बाँदा: उच्च न्यायालय ने यूपी सरकार से पौधरोपण पर खर्च का जिलेवार ब्यौरा मांगा 

बुंन्देलखण्ड में पौधरोपण, वन्यजीव एवं पर्यावरण संरक्षण के नाम पर 300 करोड़ के घोटालों..

बाँदा: उच्च न्यायालय ने यूपी सरकार से पौधरोपण पर खर्च का जिलेवार ब्यौरा मांगा 

पौधरोपण, वन्यजीव एवं पर्यावरण संरक्षण के नाम पर 300 करोड़ के घोटाला

बुंन्देलखण्ड में पौधरोपण, वन्यजीव एवं पर्यावरण संरक्षण के नाम पर 300 करोड़ के घोटालों पर उच्च न्यायालय अब तक खर्च किये गए पब्लिक फंड / सरकारी धनराशि का यूपी सरकार से रिकार्ड तलब किया।

प्रयागराज उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गोबिंद माथुर व जस्टिस सौरभ श्याम की मुख्य पीठ ने 13 जनवरी 2021 को आदेश दिया। जनहित याचिकाकर्ता पर्यावरण एवं सूचनाधिकार कार्यकर्ता आशीष सागर दीक्षित की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता धर्मपाल सिंह, सत्यव्रत त्रिपाठी,सिद्धार्थ निरंजन ने पीआईएल पर बहस की है। 15 फरवरी को पुनः सुनवाई होगी। 

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यह मसला यूपी बुंन्देलखण्ड के सात जनपदों में वनविभाग द्वारा पौधरोपण,वन समृद्धिकरण,  वन्यजीवों के संरक्षण से जुड़ा है। विगत सितंबर 2020 से इस मामले की पैरवी समाजसेवी आशीष सागर दीक्षित कर रहे हैं।  याचिकाकर्ता ने बताया कि उन्होंने सूचनाधिकार से सरकारी दस्तावेजों का संकलन का रिसर्च किया।

वहीं वर्ष 2011-12 में सीएजी की आडिट रिपोर्ट में बुंन्देलखण्ड विशेष पौधरोपण अभियान तत्कालीन बसपा सरकार के वक्त सात जनपदों में दस करोड़ पौधरोपण पर 40 करोड़ रुपये का घोटाला खुलासे होने पर सितंबर 2020 को मुख्य वन संरक्षक अनुश्रवण एवं मूल्यांकन इकाई लखनऊ को शिकायत की थी। मौजूदा आईएफएस अधिकारी पवन कुमार ने यह जांच बुंन्देलखण्ड जोन के मुख्य वन संरक्षक पीपी सिंह झाँसी को सौंप दी। 

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उल्लेखनीय हैं बिना जांच समिति गठित किये वन संरक्षक झाँसी ने यह जांच चित्रकूट डीएफओ कैलाश प्रकाश को दी और उन्होंने उप प्रभागीय वन अधिकारी आरके दीक्षित को बड़ी जांच देकर किनारा कर लिया।

जांच आठ माह तक लटकी रही और सूचनाधिकार से जवाब मांगने पर डीएफओ चित्रकूट ने बरगढ़ ब्लाक की वन रेंज देशाह में सात जनपद की जांच आख्या निपटा दी। इस मामले से आहत शिकायतकर्ता ने अपने शपथपत्र साक्ष्यों को उच्चन्यायालय प्रयागराज जाकर जनहित याचिका को पीआईएल में परिवर्तित कर रिट दाखिल की।  

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याचिका संख्या 874/2020 में बुंन्देलखण्ड परिक्षेत्र के अंदर एक दशक के दौरान 300 करोड़ के घोटाले और सीएजी की आडिट रिपोर्ट पर कार्यवाही न होने को आधार बनाया गया हैं। वहीं खासकर बाँदा के गिरते वनक्षेत्र 1.21ः सहित अन्य जनपदों के आरटीआई से जुटाए आंकड़े शामिल करके हर साल करोडों के पौधरोपण बावजूद हासिये में खड़े पर्यावरण के लिए वनविभाग को जिम्मेदार ठहराया गया हैं।

बतलाते चले पिछले सात वर्षों में यूपी के अंदर 54 करोड़ पौधरोपण हुआ है। वहीं चार विश्वरिकार्ड पौधरोपण की उपलब्धि पर बनाये गए है लेकिन नतीजा वही ढांक के तीन पात जैसा है। याचिकाकर्ता की गुहार पर इलाहाबाद मुख्य न्यायपीठ ने बीते 13 जनवरी को आदेश देकर उत्तरप्रदेश सरकार से पौधरोपण पर खर्च धनराशि व उपलब्धि का जिलेवार ब्यौरा मांगा लिया है।

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