सूखा, पलायन और बेरोजगारी का दंश झेलने वाले बुन्देलखण्ड में, अनाज का भरपूर उत्पादन

यह वही बुंदेलखंड है जहां कभी मालगाड़ी से पानी आया था...

सूखा, पलायन और बेरोजगारी का दंश झेलने वाले बुन्देलखण्ड में, अनाज का भरपूर उत्पादन
सांकेतिक फ़ोटो - सोशल मीडिया

बांदा, यह वही बुंदेलखंड है जहां कभी मालगाड़ी से पानी आया था। साल दर साल सूखा पड़ने से किसान कर्ज और मर्ज से परेशान होकर आत्महत्या को मजबूर होते थे। लेकिन अब इसी बुंदेलखंड में अनाज उत्पादन के जो आंकड़े आए हैं। वह चौंकाने वाले हैं। बुंदेलखंड के सातों जनपदों में अनाज का भरपूर उत्पादन हो रहा है।

यह भी पढ़े : कोहरे में सुरक्षित बस संचालन को लेकर परिवहन निगम के अधिकारियों को निर्देश जारी

बुंदेलखंड में एक दशक पहले तक पानी का संकट था। बार-बार सूखा पड़ने से किसानों की फसल चौपट हो जाती थी। फसल खराब होने पर किसान कर्ज लेने को मजबूर होते थे। कर्ज न अदा करने पर आत्महत्या को मजबूर होते थे। इधर कई वर्षों से पर्याप्त बारिश होने से बुंदेलखंड में अनाज का भरपूर उत्पादन हो रहा है यही वजह है कि पहले की तुलना में गैर प्रांतों में किसानों के पलायन में कमी आई है। इधर खेत का पानी खेत में और मेंड़बंदी के कारण फसल उत्पादन में लगातार इजाफा हो रहा है।

यह भी पढ़े : बुंदेलखंड में टूरिज्म गतिविधियों बढ़ाने पर योगी सरकार का फोकस

इस साल 15 जून 2023 तक उत्तर प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 240000 मेट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई। इनमें से बुंदेलखंड के सात जनपदों ने अकेले 75,270 मेट्रिक टन गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचा। इसमें चित्रकूट मंडल के किसानों ने 41076 मेट्रिक टन गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य पर प्रदेश सरकार को बेचा जो प्रदेश में पहले स्थान पर रहा। वही झांसी मंडल के तीन जनपदों ने 34194 मेट्रिक टन गेहूं विक्रय किया। गेहूं बेचने में झांसी प्रदेश में दूसरे स्थान पर रहा। इस तरह से देखा जाए तो उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों से बेहतर बुंदेलखंड के सात जनपदों में अनाज का उत्पादन हुआ या फिर बुंदेलखंड के किसानों से अधिक उत्तर प्रदेश के अन्य किसी जनपद में अनाज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं बेचा है।

यह भी पढ़े : बुंदेलखंड सांस्कृतिक यात्रा में घूमर नृत्य ने मन मोहा

जल विहीन कहे जाने वाले चित्रकूट मंडल में बढ़ते अनाज का उत्पादन खेतों में मेडबंदी जैसे अभियान को माना जा रहा है। पिछले 10 वर्षों से किसान अपने खेतों में पानी रोक रहे हैं खेत पर मेड, मेड पर पेड़ जैसे परंपरागत तरीके अपना कर खेत और गांव को पानीदार बना रहे हैं।

यह भी पढ़े : यूपी के साथ डिफेंस एंड स्पेस सहित विभिन्न सेक्टर में साझेदारी के लिए बेल्जियम तैयार

इस अभियान के जनक पदमश्री उमाशंकर पांडे बताते हैं कि मेड बंदी जैसे परंपरागत तरीके अपनाकर किसान अपने खेतों में उपज बढ़ाने पर कामयाब हो रहे हैं। पिछले दिनों जिला प्रशासन बांदा की ओर से 10000 से अधिक किसानों के खेतों पर मेड़बंदी कराई गई। इसी तरह पचीस हजार से अधिक किसानों ने अपने हाथों से खेतों पर मेड बंदी करके वर्षा की बूंद को रोका, जिसका नतीजा सामने है।

What's Your Reaction?

like
0
dislike
0
love
0
funny
0
angry
0
sad
0
wow
0