सारस पक्षी के प्राकृतिक आवास के संरक्षण का मामला, सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता सीमा पटनाहा ने केन्द्र तक पहुंचाया

ज़िले के जैतपुर में लगभग 800 एकड़ में फैले बेलासागर तालाब को सारस संरक्षण केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। यहां सारस को संरक्षित करने की सभी खूबियां मौजूद हैं। कभी...

सारस पक्षी के प्राकृतिक आवास के संरक्षण का मामला, सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता सीमा पटनाहा ने केन्द्र तक पहुंचाया

महोबा

ज़िले के जैतपुर में लगभग 800 एकड़ में फैले बेलासागर तालाब को सारस संरक्षण केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। यहां सारस को संरक्षित करने की सभी खूबियां मौजूद हैं। कभी शहरों के आसपास आसानी से दिखने वाला सारस अब कभी-कभार दिखाई देता है। उड़ान भरने में सबसे बड़े आकार के पक्षियों में शुमार सारस की कम होती तादाद और सिमटते आवास पर्यावरण प्रेमियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार की अधिवक्ता सीमा पटनाहा  सिंह ने सारस के प्राकृतिक आवास संरक्षण के लिए क्षेत्रवासियों की माँग का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार के समक्ष यह मामला रखा है।

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बताते चले कि महोबा ज़िले के जैतपुर में लगभग 800 एकड़ में फैले बेलासागर तालाब में पिछले कुछ सालों से सारस पक्षी की संख्या में लगातार वृद्धि देखने को मिली है, जहां पहले 2 -4 सारस देखने को मिलते थे अब वही इनकी संख्या दहाई में लगभग 16-17 के लगभग हो गई है। जैतपुर के क्षेत्रवासियों ने जिसमें छैमाई माता मंदिर न्यास है, मंदिर न्यास ने कुछ समय पहले जनप्रतिनिधियों से लिखित में राजकीय पक्षी सारस के प्राकृतिक आवास के संरक्षण के लिए पत्र लिखकर माँग रखी थी ।

उनके पत्र का संज्ञान सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार की अधिवक्ता ने लिया तथा इस संबंध में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार के कैबिनेट मंत्री भूपेन्द्र यादव को पत्र लिख कर क्षेत्रवासियो की माँग को रखा। अधिवक्ता सीमा पटनाहा सिंह से बात करने पर उन्होंने बताया की उनको मंदिर न्यास की तरफ़ से मई में पत्र मिला था, जिसे लेकर कैबिनेट सचिव वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार से दो बार मिलकर सारस पक्षी के संरक्षण के लिए बात भी कर चुकी हूं लेकिन कोई हल निकलता न देख मैने सीधे वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार के कैबिनेट मंत्री भूपेन्द्र यादव को पत्र लिख कर इस मामले से अवगत कराया है। 

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अब उम्मीद है कि सारस पक्षी के प्राकृतिक आवास के संरक्षण के लिए कोई रास्ता निकले, क्योंकि इसके पहले भी सीमा पटनाहा सिंह लगातार क्षेत्रवासियोे के लिये लगातार काम करती रही है। जिसमें ग्राम बिलवई में लगे क्रशर मानकों के विपरीत चल रहे थे। खेती और आवागमन में लोगों को दिक्कत हुई। अधिवक्ता सीमा ने उनका दर्द समझा और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनअल एनजीटी में किसानों की निःशुल्क पैरवी की। इसके बाद 2020 में छह अवैध क्रशरों पर 6.5 करोड़ का जुर्माना लगा। ग्राम दिसरापुर तालाब में माफिया के कब्जे के विरुद्ध भी उन्होंने लड़ाई लड़ी और इसमें भी पैरवी कर 100 मछुवारा समुदाय के परिवारों को उनका हक दिलाया और विस्थापन से बचाया। 

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अभी भी वह गरीबों पीड़ितों की निःशुल्क लड़ाई लड़ती हैं। किसानों की ज़मीन को अवैध स्टोन क्रशर वालों के क़ब्ज़े से मुक्त कराना हो या समय पर यूरिया खाद दोनों ज़िलों हमीरपुर- महोबा में आपूर्ति करना हो (2 ट्रेन यूरिया खाद की आपूर्ति कराई थी), सहकारी समितियों के चुनाव में सही तरीक़े से आरक्षण लागू करवाना हो या फिर क़ानून और व्यवस्था बनाने के लिये जब भी ज़रूरत हुई अधिवक्ता सीमा पटनाहा सिंह हमेशा क्षेत्रवासियो के काम के लिए खड़ी रही है।

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बहुत से क्षेत्रवासियो का मानना है की जो काम निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के थे जब वो नहीं करा पाये तब अधिवक्ता सीमा पटनाहा सिंह ने वह सभी काम कराये। आने वाले समय में क्षेत्रवासी एक पढ़ा लिखा व्यक्ति जो दिल्ली से हमीरपुर-महोबा क्षेत्र के काम करा दे ऐसे व्यक्ति को अपना जनप्रतिनिधि के रूप में देखना चाहते है, जिससे समूचे बुंदेलखंड का विकास संभव है।

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