अर्जुन सहायक परियोजना भाजपा के लिए बुंदेलखंड में यूएसपी साबित हो सकती है..

महोबा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज 19 नवम्बर को बुंदेलखंड से उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों के लिए औपचारिक चुनाव प्रचार..

अर्जुन सहायक परियोजना भाजपा के लिए बुंदेलखंड में यूएसपी साबित हो सकती है..
अर्जुन सहायक परियोजना (Arjun Sahayak Project)

महोबा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज 19 नवम्बर को बुंदेलखंड से उत्तर प्रदेश के आगामी  विधानसभा चुनावों के लिए औपचारिक चुनाव प्रचार की शुरुआत करने जा रहे हैं। जिसमें उनके साथ उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री, राज्यपाल केंद्रीय व राज्यमंत्रियों के साथ भारतीय जनता पार्टी के बड़े छोटे नेताओ का कुनबा साथ होगा चुनावों की घोषणा के पहले प्रधानमंत्री के इस दौरे को उनका बुंदेलखंड का  आखिरी  स्वतंत्र दौरा माना जा रहा है।

क्योंकि इसके बाद चुनाव आयोग चुनाव तिथियों की घोषणा कर आचार संहिता लगा सकता है। जिसके बाद किसी भी राजनैतिक दल के लिये सीधे उपलब्धि के माध्यम से  जनता को सीधे लुभाने के रास्ते बंद हो जाते हैं । आचार सहिंता के बाद सभी योजनायें घोषणा पत्र में सिमट कर रह जाती हैं । प्रधानमंत्री के द्वारा वीरभूमि  बुंदेलखंड के दो प्रमुख नगरों को जनसभा करने के लिये चुना गया हैं।

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झांसी व महोबा बुंदेलखंड के दोनों ऐसे नगर हैं जिनकी पूर्वकालीन स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका रही है एवं अपनी अकूत खनिज सम्पदाओं से भी प्रदेश एवं देश को क्षेत्र ने सदैव आर्थिक मजबूती देते हुये प्रमुख नेतृत्व को अपनी ओर आकर्षित किया है इसके बावजूद बुन्देलखण्ड विकास के पथ पर फिर भी बदहाल रहा। सरकारों की उपेक्षा से आहत यहां के लोग आजादी के बाद से ही पृथक बुंदेलखंड राज्य की वकालत करते रहे हैं।

भीषण गरीबी , बेरोजगारी, सिंचाई , पेयजल , शिक्षा , बिजली , चिकित्सा , मनोरंजन व सड़कों जैसी मूलभूत सुविधाओं से विरक्त बुन्देलखण्ड से एक बड़े तबके का रोज़गार के लिये महानगरों की तरफ पलायन यहां का कडवा सच रहा है। जिसकी त्रासदी क्षेत्र में कोरोना काल मे भी देखने को मिली जब महानगरों से ठुकराये गये कामगार बेहतरी की उम्मीद में अपने घरों को लौटे की कुछ नहीं तो फिर से खेती एवं छोटे मोटे रोजगारों की दम पर जीवन यापन किया जा सके लेकिन यहां उन्हें मूलभूत सुविधाओं  शिक्षा, स्वास्थ्य ,रोज़गार का आभाव ही मिला जिसके फलस्वरूप उन्हें दुबारा फिर स्तिथि बदलने पर पारिवारिक बेहतरी के लिये महानगरों का ही रुख करना पड़ा ।  

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प्रदेश की योगी सरकार व केन्द्र की मोदी सरकार ने बुंदेलखंड में तमाम वांछित योजनाओं को अमली जामा पहनाकर उन्हें जमीन पर उतारने व कई योजनाओं व परियोजनाओं को हरी झंडी देकर बुंदेलखंड की सूरत बदलने की जो मुहिम शुरु की थी वह अब धरातल पर साकार होने लगी हैं।

अपनी ऐसी ही उपलब्धियों को गिनाने व पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बुंदेलखंड से चुनाव प्रचार की शुरुआत करने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मातृभूमि के लिए लड़ने वाले वीर योद्धा आल्हा- ऊदल व वीरांगना लक्ष्मीबाई की कर्मभूमि  झांसी से विकास व राष्ट्रवाद के मुद्दे पर विपक्ष को ललकारेंगे। यूपी व एमपी में बंटे होने के कारण बुंदेलखंड  का समुचित विकास  कभी हो ही नहीं पाया है।

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यूपी के बुंदेलखंड में विधानसभा की महज 19 सीटें हैं जो प्रदेश की 403 सीटों की संख्या की पांच फीसदी से भी कम हैं लेकिन सरकार बनाने व पूर्ण बहुमत हासिल करने में एक एक सीट का महत्व होता है। कांग्रेस के गढ़ होने के बाद भी बुंदेलखंड के मतदाता कभी किसी एक दल से बंध कर नहीं रहे। बीते तीन दशकों में यहां के मतदाताओं ने सपा , बसपा व भाजपा व कांग्रेस को अलग अलग समय पर बेहतरी की उम्मीद में नेतृत्व दिया। लेकिन 2017 के चुनाव में मतदाताओं ने भाजपा को सभी 19 सीटें जिताकर कांग्रेस के स्वर्ण काल के जनादेश को दोहरा दिया था।

