस पार से उस पार जाने का सिलसिला जारी है। इसी जनपद में बागैन नदी भी है। जिसमें कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, फिर भी इसमें नावों से लोगों का आवागमन हो रहा है। अगर प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो कभी भी यमुना नदी की जैसी घटना इस नदी में भी हो सकती है ।

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जनपद की नरैनी तहसील अंतर्गत अतर्रा से खोही निकलकर मध्यप्रदेश के सतना तक हजारों लोग बागैन नदी के पथराघाट से नाव द्वारा नदी पार कर प्रतिदिन यात्रा करते हैं। केवटन पुरवा, दुटौहापुरवा, भटैया, पियार, कल्याणपुर, महुई, कुलसारी सुमत पुरवा, छितौनी आदि दो दर्जन से ज्यादा गांव की बागैन नदी के किनारे बसे हैं। यहां के लोगों का अतर्रा बांदा प्रतिदिन आवागमन लगा रहता है। इन सभी गांव के बागैन नदी के पथरा घाऊ से नाव द्वारा यात्रा कर नदी पार  करते हैं। आसपास के विद्यालयों में नियुक्त शिक्षक ज्यादातर अतर्रा में रहते हैं। जो प्रतिदिन अपनी मोटरसाइकिल नाव में रखकर पहले नदी पार करते हैं। इसके बाद स्कूल पहुंचते हैं।

ग्रामीणों ने कई बार बागैन नदी के पथरा घाट में पुल की मांग की है। किंतु जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों से इस बारे में सिर्फ आश्वासन मिले हैं। गांव के विनोद कुमार, रामाधार बताते हैं कि पिछले वर्ष सवारियों से भरी नाव इसी घाट में पलट गई थी। जिसमें कई लोग डूबते डूबते बचे थे। इस क्षेत्र के अक्सर विद्यालय इसलिए बंद रहते हैं, क्योंकि जिन विद्यालयों में महिला शिक्षिकाएं नियुक्त हैं। वे नाव में सफर करने से डरती हैं। इसलिए विद्यालय नहीं जाती हैं। नदी में डूबने के डर से लोग भी अपने छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल नहीं भेजते हैं। मरका की हृदय विदारक घटना के बाद बागैन नदी में नाव से यात्रा करने वाले लोगों में भारी दहशत व्याप्त है।

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दर्जनों गांव के विद्यालय बंद रहते हैं, स्वास्थ्य सुविधाएं गांव तक नहीं पहुंच पाती है। बीमार गांव में ही दम तोड़ देते हैं। इस बारे में एक विद्यालय के प्रधानाध्यापक बताते हैं कि मैं इस क्षेत्र में पिछले 8 वर्षों से स्कूल आता जाता हूं। इस दौरान नाव से सफर करने के दौरान कई बार डूबते डूबते बचा हूं फिर भी जान जोखिम में डालकर नाव में सफर करने के लिए मजबूर हूं।

वहीं सामाजिक कार्यकर्ता विद्या धाम समिति के मंत्री राजा भैया का कहना है कि संपर्क मार्ग के अभाव में इस क्षेत्र के लोग अपनी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। जहां पूरा देश अमृत महोत्सव बना रहा है। वहीं इस क्षेत्र के लोग सुविधाओं के नाम पर इसका विष पिए बैठे हैं। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि बागैन नदी के पथरा घाट में तत्काल पुल का निर्माण करा कर, इस क्षेत्र के लोगों को संपर्क मार्ग से जोड़ा जाए।

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