सांस्कृतिक धरोहर वाले बुंदेलखंड को पर्यटन क्षेत्र में अब मिलेगी नई रफ्तार, 31 दुर्गों का होगा जीर्णाेद्धार

ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के बुंदेलखंड में अनेक स्थल उपेक्षित हैं। अगर इनका समुचित विकास हो जाए तो क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा..

सांस्कृतिक धरोहर वाले बुंदेलखंड को पर्यटन क्षेत्र में अब मिलेगी नई रफ्तार, 31 दुर्गों का होगा जीर्णाेद्धार

बांदा, 

ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के बुंदेलखंड में अनेक स्थल उपेक्षित हैं। अगर इनका समुचित विकास हो जाए तो क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा साथ ही रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इसी बात को संज्ञान में लेते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुंदेलखंड के ऐतिहासिक धार्मिक महत्त्व के स्थलों का कायाकल्प कराने का निर्णय लिया है। इनमें बांदा का कालिंजर दुर्ग भी शामिल है। इसके अलावा बुंदेलखंड के 31 दुर्गाे का भी जीर्णाेद्धार कराने की योजना है। मुख्यमंत्री की इस नई पहल पर क्षेत्रीय लोगों ने खुशी जाहिर की है।

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बुंदेलखंड का पूरा क्षेत्र ऐतिहासिक धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर से संपन्न है। इस क्षेत्र में बांदा, झांसी, जालौन, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा और चित्रकूट में अनेक स्थान ऐसे हैं। जो ऐतिहासिक गाथाओं को संजोए वीरता का बखान करते हैं। सरकार चाहती है कि इन स्मृतियों को आने वाली पीढ़ियां याद करें। इसी वजह से सरकार ने सांस्कृतिक धरोहर वाले बुंदेलखंड में पर्यटन विकास के लिए खास ठोस कार्ययोजना बनाने का निर्णय लिया है।

योजना के तहत झांसी का बरुआसागर किला, टहरौली किला, दिगारा की गढ़ी, चिरगांव का किला, लोहागढ़ का किला, चंपत राय का महल, रघुनाथ राव का महल, महिपाल का निवास ,मड़वारा के किले, सौरई के किले और देश विदेश में चर्चित कालिंजर किले का विकास कराने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए सरकार ने दुर्गों के जीर्णाेद्धार के साथ टूरिज्म की संभावनाओं को आकार देने के लिए प्रोफेशनल एजेंसी द्वारा अध्ययन कराने के निर्देश दिए हैं। इन स्थलों के आसपास हेरीटेज होटल बनाने का बनाने की योजना है। कालिंजर का किला 542 हेक्टेयर के विशाल पर क्षेत्र में फैला है। यहां निजी क्षेत्र की सहभागिता से लाइट एंड साउंड शो, कैंपिंग से किंग ट्रैकिंग,रॉक क्लाइमिंग और फसाड़ लाइटिंग का कार्य कराने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही किले पर नाइट गकेजिंग तथा नेचर ट्रेल की गतिविधियों को भी शुरू करने को कहा गया है।

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बतातें चलें कि जिला मुख्यालय से करीब 60 किमी. दूर स्थित कालिंजर दुर्ग जनपद व मध्यप्रदेश की सीमा के पास स्थित है। दुर्ग को पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए पिछले काफी दिनों से मांग चल रही है। दुर्ग के धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व के स्थलों तथा प्राकृतिक रमणीयता को देखने के लिए जनपद ही नहीं प्रदेश के बाहरी हिस्सों के पर्यटक भी पहुंचते हैं। दुर्ग में भगवान नीलकंठ का भव्य स्थल है। साथ ही बड़ी संख्या में ऐतिहासिक इमारतें बनी हैं। किले तक पहुंचने के लिए काफी पहले मार्ग का निर्माण कराया जा चुका है। लेकिन अभी भी विकास के बहुत से कार्य कराया जाना शेष है।

बुंदेलखंड टूरिज्म के संस्थापक श्याम जी निगम का कहना है कि दुर्ग व आसपास के क्षेत्र को पर्यटन के रूप में विकसित किये जाने से जहां कालिंजर में पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी। वहीं रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। साथ ही क्षेत्र के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। आरटीआई एक्टिविस्ट व समाजसेवी कुलदीप शुक्ला का कहना है कि बुंदेलखंड के दुर्गाे को पर्यटन के रूप में विकसित किये जाने की सरकार की घोषणा सराहनीय पहल है। पर्यटन के रूप में विकसित किये जाने के बाद क्षेत्र के विकास के रास्ते खुल जायेंगे।

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