पैगंबर मुहम्मद की शान में अभद्र टिप्पणी से कानपुर में हिंसा की पूरी कहानी

कानपुर एकबार फिर से दंगाईयों की गिरफ्त में आते-आते बचा और वो भी तब जब देश के महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद..

पैगंबर मुहम्मद की शान में अभद्र टिप्पणी से कानपुर में हिंसा की पूरी कहानी

कानपुर एकबार फिर से दंगाईयों की गिरफ्त में आते-आते बचा और वो भी तब जब देश के महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी कानपुर में हैं। ये वाकया हुआ बेकनगंज इलाके में, जब शुक्रवार की जुमे की नमाज के बाद बवाल शुरू हो गया। बेकनगंज थाना क्षेत्र के नई सड़क इलाके का ये मामला है, जहां यतीमखाने के पास दो पक्ष टकरा गए।

दरअसल इस मामले की शुरुआत मुस्लिम नेता हयात जफर हाश्मी के बाजार बंद आह्वान के साथ हुई। यतीमखाना की सद्भावना चौकी के पास बाजार बंद कराने को लेकर दो पक्ष आमने-सामने आ गए और उसके बाद पथराव शुरू हो गया। बवाल नियंत्रित करने पहुंची पुलिस पर भी लोगों ने पत्थर फेंके। इस इलाके में हिन्दू और मुसलमान दोनों रहते हैं, इसलिए माहौल तुरन्त तनावपूर्ण हो गया। ये सारा मामला उस टीवी डिबेट के बाद अन्दर ही अन्दर सुलग रहे मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा शुरू किया गया, जिसमें भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के पैगंबर मुहम्मद पर टिप्पणी किए जाने से मुस्लिम समाज को आहत बताया जा रहा था। 

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  • क्या कहा था नूपुर शर्मा ने, जिस पर बवाल मचा

दरअसल विगत 27 मई को नुपुर शर्मा एक नेशनल न्यूज चैनल टाइम्स नाऊ की डिबेट में पहुंचीं। यह डिबेट ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर की जा रही थी। इस डिबेट में नूपुर ने ये आरोप लगाया कि कुछ लोग हिंदू आस्था का लगातार मजाक उड़ा रहे हैं। अगर यही है तो वह भी दूसरे धर्मों का मजाक उड़ा सकती हैं। मसलन उड़ते हुए घोड़े और 9 साल की बच्ची के साथ शादी इत्यादि जैसी बातें नूपुर द्वारा केवल इस हिदायत के साथ बोली गयीं कि उनकी आस्था पर मजाक न बनाया जाये, अन्यथा वो भी इन सब पर बोलना शुरू कर देंगी। ठीक-ठीक शब्दों पर न जायें तो नूपुर शर्मा की बातों का मतलब सिर्फ यही था। जिसे कुछ कट्टरपंथियों ने पैगंबर-ए-इस्लाम की शान में बेअदबी समझ लिया। नूपुर पर आरोप लगाये गये कि उन्होंने पैगंबर मुहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी की है और उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग भी की गयी। इतना ही नहीं देश के अलग-अलग इलाकों में उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करा दी गयी। 

हालांकि नूपुर का दावा है कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। उन्होंने यह भी दावा किया था कि उन्हें और उनके परिवार को इस्लामी कट्टरपंथियों से जान से मारने की धमकियां मिल रही थीं। नूपुर शर्मा ने ख़ुद को मिल रहे धमकी भरे संदेशों के बारे में ट्विटर के ज़रिए उसी दिन शाम को दिल्ली पुलिस को सूचना भी दी थी। नूपुर ने ये सब आल्ट न्यूज के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर के ऊपर साम्प्रदायिक भावनाओं को भड़काने और नकली कहानी बनाकर माहौल खराब करने का आरोप भी लगाया। आपको बता दें कि मोहम्मद ज़ुबैर पेशे से पत्रकार हैं, जो फ़ैक्ट चेकिंग वेबसाइट आल्ट न्यूज के सह-संस्थापक भी रहे हैं। नूपुर के अनुसार अपने आपको फैक्ट चेकर कहने वाले मोहम्मद ज़ुबैर ने उनके एक टीवी डिबेट्स के मनमाने तरीक़े से एडिट किए गए वीडियो डाल कर उनके खिलाफ गंदा माहौल बनाया है और तब से उन्हें और उनके परिजनों को जान से मारने और रेप की धमकियां मिल रही थीं।

  • कौन हैं नूपुर शर्मा

नुपुर शर्मा भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। 2015 में वह पहली बार चर्चा में तब आई थीं, जब भाजपा ने उन्हें दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा था। नुपुर भाजपा दिल्ली की प्रदेश कार्यकारिणी समिति की सदस्य भी हैं। वह दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। 2008 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से छात्र संघ चुनाव जीतने वाली नुपुर शर्मा एकमात्र उम्मीदवार थीं। 2010 में नुपुर शर्मा छात्र राजनीति से निकलने के बाद भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा में सक्रिय हुईं और उन्हें मोर्चा में राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी का जिम्मा सौंपा गया। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई करने वाली नुपुर पेशे से वकील भी हैं। इसके अलावा उन्होंने बर्लिन से भी पढ़ाई की है।

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  • पर कानपुर क्यों सुलगा ?

