बांदाः धन उगाही के चक्कर में, निजी अस्पताल में प्रसूता की चली गई जान

 ग्रामीण क्षेत्रों में आशा बहू की तैनाती इस बात के लिए की जाती है कि वह गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पताल में ले जाकर सुरक्षित प्रसव कराए...

बांदाः धन उगाही के चक्कर में, निजी अस्पताल में प्रसूता की चली गई जान

 ग्रामीण क्षेत्रों में आशा बहू की तैनाती इस बात के लिए की जाती है कि वह गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पताल में ले जाकर सुरक्षित प्रसव कराए। लेकिन आशाएं धन के लालच में गर्भवती महिलाओं को निजी अस्पताल में ले जाती हैं। जहां तीमारदारों से मनमाना पैसा वसूल किया जाता है। इलाज के दौरान अगर मरीज की मौत हो जाए तो तीमारदारों को अस्पताल से धक्का मार कर भगा दिया जाता है। ऐसा ही एक मामला शहर के अहाना अस्पताल का प्रकाश में आया है। प्रसूता की मौत होने पर पति ने आशा और निजी अस्पताल की डॉक्टर को दोषी मानते हुए कार्रवाई की मांग की है।

यह भी पढ़ें -बांदाःदो माह तक मीट मांस की दुकानें न खोलने की, विहिप ने इस वजह से दी चेतावनी

देहात कोतवाली अंतर्गत ग्राम जौरही निवासी राजा विश्वकर्मा पुत्र दयाराम ने मंगलवार को पुलिस अधीक्षक बांदा से शिकायत की है। पीड़ित ने आरोप लगाते हुए बताया कि मेरी पत्नी अर्चना (28) के पेट में बच्चा था जिसे गांव की आशा बहू शशि शर्मा जांच के लिए जिला अस्पताल बांदा लेकर आती रही है। जब 1 जून 2023  को पत्नी को प्रसव पीड़ा होने लगी तो आशा इसे लेकर जिला अस्पताल आई, लेकिन इस दौरान हमें गुमराह करती रही। दर्द ज्यादा बढने पर मुझसे अहाना अस्पताल में मरीज को ले चलने की सलाह दी और कहा कि मेरी वहां के डॉक्टर से अच्छी पहचान है। तुम्हारी पत्नी की ठीक से डिलीवरी हो जाएगी। 

यह भी पढ़ें-बुन्देलखण्ड के रेलवे स्टेशनों पर लगेगा वीडियो सर्विलेंस सिस्टम, आपराधिक वारदातों में लगेगा अंकुश

आशा के कहने पर मैं पत्नी को लेकर अहाना अस्पताल आ गया। अहाना अस्पताल में पत्नी को 3 जून को सुबह भर्ती किया गया। जहां डॉक्टर ने बताया कि जच्चा बच्चा दोनों को खतरा है। आशा ने भी मेरे अंदर डर उत्पन्न किया और तत्काल ऑपरेशन के नाम पर 40000 रुपए जमा करने को कहां। साथ ही यह आश्वासन दिया की ऑपरेशन के बाद जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ रहेंगे, अन्यथा बच्चे को खतरा है। डॉक्टर की सलाह पर मैंने 40000 रुपए जमा करा दिया। डॉ सृष्टि सिंह की निगरानी में ऑपरेशन किया गया जिसमें बच्चे का जन्म हुआ। इसके बाद पत्नी की हालत बिगड़ने लगी तब जाकर ने 50000 रुपए और जमा करने को कहा गया। लेकिन मैंने कहा कि मैं गरीब हूं इतना पैसा खर्च नहीं कर सकता। इस पर कहा कि हम नहीं जानते, तुम चाहे जहां ले जाओ हम इलाज नहीं करेंगे। 4 जून 2000 23 को पत्नी की मृत्यु हो गई। इसके बाद अपने बचाव के लिए डॉक्टर ने मरीज को पर्चे में रेफर दिखाया, जबकि पत्नी की मौत अहाना अस्पताल में हो चुकी थी।

यह भी पढ़ें -दो सहेलियों में आपस में प्यार हो गया,दोनों घर से भाग गईं


मृतका के पति ने इस मामले में कोतवाली नगर पुलिस को रजिस्टर्ड डाक से शिकायत भेजी, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। मंगलवार को उसने पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर अपनी व्यथा सुनाई और आशा बहू शशि शर्मा व अहाना अस्पताल की डॉक्टर सृष्टि सिंह के खिलाफ जांच कर कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है।

What's Your Reaction?

like
0
dislike
0
love
0
funny
0
angry
0
sad
0
wow
0