11 राज्यों के किसान यूपी में सीख रहे हैं हर्बल खेती की तकनीक

केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप), लखनऊ में भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) द्वारा प्रायोजित तीन दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरूआत बुधवार को हुई...

11 राज्यों के किसान यूपी में सीख रहे हैं हर्बल खेती की तकनीक
Herbal Farming

लखनऊ, (हि.स.)

  • सीमैप निदेशक ने कहा, औषधीय व सुगंधित पौधों की खेती को अपने फसल चक्र में भी कर सकते हैं समाहित

केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप), लखनऊ में भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) द्वारा प्रायोजित तीन दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरूआत बुधवार को हुई। इस कार्यक्रम में देश के 11 राज्यों से 69 किसानों, उद्यमियों एवं महिलाओं ने ऑनलाइन भाग ले रहे हैं।

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डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी, निदेशक, सीएसआईआर-सीमैप ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुये कहा कि परंपरागत फसलों की खेती करने वाले किसान, औषधीय एवं सुगंधित पौधों की खेती को अपने परंपरागत फसल चक्र में समाहित कर सकते हैं। इन फसलों को सूखे एवं जलभराव के साथ-साथ ऊसरीली भूमि में भी लगा कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं तथा साथ ही इन भूमि में सुधार भी होता है।

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उन्होंने कहा कि भविष्य में भी सीमैप इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करता रहेगा। इस कार्यक्रम के माध्यम से किसान भाई औषधीय एवं सुगंधित फसलों की उन्नत कृषि तकनीकियों तथा इनकी उन्नत प्रजातियों को अपना कर अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकते हैं । डॉ. संजय कुमार, प्रधान वैज्ञानिक एवं सीमैप सिड़बी परियोजना प्रभारी, ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया तथा संस्थान की प्रचार-प्रसार गतिविधियों पर प्रकाश डाला।

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आज के तकनीकी सत्र मे डॉ. संजय कुमार ने रोशाघास की उन्नत कृषि तकनीक को प्रतिभागियों से साझा की। डॉ. राजेश वर्मा ने खस के उत्पादन की उन्नत कृषि तकनीकी के बारें में प्रतिभागियों को जानकारी दी । डॉ. रमेश कुमार श्रीवास्तव ने सिट्रोनेला तथा डॉ. राम सुरेश शर्मा ने तुलसी की उन्नत कृषि तकनीकियों पर किसानों से विस्तार से चर्चा की। डॉ. सौदान सिंह ने मिंट की उन्नत कृषि क्रियाओं के बारें में प्रतिभागियों को बताया। डॉ. आलोक कालरा ने जिरेनियम की उन्नत कृषि क्रियाओं के विषय में प्रतिभागियों से जानकारी साझा की। इस सत्र में प्रतिभागियों के द्वारा वैज्ञानिकों से औषधीय एवं सगंधीय फसलों से संबन्धित प्रश्न पूछे गए जिनके उत्तर वैज्ञानिकों द्वारा दिये गए।

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