दरअसल पिछले शुक्रवार को इस घटना के बाद से मुस्लिम समाज में पैगंबर की शान में बेअदबी की चर्चा जोरों पर थी। इसीलिए जब आज शुक्रवार को जुमे की नमाज कानपुर में हुई तो उसी बात को लेकर बेकनगंज और आसपास के बाजार बंद कराये जाने लगे। परेड चौराहे पर करीब एक हजार लोग इकट्ठा हुए थे। दोपहर करीब 3 बजे दो पक्ष के लोग आमने-सामने आ गए। जिसके बाद पथराव शुरू हो गया। इसमें कई लोग घायल हो गए हैं। उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

हालांकि पुलिस भी तत्परता से पहुंची और उसने लोगों को नियंत्रित करने के लिए कई राउंड फायर किया। लाठीचार्ज भी किया गया। लोगों को गलियों में खदेड़ दिया गया। फिर भी लोग रुक-रुककर पथराव करते रहे। पुलिस ने पूरे एरिया की घेराबंदी करके संदेह के आधार पर कुछ लोगों को हिरासत में भी ले लिया है। फिलहाल कानपुर में माहौल तनावपूर्ण है। स्थिति को नियंत्रित रखने के लिए तकरीबन 12 थानों की फोर्स मौके पर भेज दी गयी है। कानपुर की डीएम नेहा शर्मा के मुताबिक अभी स्थिति कंट्रोल में है। पत्थरबाजों पर कार्रवाई की जा रही है। लेकिन, साजिश करने वालों की पहचान की जा रही है। इसके अलावा ऐहतियातन रिजर्व फोर्स भी मंगवा लिया गया है।

  • कानपुर के बाजार हुए बंद, प्रशासन की निगाह बवालियों पर

जोहर फैंस एसोसिएशन व अन्य मुस्लिम तंजीमों ने शुक्रवार को मुस्लिम समुदाय से कारोबार बंद रखने की अपील की थी। शुक्रवार सुबह से ही चमनगंज, बेकनगंज, तलाक महल, कर्नलगंज, हीरामन पुरवा, दलेल पुरवा, मेस्टन रोड, बाबू पुरवा, रावतपुर व जाजमऊ में कहीं आंशिक तो कहीं बाजार पूरी तरह से बंद रखे गए थे। वहीं, इस बवाल के बाद कानपुर के बाकी बाजारों में भी सन्नाटा छा गया। ऐहतियातन शहर के दूसरे बाजारों में भी पुलिस गश्त बढ़ा दी गई है। ताकि, हिंसा को एक इलाके तक ही सीमित रखा जा सके। पुलिस पूरी मजबूती से बवाल के पीछे के चेहरों को पहचान कर रही है। सीसीटीवी की मदद से पथराव करने वालों की पहचान की जा रही है। बवाल करने वालों को नियंत्रित करने के लिए रैपिड एक्शन फोर्स तैनात की गई है। बैरिकेडिंग लगाकर एरिया सील किए गए हैं।

संक्षेप में कहें तो भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा की बात को लेकर आज जुमे की नमाज के दौरान मस्जिदों से ऐलान हुआ कि मुस्लिम समाज ऐसी टिप्पणियों को बर्दाश्त नहीं करेगा। बस इसी के बाद मुस्लिम प्रदर्शन के लिए सड़क पर उतर आए। इस दौरान दुकानें बंद करने की बात कही जाने लगी और तभी हिंसा भड़क गई और टकराव हो गया। इसके बाद पुलिस ने भीड़ को काबू करने और स्थिति पर नियंत्रण रखने के लिए लाठीचार्ज भी किया।

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  • आईये आपको बताते हैं कि कब-कब इस्लाम की शान में गुस्ताखी के कारण हिंसा भड़की

दरअसल ये कोई पहली दफा नहीं हो रहा कि पैगंबर मुहम्मद पर टिप्पणी भर कर देने से किसी हिंदू की जान पर बन आई हो। इससे पहले कई बार हिंदुओं की निर्मम हत्या या उनके विरुद्ध भड़की हिंसा इन्हीं कारणों से हुई कि उन्होंने आखिर क्यों पैगंबर मुहम्मद पर टिप्पणी की। कुछ अभी हाल की घटनायें हैं तो कुछ घटनायें सालों पुरानी। इस पर एक नजर आप भी डालिये - 

  • गुजरात में किशन भरवाड की हत्या

25 जनवरी 2022 को गुजरात में किशन भरवाड नाम के हिंदू युवक को गोली मार कर मौत के घाट उतारा गया था। अहमदाबाद के धंधुका शहर के मोढवाड़ा-सुंदकुवा इलाके में किशन भरवाड की हत्या की गई थी। किशन पर आरोप था कि उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था जिसने मजहबी भावनाओं को आहत किया और उसके बदले उन्हें पहले धमकियाँ मिलनी शुरू हई और बाद में उन्हें एक दिन सुनियोजित साजिश के तहत मौत के घाट उतार दिया गया। जाँच में सामने आया कि इस हत्या को अंजाम देने के लिए एक मौलवी ने भीड़ को भड़काया था।