लेकिन जनता को आशानुरूप क्षेत्रीय विकास न मिल पाया जिसकी दरकार थी, न बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिली न रोजगार का स्थायित्व मिला न देश विदेश की शिक्षा के मुकाबले बेहतर कुछ मिल पाया क्षेत्र का सबसे बड़ा क्रेशर उधोग भी उत्तरप्रदेश सरकार के नई नियमावली के आगे दम तोड़ रहा है जबकि उत्तरप्रदेश के मुकाबले इस उधोग ने बुन्देलखण्ड से लगे हुये मध्यप्रदेश में थोड़े ही समय मे प्रगति की नई कहानी लिखना शुरू कर दिया है, छोटे, मध्यमबर्ग एवं व्यापारियों की उपेक्षा के चलते एक बड़े तबके में असंतोष की लहर फैल रही है  जिसके परिणामस्वरूप भाजपा के लिए इस बार पिछला प्रदर्शन दोहराना उतना सहज नहीं नजर आ रहा है।

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इसलिए भाजपा बुंदेलखंड में विकास का कार्ड चल रही है। ताकि भाजपा अन्य दलों की सरकारों के समय में हुए कामों से अपनी तुलना करते हुए विकास के नाम पर वोट मांग अपने को सत्ता में काबिज कर सके। क्योंकि भाजपा के पास बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे , डिफेंस काॅरीडोर , प्रधानमंत्री आवास योजना , आयुष्मान भारत , उज्जवला योजना , निशुल्क अन्न वितरण समेत पेयजल व सिंचाई परियोजनाओं की जनसुविधा रूपी लम्बी फेहरिश्त है। सिंचाई व पेयजल यहां की सबसे विकट समस्या रही है।

दोनों मोर्चों पर भाजपा के पास बताने के लिए काफी कुछ है। 2655.35 करोड़ रुपए की लागत से बांधों को आपस में जोड़कर तैयार की गई अर्जुन सहायक परियोजना , 54.28 करोड़ की लागत से तैयार रतौली बांध परियोजना , 512.74 करोड़ की लागत से तैयार ललितपुर की भावनी बांध परियोजना एवं 18.24 करोड़ की लागत से तैयार हुई हमीरपुर की मसगांव चिल्ली स्प्रिंकलर सिंचाई परियोजनाओं के अलावा बहुत ही जल्दी नदियों को जोड़े जाने वाली केन- बेतवा नदी जोड़ो परियोजना पर काम शुरु होने वाला है।

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जो कि किसानों के लिए भागीरथी बनने जा रही है। अर्जुन सहायक परियोजना भाजपा के लिए बुंदेलखंड में यूएसपी साबित हो सकती है। क्योंकि इस योजना से बुंदेलखंड के महोबा , हमीरपुर व बांदा जिलों के 168 गांवों के लगभग दो लाख किसान परिवारों को इस परियोजना का सीधा लाभ मिलेगा। जबकि चार लाख लोगों को पेयजल सुविधा का लाभ हर घर नल हर घर जल योजना से मिलेगा। यह परियोजना इसलिए भी अनूठी है क्योंकि इसमें सभी बांधों को आपस में जोड़ दिया गया है।

पानी के अलावा बुंदेलखंड में सड़कों पर भी काफी काम हुआ है। बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे , झांसी - खजुराहो फोर लेन सड़क निर्माण भी बड़ी उपलब्धियां हैं जो भाजपा शासनकाल में जुड़ने जा रही हैं। प्रधानमंत्री तीसरी बार महोबा आ रहे हैं। प्रधानमंत्री की रैली को सफल बनाने के लिए सरकार एवं सरकारी तंत्र ने कोई कसर नहीं छोड़ी है क्योकि इसी के सहारे उनका भी राजनीतिक एवं प्रशासनिक भविष्य तय होगा।  

पीएम की रैली से पहले  कार्यक्रम की तैयारियों का जायजा लेने के लिए सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं दो दिन पहले महोबा व झांसी आए ताकि कोई कसर न रह जाए। भाजपा को लगातार दोबारा सत्ता में आना है तो ऐसे में बुंदेलखंड को साथ में लेकर चलना होगा यह पार्टी भी अच्छी तरह से जान चुकी है। चुनावों के तीन माह पहले होने जा रही रैली का असर जनता के बीच में कितना रहेगा यह कहना तो जल्दबाजी होगी लेकिन रैली के बाद पार्टी का संगठन जरूर सक्रिय हो जाएगा। पीएम की इस रैली के बाद बुंदेलखंड में सत्ता का संग्राम जोर पकड़ लेगा।

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