यूक्रेन में फंसे बांदा का एक और छात्र घर वापस लौटा, छात्रा के भी जल्दी लौटने की संभावना

हेमेंद्र सिंह फरवरी 2019 में एमबीबीएस पढ़ाई के लिए यूक्रेन गया था। छह माह पूर्व रक्षा बंधन में कुछ दिन के लिए आया था...

यूक्रेन में फंसे बांदा का एक और छात्र घर वापस लौटा, छात्रा के भी जल्दी लौटने की संभावना

रूस द्वारा यूक्रेन में हुए हमले के बाद वहां अध्ययन करने गए बांदा के 5 छात्र-छात्राओं में अब तक तीन की वापसी हो गई है जबकि एक छात्रा की आज या कल घर वापस लौटने की संभावना है। शुक्रवार को वापस लौटे हेमेंद्र सिंह घर में खुशी का माहौल है। बेटे को सही सलामत पाकर मां आंखों में आंसू बहने लगे। बेटे लौटने के बाद परिजनों ने सरकार का आभार व्यक्त किया है। 

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हेमेंद्र सिंह फरवरी 2019 में एमबीबीएस पढ़ाई के लिए यूक्रेन गया था। छह माह पूर्व रक्षा बंधन में कुछ दिन के लिए आया था। हेमेंद्र ने बताया कि वह खारकीव में बीएन कराजिन नेशनल यूनिवर्सिटी में पढ़ रहा है। युद्ध से पहले यूनिवर्सिटी ने मेल पर छात्र-छात्राओं को आगाह किया कि युद्ध हुआ तो प्रशासन या यूनिवर्सिटी जिम्मेदार नहीं होगी। साथ ही छात्र-छात्राओं को छिपने के स्थान भी बता दिए।

24 फरवरी को बम धमाके शुरू हो गए। खारकीव में स्थित अन्य यूनिवर्सिटियों में आफलाइन कक्षाएं बंद कर दी गईं। लेकिन हमारी यूनिवर्सिटी में ऐसा नहीं हुआ। 24 से 27 फरवरी तक मेट्रो रेलवे स्टेशन में पनाह ली। सिर्फ बिस्किट और नमकीन खाकर चार दिन बिताए। 28 को जान जोखिम में डालकर 5 किलोमीटर दूर स्थित वोकजाल रेलवे स्टेशन के लिए टैक्सी को 500 रुपये किराया देना पड़ा। पोलैंड बार्डर में पासपोर्ट जमा कराकर इंट्री मिली।

वहां भारतीय दूतावास कर्मियों ने बस से होटल पहुंचाया और खाने-पीने आदि की पूरी सुविधा दी। केंद्रीय मंत्री वीके सिंह भी वहां मौजूद थे। अगले दिन (3 मार्च) को प्राइवेट एअर लाइंस से दिल्ली आए। यहां भारत सरकार ने खाने-पीने की व्यवस्था की थी और प्रदेश सरकार ने चार पहिया वाहन से उसे शुक्रवार को घर तक पहुंचाया।  बेटे की सकुशल वापसी पर मां शकुंतला की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। घर का माहौल बदल गया।

बताते चलें कि सबसे पहले बबेरू क्षेत्र का आलोक चंद्रा घर वापस आ लौटा। उसके बाद नरैनी क्षेत्र का आशीष गुप्ता घर लौट आया है और शुक्रवार को हेमेंद्र सिंह की घर वापसी हो गई।  अगले एक  2 दिन में छावनी निवासी रफीक मंसूरी की बेटी अलीशा के भी घर लौटने की संभावना बढ़ गई है। वह भी यूक्रेन से बाहर निकल चुकी है।अलीशा यूक्रेन के कीव शहर में एमबीबीएस में प्रथम वर्ष की छात्रा है। युद्ध में वह भी फंस गई थी। वह हंगरी के बुडापेस्ट पहुंच गई है। वहां दिल्ली के लिए फ्लाइट का इंतजार कर रही है।

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