किसान आंदोलन: राकेश टिकैत की आत्महत्या की धमकी, रातभर धरने पर बैठे रहे किसान
दो महीने से ज्यादा समय से कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन में गुरुवार देर रात उस समय नया..
सभी के नजरें आज होने वाली महापंचायत पर
दो महीने से ज्यादा समय से कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन में गुरुवार देर रात उस समय नया मोड़ आ गया जब भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भावुक होते हुए आत्महत्या करने की धमकी दे डाली।
उसके बाद किसानों को गाजीपुर बॉर्डर से हटाने का मन बना चुके पुलिस प्रशासन के जहां तेवर ढीले हो गए वहीं उनके पैतृक गांव सिसौली में महापंचायत की घोषणा कर दी गई।
बदले घटनाक्रम के बाद पुलिस प्रशासन के अधिकारी वापस लौट आए। किसान रातभर गाजीपुर बॉर्डर पर डटे रहे। हालांकि देर रात टिकैत की तबीयत कुछ खराब हो गई थी। यशोदा अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा परीक्षण के बाद उनका ब्लड प्रेशर हाई पाया गया।
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उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी गई लेकिन राकेश टिकैत ने साफ तौर पर अस्पताल में भर्ती होने से इनकार कर दिया और कहा कि उन्हें ब्लड प्रेशर की बीमारी पहले से है और वह धरना स्थल पर ही रहेंगे। अब सभी की नजरें शुक्रवार को सिसौली गांव में होने वाली महापंचायत पर टिकी हुई है।
आपको बता दें कि 26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा के बाद किसान आंदोलन की धार कुंद होने लगी थी। जिस तरह से कुछ किसान के संगठनों ने खुद को आंदोलन से अलग कर लिया था और किसानों की वापसी शुरू हो गई थी तो लगने लगा था कि अब आंदोलन सिमट ने लगा है।
इसी के मद्देनजर मंडलायुक्त अनीता मेश्राम, एडीजी सुनील सभरवाल, आईजी प्रवीण कुमार, जिलाधिकारी डॉ. अजय शंकर पांडे, एसपी कुणाल निधि नैथानी समेत पुलिस-प्रशासन के तमाम अधिकारी गाजीपुर बॉर्डर पर डेरा डाले रहे। शाम होते-होते अधिकारियों ने अपना दबाव बनाना शुरू कर दिया।
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भारी संख्या में बॉर्डर पर पुलिस व पैरा मिलिट्री फोर्स बज्र वाहन तैनात कर दिए गए थे। साथ ही फ्लैग मार्च भी किया गया था। प्रशासन ने किसानों को हटाने की पूरी तैयारी कर ली थी। दिल्ली पुलिस ने राकेश टिकैत को नोटिस भी चिपका दिया था।
इतना ही नहीं गाजियाबाद के जिलाधिकारी डॉ. अजय शंकर पांडेय ने भी किसानों से को नोटिस जारी करते हुए अल्टीमेटम दे दिया कि वह तत्काल गाजीपुर बॉर्डर छोड़कर चले जाएं उन्हें रात तक का समय दिया गया था और कहा गया था कि यदि वह लोग यहां से नहीं गए तो वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
इतना ही नहीं प्रशासन ने धारा 144 भी लागू कर दी थी। इसके बाद तो यह लगने लगा था कि जिला प्रशासन अलर्ट मोड पर आ गया है और किसानों को हटाने का मन बना चुका है। इसी दौरान राकेश टिकैत ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि वह आंदोलन खत्म नहीं करेंगे बल्कि जब तक कृषि कानून वापस नहीं होंगे तब तक आंदोलन जारी रहेगा फिर भी कानून लागू वापस नहीं होते हैं तो आत्महत्या कर लेंगे।
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इस दौरान वह काफी भावुक हो गए थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि जिला प्रशासन पुलिस के साथ भाजपा विधायक अपने लोगों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए हैं और किसानों के साथ बदसलूकी कर रहे हैं। अब वहां से बिल्कुल नहीं जाने वाले हैं। उन्होंने ऐलान किया कि दिल्ली पुलिस के नोटिस का जवाब वह सुप्रीम कोर्ट में देंगे।
इसके बाद तो गाजीपुर बॉर्डर पर पूरे आंदोलन का परिदृश्य ही बदल गया। किसानों ने एकबार फिर हुंकार भरी और राष्ट्रीय ध्वज लेकर किसान एकता जिंदाबाद जैसे नारे लगाने लगे। वहीं, जैसे ही राकेश टिकैत के भावुक होने वाला वीडियो वायरल हुआ तो उनके पैतृक गांव सिसौली में भारी संख्या में किसान एकत्र हो गए और ऐलान कर डाला कि अब आंदोलन वापस नहीं होगा।
वे भी अब आंदोलन में गाजीपुर पहुंचेंगे। इस दौरान राकेश टिकैत ने भी किसानों से अपील कर डाली कि वह गाजियाबाद गाजीपुर पहुंचें। हालांकि आंदोलन की आगे की रणनीति बनाने के लिए शुक्रवार को सिसौली गांव में महापंचायत बुलाई गई है। अब सभी की नजरें सिसौली की महापंचायत पर टिकी हुई हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार