बाँदा : कोरोना और मंहगाई की मार का असर राखियों मे महिलाएं खरीद रहीं हैं सस्ती राखियां

बहन-भाई का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन 22 अगस्त को मनाया जाएगा। इसके लिए बाजारों में खरीदारों की अच्छी खासी भीड़ नजर आ रही है..

बाँदा : कोरोना और मंहगाई की मार का असर राखियों मे महिलाएं खरीद रहीं हैं सस्ती राखियां
सस्ती राखियां ( cheap rakhis )

बहन-भाई का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन 22 अगस्त को मनाया जाएगा। इसके लिए बाजारों में खरीदारों की अच्छी खासी भीड़ नजर आ रही है। राखी के त्योहार को देखते हुए अभी से ही खरीदारी शुरू हो गई हैं। लेकिन कोरोना और मंहगाई की मार का असर  इस साल भी राखियों में दिखाई पड रहा है।

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रक्षाबन्धन के आते ही बाजारों में एक से बढ़कर एक राखियों की दुकान सज गई है। इस बार बाजार में राखियां तो महंगी से लेकर सस्ती तक बिक रही हैं। बावजूद इसके हर बहिन यह सोचकर राखियों की खरीद में जुटी है कि भाई की कलाई पर उसका प्यार राखी के रूप में सज सके।

सस्ती राखियां ( cheap rakhis )

एक जमाना था जब मात्र सूत के धागे की ही राखियां बांधी जाती थी, पर समय के बदलाव के साथ यह रस्म भी जमाने के साथ बदल गई है। शहर के बाजार में अलग अलग स्थानों में राखियों की दुकानें सज गई हैं। मनपसंद राखियों की खरीद के लिए दुकानों पर महिलाओं व युवतियों की भीड़ उमड़ रही है।  बहनें मनपसंद राखियां खरीदने में जुटी हैं। जिससे भाईयों को बहनों का प्यार समय पर मिल सके।

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इस साल भी कोरोना महामारी व महंगाई का असर राखियों पर भी देखने को मिल रहा है। दुकानदार बच्चा गुप्ता के मुताबिक 15 से 20 फीसदी तक राखियों की कीमत में बढ़ोतरी हुई है। इसके बावजूूद बहनें प्यार व सौहार्द के पर्व का कोई मौका हाथ से नहीं खोने देना चाहती। दुकानदारांे के मुतािबक बाजार मंे 20 रूपये से पांच सौ रुपये तक की राखियां उपलब्ध है। इनमें डोरेमन, बाहुबली, चूड़ा राखी, ब्रासलेट समेत कई प्रकार राखियां शािमल है।

सस्ती राखियां ( cheap rakhis )

राखी विक्रेता राजेश ने बताया कि इनमें जरी व रेशमी धागे की मांग अधिक है। इसकें अलावा ब्रासलेट राखी भी खूब बिक रही है।दुकानदारों ने बताया कि पहले चलने वाली फूलदार व बड़ी-बड़ी चिपकाने वाली राखियों के मुकाबले इस बार पिरोई जाने वाली बिट्स राखियों की मांग अधिक है। 

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  • राखी बांधने की परंपरा

पौराणिक कथा के अनुसार राजसूय यज्ञ के दौरान भगवान कृष्ण को द्रौपदी ने रक्षा सूत्र के रूप में अपने आंचल का टुकड़ा बांधा था। इसी के बाद से बहनों द्वारा भाई को राखी बांधने की परंपरा चल रही है। रक्षाबंधन के दिन ब्राह्मणों द्वारा अपने यजमानों को राखी बांधकर उनकी मंगलकामना की जाती है।

सस्ती राखियां ( cheap rakhis )

आज भी रक्षा बंधन पर्व अपने परम्परा बनाए हुए है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी या रक्षा सूत्र बांधकर उसकी लंबी आयु और मंगल कामना करती हैं। वहीं भाई अपनी बहनों को भेंट या उपहार देने के साथ ही हमेशा उसकी रक्षा करने का वचन देते हैं।

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