बुन्देलखण्ड में भी पहुंचा ब्लैक फंगस, झांसी में पांच मरीज मेले

विश्वव्यापी कोरोना के कहर के बाद अब ब्लैक फंगस अपने पांव पसारने लगा है। गुरुवार को इस बीमारी के पांच नए संक्रमित सामने आए हैं..

बुन्देलखण्ड में भी पहुंचा ब्लैक फंगस, झांसी में पांच मरीज मेले
ब्लैक फंगस फाइल फोटो

दो का ऑपरेशन आज, पहले भी हो चुका है एक सफल ऑपरेशन 

विश्वव्यापी कोरोना के कहर के बाद अब ब्लैक फंगस अपने पांव पसारने लगा है। गुरुवार को इस बीमारी के पांच नए संक्रमित सामने आए हैं। इनमें से एक अभी संदिग्ध है। उसकी एमआरआई जांच होनी है, पर उसके अंदर लक्षण मौजूद है। वहीं, चार की जांच हो चुकी है और उनमें ब्लैक फंगस होने की पुष्टि हो गई है। इनमें से दो मरीजों का ऑपरेशन आज होने जा रहा है।

राहत भरी खबर यह है कि इस बीमारी के उपचार में प्रयुक्त होने वाले इंजेक्शन मेडिकल कॉलेज को उपलब्ध हो गए हैं और अधिक इंजेक्शन मंगाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए इंजेक्शन बनाने वाली कम्पनी को पत्र लिखा गया है। जल्द ही इसकी व्यवस्था हो जाएगी।

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कोरोना का कहर भले ही कमजोर हुआ हो, लेकिन अब ब्लैक फंगस कोहराम मचाने के लिए अपने पांव पसारने लगा है। मेडिकल काॅलेज में ब्लैक फंगस के बीते रोज पांच नए मरीज सामने आए हैं। हालांकि इससे पूर्व भी पांच मरीज मेडिकल काॅलेज आ चुके हैं। उनमें से दो की मौत हो चुकी है, जबकि एक का सफल ऑपरेशन किया जा चुका है। 

मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. जितेंद्र कुमार यादव ने बताया कि ब्लैक फंगस बीमारी से सम्बन्धित अभी 50 इंजेक्शन मिल गए हैं। पांच नए मरीज आए हैं। जिनमें से दो के ऑपरेशन की तैयारी कर ली गई है। यह ऑपरेशन गुरुवार को किए जा रहे हैं। प्रयास है कि सभी मरीजों की जान बचाई जा सके।

इंजेक्शन की उपलब्धता के लिए भरकस प्रयास किया जा रहा है। इसकी डिमांड बहुत कम होती है, इस वजह से यह इंजेक्शन मिलने में परेशानी आ रही है। उन्होंने बताया कि इंजेक्शन बनाने वाली कंपनी को पत्र लिखा गया है, जल्द ही इंजेक्शन की नियमित आपूर्ति शुरू हो जाएगी।

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अचार में लगने वाली फफूंद की तरह है ब्लैक फंगस

इस मामले में मेडिकल काॅलेज के प्राचार्य व कोविड के प्रभारी डॉ.एनएस सेंगर ने बताया कि ब्लैक फंगस पूरे वातावरण में भरी पड़ी है। हर व्यक्ति के अन्दर ब्लैक फंगस है। इसे ठीक ऐसे समझ सकते हैं कि जैसे अचार के घड़े को यदि खुला छोड़ दें तो उसमें फफूंदी लग जाती है।

ठीक वैसे जिन मरीजों को या तो लम्बे समय तक स्टेराॅयड्स दी जाती रही हों,पहले से ही सुगर या किसी अन्य बीमारी का मरीज हो। उसे यह रोग जल्दी पकड़ लेता है। इसकी दो तीन दवाएं हैं यदि समय रहते इसका इलाज किया जाए तो इसे ठीक किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जो दो लोगों की मौत हुई, उनका डायग्नोस देर में हो सका। और जब तक उपचार शुरु हुआ तब तक बीमारी ने जान ले ली।

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हि.स

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