बाँदा में बेसिक शिक्षकों की जान खतरे में

पूरे प्रदेश क्या पूरे देश में कोरोना के कारण जनजीवन थम गया था, तब उसे लाॅकडाउन कहा गया। यानि पूरे देश में हर जगह ताला लगा था...

बाँदा में बेसिक शिक्षकों की जान खतरे में

स्कूल, दफ्तर, दुकान, फैक्ट्री सब कुछ बंद। पर धीरे-धीरे अनलाॅक की बारी आई और अनलाॅक 1, 2, 3 और यहां तक कि अनलाॅक 4 भी शुरू हो गया। पूरे देश में काफी कुछ खुला पर नहीं खुले तो स्कूल। वजह थी कि बच्चों में कोरोना का संक्रमण न फैले। शासन ने चूंकि यही मंशा जाहिर की थी, लिहाजा आज तक बच्चों को स्कूलों से दूर ही रखा गया। आगे शासन जो भी आदेश पारित करेगा उसी के हिसाब से स्कूल में बच्चों के जाने की बात होगी। अब जब स्कूल ही बंद हैं तो शिक्षक क्या करेगा स्कूल जाकर?

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बाँदा के प्राथमिक शिक्षक संघ ने जिलाध्यक्ष आशुतोष त्रिपाठी के नेतृत्व में आज इसी समस्या को लेकर मुख्य सचिव को सम्बोधित एक ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। उनके साथ संघ के पदाधिकारी भी इस मौके पर उपस्थित रहे।

आशुतोष त्रिपाठी बताते हैं, "अनलाॅक 1 से लेकर अनलाॅक 4 तक शासन द्वारा कोविड-19 के सम्बंध में जो दिशा-निर्देश दिये गये, उनका उल्लंघन बेसिक शिक्षा विभाग ही कर रहा है। अधिकारियों द्वारा लगातार शिक्षकों को स्कूल बुलाया जा रहा है, जबकि वहां पर बच्चे तो हैं ही नहीं। ऐसे में शिक्षकों में भी कोरोना का संक्रमण फैल रहा है। ये हालात सिर्फ बांदा में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में हैं। कुछ शिक्षकों की तो इस कारण मृत्यु तक हो चुकी है और उन्हें बीमा की धनराशि भी नहीं मिली। जब कोरोना पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा और स्कूलों में बच्चे हैं नहीं तो फिर शिक्षकों को स्कूल क्यों बुलाया जा रहा है?"

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दरअसल सरकार ने अभी तक इस सम्बन्ध में कोई स्पष्ट गाइडलाइन जारी नहीं की है कि आखिर बच्चों के भविष्य का क्या होगा? प्राइवेट और बड़े स्कूलों के बच्चे तो किसी तरह से आॅनलाइन क्लास ज्वाइन कर पढ़ाई कर पा रहे हैं, पर उन सरकारी स्कूलों का क्या, जहां के बच्चों के पास तो खाने तक के पैसे नहीं होते, तो वो कैसे आॅनलाइन क्लास अटैंड करेंगे। प्रदेश के करोड़ों बच्चे अभी तक पढ़ाई से वंचित हैं। वो स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, ऐसे में खाली पड़े स्कूलों में केवल शिक्षक को बुला लेना किसी तुगलकी फरमान से कम है क्या? क्या शिक्षक कोरोना से बचा रह पायेगा। वो रोजाना किसी तरह टैम्पो-टैक्सी, बस इत्यादि में चढ़कर दूर-दराज के गांव में स्थित स्कूल पहुंचेगा तो क्या गारंटी है कि उसे कोरोना नहीं होगा? ऐसे में शासन की मंशा का क्या, जो अपने नागरिकों को कोरोना से बचाने की बात कर रही है? क्या ये मंशा केवल दिखावटी है?

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संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रजीत सिंह, संयुक्त मंत्री जय दीक्षित, भुवनेन्द्र यादव, राजेश द्विवेदी, हरवंश श्रीवास्तव, इंद्रजीत निषाद, राजेश तिवारी, राजवीर सिंह, छोटेबाबू प्रजापति, शिवबदन यादव, राजेश भारतीय, रामचन्द्र शिवहरे, शिवरतन प्रजापति, मुकुल मिश्रा, सुशील मिश्रा, अभय कश्यप, अतुल, विवेक आदि पदाधिकारियों ने डीएम आॅफिस पर पहुंच कर अपना आक्रोश व्यक्त किया।

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