25 सालों से इस सदर सीट से किसी भी एमएलए को मंत्रिमंडल में नहीं मिली जगह

जिले की सदर सीट से 25 सालों से किसी भी एमएलए को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल सकी। जबकि पिछले दो चुनावों और एक..

25 सालों से इस सदर सीट से किसी भी एमएलए को मंत्रिमंडल में नहीं मिली जगह

हमीरपुर,

  • इस बार हमीरपुर विधानसभा की सदर सीट पर बीजेपी ने लगाई हैट्रिक

जिले की सदर सीट से 25 सालों से किसी भी एमएलए को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल सकी। जबकि पिछले दो चुनावों और एक उपचुनाव में यहां की सीट बीजेपी ने जीती है। सदर सीट पर हैट्रिक लगाने वाले पार्टी के दो एमएलए को भी मंत्री बनने का मौका नहीं मिला। अबकी बार जिले की दो सीटों पर एक बार फिर कमल खिलने के बाद भी एमएलए हाशिए पर दिख रहे है।

हमीरपुर सदर सीट पर वर्ष 1952 से लेकर लगातार 1962 तक लगातार हैट्रिक लगाने वाले कांग्रेस के एमएलए सुरेन्द्र दत्त बाजपेई को भी प्रदेश मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली थी जबकि ये एमएलए अपनी ईमानदारी के लिए प्रदेश की राजनीति में भी काफी सुर्खियों पर रहे थे। उसके बाद यहां की सीट पर चुनावों में बने एमएलए भी सूबे की सरकार में मंत्री नहीं बन सके। प्रदेश में लम्बे समय तक कांग्रेस की सरकार रही है लेकिन सदर सीट से पार्टी के टिकट से जीते एमएलए मंत्रिमंडल से वंचित ही रहे है।

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  • राठ विधानसभा की सुरक्षित सीट पर भी बीजेपी का दोबारा खिला है कमल
  • आजादी के 7 दशकों में सदर सीट से एक बार ही एमएलए सूबे का बना था राज्यमंत्री

वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से जगदीश नारायण शर्मा 42.86 फीसदी वोट लेकर एमएलए बने थे। ये पूर्व राजस्व मंत्री उदित नारायण शर्मा के बेटे है लेकिन इन्हें भी कांग्रेस की सरकार में मंत्री नहीं बनाया जा सका। वहीं कई बार विभिन्न राजनैतिक दलों से एमएलए बने अशोक सिंह चंदेल का मंत्री बनने का सपना नहीं पूरा हो सका। ये एक बार बीएसपी से सांसद भी बने थे। लेकिन फाइव मर्डर में ये उम्रकैद की सजा जेल में भुगत रहे है।

उधर, जिले की राठ विधानसभा की सुरक्षित सीट पर इस बार बीजेपी का दोबारा कमल खिला है। यहां मनीषा अनुरागी दोबारा एमएलए बनी है। पिछले चुनावों से बीजेपी के खाते में यहां की दोनों सीटें आई है लेकिन किसी भी एमएलए को बीजेपी की सरकार में मंत्री बनने का कोई मौका नहीं मिला है इसीलिए यह जिला विकास की दौड़ में बहुत पीछे रह गया है। हालांकि योगी सरकार में तमाम विकास की योजनाएं जमीन पर दौड़ाई गई है लेकिन बुन्देलखंड के सातों जिलों में हमीरपुर विकास के पायदान में सबसे नीचे है।

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  • मायावती की सरकार में सदर एमएलए बने थे राज्यमंत्री

हमीरपुर सदर विधानसभा क्षेत्र के पौथिया गांव निवासी शिवचरण प्रजापति वर्ष 1997 में मायावती की सरकार में राज्यमंत्री बनाए गए थे। लेकिन प्रदेश में गठबंधन की शर्तों में कल्याण सिंह के सीएम बनने पर इन्हें कुछ ही महीने बाद मंत्री पद छोडऩा पड़ा था। कई बार सदर सीट से एमएलए बनने वाले शिवचरण प्रजापति वर्ष 2002 के चुनाव में फिर बीएसपी से एमएलए बने थे। प्रदेश में भी मायावती की सरकार बनी थी मगर इन्हें दोबारा मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल सकी। अब इनके बेटे ने राजनीति की वरासत संभाली है।

  • सदर सीट में लगातार तीन बार खिला कमल

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बाहुबली अशोक सिंह चंदेल ने बीजेपी के टिकट से चुनाव मैदान में आए और वह भारी मतों से एमएलए बने। लेकिन दो साल के अंदर ही सामूहिक हत्याकांड में उम्रकैद की सजा होने पर उन्हें जेल जाना पड़ा। यहां की सीट पर वर्ष 2019 में उपचुनाव हुए जिसमें युवराज सिंह ने कमल खिलाया था लेकिन योगी सरकार में उन्हें मंत्री बनने का मौका नहीं मिल सका। अबकी बार यहां की सदर सीट पर चालीस फीसदी से अधिक वोट के साथ बीजेपी ने हैट्रिक लगाई है।

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हि.स

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