रामजन्म भूमि के लिये हमीरपुर के तमाम कारसेवकों ने मुड़ाये थे सिर के बाल

पुलिस से बचने के लिये उमा भारती ने भी कराया था मुंडन, कारसेवकों के साथ हुई गिरफ्तार, कारसेवकों में आरएसएस व हिन्दु संगठन के तमाम लोगों पर पुलिस ने किया था अत्याचार, श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण की तारीख नजदीक आते ही कारसेवा करने वाले कारसेवकों में जश्न...

रामजन्म भूमि के लिये हमीरपुर के तमाम कारसेवकों ने मुड़ाये थे सिर के बाल

रामजन्म भूमि आन्दोलन में तीस साल पहले कारसेवा में जाने वाले कारसेवक अयोध्या अब श्रीराम के मंदिर के निर्माण की तारीख तय होने से खुशी से झूम उठे है। उमा भारती के सिर के बाल मुड़वाने पर हमीरपुर के भी तमाम कारसेवकों ने पुलिस से बचने के लिये मुंडन कराया था।

विश्व हिन्दु परिषद हमीरपुर के पूर्व जिला महामंत्री एवं आर्यसमाज के प्रधान राम बिहारी शुक्ला ने सोमवार को बताया कि अयोध्या में भगवान श्रीराम के लिये पूरे देश से कारसेवक अयोध्या पहुंचे थे। वर्ष 1990 के नवम्बर महीने के आखिरी सप्ताह में साध्वीं उमा भारती ने बुन्देलखण्ड के हमीरपुर महोबा, बांदा सहित पूरे इलाकों का दौरा किया था। उन्होंने पुलिस से बचने के लिये अपने सिर के बाल ही मुड़वा दिये थे। उन्हें देख तमाम कारसेवकों ने भी मुंडन कराकर कारसेवा के लिये अयोध्या कूच किया था लेकिन राम की नगरी पहुंचने से पहले ही सभी गिरफ्तार हो गये थे।

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आरएसएस के पूर्व जिला कार्यवाह अमर सिंह ने बताया कि सरस्वती शरण द्विवेदी, विजय पाण्डेय, घनश्याम भदौरिया, चन्द्रभान सिंह भदौरिया, वंशीधर सिंह सेंगर, राम बिहारी शुक्ला, श्याम सिंह, कुंवर बहादुर भौली, राधा किशन, श्रीमती अशोका पालीवाल सहित सैकड़ों की संख्या में कारसेवकों पर पुलिस ने अत्याचार किया था। आर्यसमाज के प्रधान ने बताया कि हमीरपुर के अलावा बांदा से भी बड़ी संख्या में कारसेवक अयोध्या के लिये रवाना हुये थे लेकिन रास्ते में सभी लोगों को पकड़कर बांदा के अस्थायी जेल भेजा गया था। उन्होंने बताया कि रात में बांदा के सीओ ने बजरंग स्कूल में बंद उमा भारती, लक्ष्मी शंकर, वंशीधर सेंगर, विजय पाण्डेय सहित तमाम कारसेवकों को बच्चों वाले स्कूल में शिफ्ट किया गया था। लोकतंत्र सेनानी देवी प्रसाद गुप्ता ने बताया कि वर्ष 1990 में अक्टूबर महीने में रामजन्म भूमि को लेकर आन्दोलन किया गया था जिसमें उन्हें भी सैकड़ों लोगों के साथ गिरफ्तार कर हमीरपुर जेल में बंद किया गया था।

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लोकतंत्र सेनानी ने बताया कि इस आन्दोलन को लेकर हर जिले में विद्यालयों को अस्थायी जेल बनाया गया था जहां महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों के कार्यकर्ताओं को रखा गया था। हमीरपुर के शिव सेना के प्रमुख नेता महंत रतन ब्रम्हचारी को भी अस्सी शिवसैनिकों के साथ कारसेवा करने से रोका गया था। उनके यहां छापे भी पड़े थे। शिवसेना का ये नेता यहां से किसी तरह बाराबंकी तक पहुंच गया था लेकिन वहां पुलिस ने सभी को हिरासत में लेकर अस्थायी जेल भेजा था। महंत रतन ब्रम्हचारी इस समय शिवसेना के प्रदेश उपप्रमुख है जो राममंदिर के निर्माण को लेकर खुश है।

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अस्थायी जेल से भागकर उमा भारती ने की थी कारसेवा आरएसएस के पूर्व जिला कार्यवाह अमर सिंह ने बताया कि हमीरपुर में कारसेवकों में जोश भरने आयी उमा भारती को गिरफ्तार कर बांदा में अस्थायी जेल में रखा गया था। उनके साथ यहां के भी तमाम कारसेवक रखे गये थे। उन्होंने बताया कि रात में सीओ ने स्थिति तनावपूर्ण होते देख उमा भारती, राजकुमार शिवहरे समेत तमाम लोगों को दूसरी अस्थायी जेल में शिफ्ट कराया था। उसी रात राजकुमार शिवहरे की मदद से उमा भारती अस्थायी जेल से भागकर कारसेवा की थी।

उन्होंने बताया कि कारसेवा करने वाले लक्ष्मी शंकर द्विवेदी, भवानी सिंह समेत तमाम कारसेवक अब इस दुनिया में नहीं है। तीस साल बाद अयोध्या में श्रीराम का भव्य मंदिर बनने का सपना अब पांच अगस्त को साकार होने से यहां कारसेवा करने वाले कारसेवकों में खुशी देखी जा रही है।

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