बुंदेलखंड के किसानों के लिए अब केले की खेती हुई आसान

कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय बांदा के वानिकी महाविद्यालय में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत पादप ऊत्तक संवर्धन..

बुंदेलखंड के किसानों के लिए अब केले की खेती हुई आसान

कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय बांदा के वानिकी महाविद्यालय में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत पादप ऊत्तक संवर्धन (टिशु कल्चर) प्रयोगशाला के माध्यम से बुंदेलखंड के किसानों के लिए केले की खेती आसान हो गई है। इसी प्रयोगशाला में विकसित की गई पौधों से बांदा के कई किसानों ने प्रयोग के तौर पर केले की खेती की, जिसमें किसानों को सफलता मिल गई। अब इस इलाके के किसान केले की खेती आसानी से करके आत्मनिर्भरता और आगे बढ़ सकते हैं।

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कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविधालय,बांदा के  वानिकी महाविधालय में  (टिशु कल्चर) प्रयोगशाला की स्थापना वर्ष 2020 मे की गयी थी। जिसका उददेश्य  बुंदेलखंड मे विलुप्त हो रहे पौधे की प्रजति को संरक्षित करना, गुणवत्ता युक्त पौधो को तैयार करना तथा यहाँ बेरोजगार युवको एवं महिलाओ को प्रशिक्षित कर उनको आत्मनिर्भर बनाना हैं।  इसी क्रम मे विश्वविद्यालय मे संचालित इस प्रयोगशाला मे वर्ष 2021 मे केले  के जी-9 किस्म का पौघा ऊतक संवर्घन विधि से तैयार किया गया है।

पौध तैयार करने को केले की जड़ का कायिक प्रवर्धन तथा उनका गुणन 8 बार किया गया। जिससे एक जड़ से तकरीबन 20-25 पौध तैयार हुए। तैयार सभी पौधे एक जैसे होते है और इसमें रोग लगने की भी संभावना कम होती है। विश्वविद्यालय मे प्रयोग की तौर मे  2021 में प्रयोगशाला मे तकरीबन 3500 से 4000 पौघे तैयार किये गये। तैयार पौधो को बांदा जिले के आसपास के क्षेत्र मे किसानो मे वितरित किया गया। वितरित किये गये पौधे बांदा के कैरी, पल्हरी, मुरवल गांव मे इच्छुक किसानो द्वारा पौध लिया गया।

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पादप ऊतक संवर्घन (टिशु कल्चर) प्रयोगशाला की प्रभारी सहायक प्रध्यापक डा. शालिनी पुरवार ने बताया कि कैरी गॉव के प्रगतिशील किसान चंद्रकिशोर पटेल ने प्रयोगशाला मे तैयार इस पौधो को अपने प्रक्षेत्र मे लगाये। श्री पटेल के अनुसार सभी केले के पौघो ने बहुत अच्छा परिणाम दिया है। उनके द्वारा लगये गए सभी पोघे लग गए तथा उनमे 12 महीने मे फल भी आ गये है। केले के एक-एक गुच्छ के लम्बाई तकरीबन डेढ़ मीटर है।

डा. पुरवार ने बताया कि स्थापित प्रयोगशाला ने भारत सरकार द्वारा निर्धारित किये गए उदेश्य की पूर्ति के लिये किया गया है। जिसमे प्रमुख रूप से किसानो की आय दोगुनी करने एवं किसानो को आत्म निर्भर बनाने मे कारगर हो रहा है। केले की फसल मुख्य रूप् से कैश क्राप के रूप् मे प्रचलित है। इसमे किसान केले की फल को सीधे अपने खेत से विपणन को बाजार भेज देता है। बहूत से क्षेत्रो में किसान के खेत पर व्यापारी आकर केले की फसल का उचित मूल्य दे जाते है।  उन्होने बताया कि इस प्रयोग शाला से चन्द्र प्रकाश ग्राम कैरी, शुभम पटेल एवं संजय कुमार ग्राम पलहरी, ब्रजेश कुमार अतरहट एवं अनिल कुमार मुरवल ने अपने प्रक्षेत्र पर केले की खेती सफलता पूर्वक की है। केले की ख्ेाती करने के इच्छुक किसान प्रयोगशाला प्रभारी के मो.न. 9473850596 / 8303408068 पर कार्य दिवस मे संपर्क स्थापित कर सकते है।

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