ब्लैंक फंगस से डरे नहीं, सावधान रहने की जरूरत

जनपद व प्रदेश अभी कोरोना जैसी महामारी से उबर नहीं पाया कि ब्लैंक फंगस भी अपना पांव पसारना शुरू कर दिया है..

ब्लैंक फंगस से डरे नहीं, सावधान रहने की जरूरत
ब्लैक फंगस फाइल फोटो

जनपद व प्रदेश अभी कोरोना जैसी महामारी से उबर नहीं पाया कि ब्लैंक फंगस भी अपना पांव पसारना शुरू कर दिया है। यह बीमारी कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा है। फिर भी इससे डरने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि सावधानियों को ध्यान में रखकर इससे बचा जा सकता है। कोरोना महामारी की तरह इससे बचने के लिए सावधानी ही जरूरी है।

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी व अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा.नीलेश श्रीवास्तव ने बताया कि ब्लैक फंगस की रोकथाम के लिए नेत्र रोग व नाक, कान व गला रोग विशेषज्ञ से मरीज उचित परामर्श लें। ब्लैक फंगस अनियंत्रित शुगर के मरीजों में ज्यादा होने की संम्भावना है। इसलिए यह सबसे जरूरी है कि शुगर जिन मरीजों में अनियंत्रित रहता है उसे नियंत्रण में रखें। वहीं जो लोग कोविड से संक्रमित हो चुके हैं वे अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर डाक्टर से परामर्श अवश्य लें। जिन लोगों को ऑक्सिजन का सहारा लेना पड़ रहा है। वह प्रतिदिन रेग्यूलेटर में लगे पानी को अवश्य बदलें।

मुख्य चिकित्साधिकारी डा.प्रभुदयाल गुप्ता ऑनलाइन प्रशिक्षण के दौरान प्रभारी चिकित्साधिकारियों व स्वास्थ्यकर्मियों को बताया कि ब्लैंक फंगस एक फगल इंफेक्शन है। यह शरीर में बहुत तेजी के साथ फैलता है। इसका असर नाक, आंख, दिमाग, फेफड़े या स्किन पर भी हो सकता है। इस बीमारी में लोगों के आंखों की रोशनी भी जा सकती है। इसके बावजूद फंगस दिमाग तक पहुंच जाये तो मरीज की मृत्यु भी हो सकती है।

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  • ब्लैंक फंगस के प्रमुख लक्षण

नाक में कालापन होना, आंखों के आस-पास कालापन होना, चेहरे पर सूजन आना, आंखों का घूमना कम हो जाना, दो-दो चीजें दिखाई देना, आंखों का बाहर की ओर निकलना, दिखना बन्द हो जाना, खड़े-खड़े गिर जाना प्रमुख लक्षण पाये गये हैं।

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  • बीमारी से बचाव के तरीके

ब्लड शुगर को पूर्णत नियंत्रण में रखना, कोविड के मरीजों को ऑक्सीजन देते समय पानी रोजाना बदलते रहे। जो कोविड रोगी अधिक जोखिम वाले हैं, उनके नाक हमेशा धोते रहे। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।

ब्लड ग्लूकोज स्तर को बराबर जांचते रहे और इसे नियंत्रित रखें। लक्षण दिखते ही जल्द से जल्द चिकित्सक से परामर्श लें। मुंह को सूखा न होने दें, नेबुलाइजेशन या भाप के बाद पानी से मुंह पानी लेकर कुल्ला करें। मास्क का इस्तेमाल फंगस से भी बचाने का काम करेगा।

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हि.स

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