रोगों से बचाव कर किसान भाई धान की फसल से कमाएं बेहतर लाभ : डा. एसके विश्वास
उत्तर प्रदेश में धान की फसल प्रमुख फसल मानी जाती है और इसका उत्पादन भी गेंहू की भांति है, लेकिन इसमें लगने वाले रोगों के विषय..
कानपुर,
उत्तर प्रदेश में धान की फसल प्रमुख फसल मानी जाती है और इसका उत्पादन भी गेंहू की भांति है, लेकिन इसमें लगने वाले रोगों के विषय में किसान भाइयों को सही से जानकारी नहीं हो पाती।
ऐसे में फसल उत्पादन में इसका सीधा असर पड़ता है और किसानों को जो लाभ होना चाहिये वह नहीं मिल पाता है। किसान भाई अगर कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर बराबर फसल को रोगों से बचाव करते रहें तो बेहतर लाभ कमा सकते हैं। यह बातें सोमवार को सीएसए के कृषि वैज्ञानिक डा. एसके विश्वास ने कही।
यह भी पढ़ें - सीवर लाइन का कार्य जल्द से पूरा किया जाये : मंडलायुक्त
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के कुलपति डॉक्टर डी.आर. सिंह द्वारा जारी निर्देश के क्रम में सोमवार को पादप रोग विज्ञान विभाग के प्रोफेसर एवं संयुक्त निदेशक शोध डॉ एसके विश्वास ने बताया कि इस समय बरसात के मौसम में धान की फसल में कई रोग आते हैं। जिनके कारण धान की फसल का उत्पादन प्रभावित होता है।
किसान भाई समय रहते यदि इन रोगों पर नियंत्रण कर लेते हैं तो रोग लगने की संभावना कम रहती है। डॉ विश्वास ने बताया कि बरसात के मौसम में वातावरण के उतार-चढ़ाव के कारण धान की फसल में लीफ ब्लास्ट, कालर ब्लास्ट, नोड ब्लास्ट, नेक ब्लास्ट, शीत ब्लाइट एवं बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट जैसी गंभीर रोगों के आने की संभावना ज्यादा रहती है।
उन्होंने बताया कि इन रोगों के आ जाने से पत्तियों, तनो, गांठों एवं धान के दानों में काला रंग पड़ जाता है जिससे पौधों का पूरा हरा भाग काला सा दिखने लगता है। अपितु धान में दाने भी नहीं बन पाते है।
यह भी पढ़ें - तहसील व थाना दिवस पर आने वाली शिकायतों पर नजर रखेगा मुख्यमंत्री कार्यालय
- इस तरह रोगों से करें बचाव
डॉ विश्वास ने बताया कि इन रोगों के नियंत्रण के लिए किसान भाई इस वर्षा के समय नत्रजन धारी उर्वरकों का प्रयोग अधिक न करें। तथा पोटेशियम उर्वरक की मात्रा सामान्य मात्रा से थोड़ा अधिक बढ़ाकर प्रयोग करें।
तथा घने पौधों को बाहर निकाल दें यदि रोग नियंत्रण में न हो तो किसी भी कवकनाशी दवा जैसे कम्पैनियन मिक्चर या कंबोसेफ मिक्चर का 1.5 मिलीलीटर मात्रा 1 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर दें।
रोग की अधिकता होने पर 8 से 10 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करते रहें। डॉ विश्वास ने बताया कि किसान भाई अपने धान की फसलों की निगरानी करते रहें। जैसे ही फसल पर रोग के लक्षण दिखाई पड़े तुरंत दवा डालने की व्यवस्था करें।
जिससे धान की फसल से स्वस्थ व गुणवत्ता युक्त उत्पादन किया जा सके और किसान भाई हानि से बच सकें। मीडिया प्रभारी डा. खलील खान ने बताया कि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बराबर किसानों को सलाह दी जाती है, जिससे किसान बेहतर उत्पादन कर सकते हैं।
यह भी पढ़ें - उप्र में धान खरीद की नई नीति बनाएगी योगी सरकार
हि.स