बुंदेलखंड विश्वकोश- शोधार्थियों व विद्यार्थियों के लिए मील का पत्थर बनेगा

बुन्देलखण्ड समग्र विश्वकोश योजना के अंतर्गत आनलाईन परिसंवाद का आयोजन डॉ. चंद्रिका प्रसाद दीक्षित, बांदा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ....

बुंदेलखंड विश्वकोश- शोधार्थियों व विद्यार्थियों के लिए मील का पत्थर बनेगा
बुंदेलखंड विश्वकोश

बुन्देलखण्ड समग्र विश्वकोश योजना के अंतर्गत आनलाईन परिसंवाद का आयोजन डॉ. चंद्रिका प्रसाद दीक्षित, बांदा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ।जिसमें वक्ताओं ने बुंदेलखंड विश्व को को अद्भुत कृति बताते हुए कहा कि यह भविष्य में शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। 


 आनलाईन परिसंवाद में विषय प्रवर्तक- डॉ. श्यामसुंदर दुबे,हटा दमोह ने कहा कि विश्वकोश का उद्देश्य बुंदेलखंड की अस्मिता का प्रकाशन है। यह कार्य एक उदाहरण बनेगा। पं. हरि विष्णु अवस्थी ने अपने संदेश में कहा कि बुन्देलखण्ड के विकास के लिए हम सभी को एक जुट होकर प्रयास करना होगा। डॉ. के. एल. वर्मा ने कहा कि इस ऐतिहासिक धरती पर विश्व प्रसिद्ध साहित्यकारों, कवियों एवं लेखकों ने जन्म लिया है यह धरती वीरों की भूमि है।  वीरेंद्र निर्झर बुरहानपुर ने आशीर्वचन के रुप में दिया।आशीर्वाद देते हुए कहा यह योजना बहुत व्यापक है लोकोन्मुख होने का कार्य है । 

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डॉ. बाबूलाल द्विवेदी ने कहा कि बुन्देलखण्ड विश्व कोश अपने आप में एक अदभुत कृति होगी जो भविष्य में शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों के लिए लाभदायक होगा। वेविनार संयोजक पं. दीनदयाल उपाध्याय शासकीय महाविद्यालय, सागर की हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. सरोज गुप्ता ने बताया कि यह योजना 1941में ओरछा नरेश श्री वीरसिंहजू देव एवं डॉ बनारसी दास चतुर्वेदी द्वारा प्रारम्भ की गई थी जिसे अस्सी वर्ष बाद अपने सहयोगियों को साथ में लेकर समग्र बुंदेलखंड में मिशन के रुप प्रारंभ की है। सचिन चतुर्वेदी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए सहयोग की अपील की।


 डॉ ब्रजेश श्रीवास्तव ने बुंदेलखंड विश्वकोश योजना की रुपरेखा प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि डॉ. चंद्रिका प्रसाद दीक्षित ने कहा कि आज के इस ऐतिहासिक कार्यक्रम से लग रहा है कि बुंदेलखंड में ज्ञान का एक सागर उमड़ पड़ा है। उन्होंने कहा कि साहित्य कला और विज्ञान के प्रति समर्पण का भाव आते हुए हम सभी को बुंदेलखंड विश्वकोश समग्र योजना का विकास करना चाहिए।

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विनोद मिश्र जी, दतिया एवं डॉ बहादुर सिंह परमार ने भाषा व साहित्य पर विचार व्यक्त किए। डॉ नागेश दुबे ने पुरातत्व समिति की उप-समितियों को विस्तार से बताया। इतिहास समिति के विस्तार पर डा ब्रजेश श्रीवास्तव ने प्रकाश डाला। भूगोल समिति के गठन व कार्य के विभाजन की बात डॉ सुनील विश्वकर्मा ने की। डॉ सी डी आठ्या  ने बुंदेलखंड में वनस्पतियों व वृक्षों की विशेषताओं को बताया। बुंदेलखंड के रंगमंचों पर जी एस रंजन ने प्रकाश डाला। डॉ स्वीटी मिश्रा ने बुंदेलखंड के गणितज्ञों की सूची बनाने की बात कही।


डॉ एस आर गुप्ता ने पर्यावरण के क्षेत्र में अपनी टीम का परिचय दिया। डॉ कीर्ति पटैल ने बुंदेलखंड में पारम्परिक देशी आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति पर चर्चा की। बुन्देलखण्ड संस्कृत का गढ़ है डॉ शशि कुमार सिंह  ने वेदव्यास,नारद के पुत्र सनत कुमार वृहस्पति आश्रम व अत्रि अनुसुइया के योगदान को बताया। प्रदीप तिवारी ने पर्यटन एवं अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। डॉ अश्विनी दुबे, डॉ सुनील कुमार डा प्रदीप दुबे श्री अनिल सरावगी, डॉ संगीता सुहाने सहित बड़ी संख्या में बुंदेलखंड वासियों ने सहभागिता की तथा सम्बोधित किया।

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