  • महाराष्ट्र के यवतमाल में हिंसा और आगजनी

17 दिसंबर 2021 को सोशल मीडिया पर पैगंबर मुहम्मद को लेकर की गई एक टिप्पणी पर महाराष्ट्र के यवतमाल जिला स्थित उमरखेड़ में हिंसा भड़की थी और जगह-जगह आगजनी की घटना सामने आई थी। इलाके में उस दौरान इतना उपद्रव मचा था कि घरों, दुकानों और गाड़ियों सबको तबाह कर दिया गया था। पत्थरबाजी घरों में घुसकर हुई थी। हिंसा फैलाने वालों का आरोप था कि इस्लाम मजहब के संस्थापक के ‘अपमान’ के आरोप में इस घटना को अंजाम दिया गया।

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  • श्रीलंकाई मैनेजर को जिंदा जलाकर मारा

2021 के अंत में पाकिस्तान से एक दिल दहलाने वाली खबर आई थी। वहाँ सियालकोट में एक श्रीलंकाई मैनेजन प्रियांथा कुमारा को उग्र इस्लामी भीड़ ने जलाकर मार डाला था। उन पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने पैगंबर मोहम्मद के पोस्टर को फाड़ दिया था और उसे कूड़ेदान में फेंक दिया था। इसके बाद इस्लामी भीड़ ने उन पर हमला किया और उनकी हत्या करके उनके शरीर को जला दिया।

  • जब कट्टरपंथी भीड़ ने जलाया बेंगलुरु

कर्नाटक के बेंगलुरु में साल 2020 में हिंसा और आगजनी की खबरों ने पूरे देश को चौंका दिया था। लोग हैरान थे कि इतनी भीड़ अचानक से कैसे सड़क पर आ सकती है। घटना में थाने से लेकर सड़कों पर खड़े कम से कम 57 वाहन जलाए गए थे। वीडियो में सैंकड़ों की भीड़ उपद्रव मचाती दिखी थी। और ये सब हुआ क्यों था? क्योंकि एक कांग्रेस नेता के भतीजे पी नवीन ने सोशल मीडिया पर पैगंबर मोहम्मद को लेकर टिप्पणी कर दी थी और हिंसा फैलाने की ताक में बैठी भीड़ को मौका मिल गया था। हालांकि नवीन ने अपनी गलती की माफी भी माँगी थी मगर ये कट्टरपंथियों को शांत करने के लिए काफी नहीं था।

  • लखनऊ का कमलेश तिवारी हत्याकांड तो याद है ?

18 अक्टूबर 2019 को हिंदू महासभा के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की उनके आवास स्थित कार्यालय में बर्बरता से हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद मालूम चला था कि इसके पीछे कट्टरपंथियों का हाथ है, जो बहुत पहले से तिवारी के खिलाफ़ साजिश रच रहे थे। कमलेश तिवारी का अपराध केवल यह था कि उन्होंने साल 2015 में पैगंबर मुहम्मद पर विवादित टिप्पणी कर दी थी। इसके बाद से ही उन्हें मारने के प्रयास और ऐलान किए जा रहे थे।

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  • फेसबुक पोस्ट ने ले ली थी 4 जानें

साल 2019 में ही बांग्लादेश में पैगंबर मोहम्मद पर किए गए एक फेसबुक पोस्ट के कारण चार लोगों की जान गई थी। घटना ढाका से 195 किमी दूर बोरानुद्दीन शहर में घटित हुई थी जहाँ एक हिंदू युवक पर आपत्तिजनक पोस्ट करने का आरोप मढ़कर हिंसा को अंजाम दिया गया। इस घटना में 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

  • यूपी के महाराजगंज थाने में भी हुआ था हंगामा

पैगंबर मुहम्मद पर अभद्र टिप्पणी करने के आरोप में साल 2018 में भी हंगामा हुआ था। ये हंगामा यूपी के महाराजगंज में शिकायत दर्ज कराने पहुँची भीड़ ने किया था। पूर्व बसपा नेता एजाज खान के नेतृत्व में नौतनवा थाने जाकर घंटों हंगामा करने वाली भीड़ की माँग पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी करने वाले के खिलाफ कार्रवाई की थी। उस दौरान भी सैंकड़ों की संख्या सड़कों पर उतर आई थी। भीड़ इतनी भड़की हुई थी कि जब तक उनके लगाए आरोपों में शिकायत दर्ज करके गिरफ्तारी की बात नहीं हुई, तब तक वह घर नहीं लौटे और थाने में हंगामा चलता रहा।

  • पश्चिम बंगाल की बशीरहाट हिंसा

साल 2017 में पश्चिम बंगाल के बशीरहाट में दो समुदायों के बीच हुए दंगों के बीचे का कारण एक फेसबुक पोस्ट था। कथित तौर पर उस फेसबुक पोस्ट में पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी की गई थी। बताया जाता है कि उस हिंसा में भीड़ इतनी उग्र थी कि करोड़ों का नुकसान कर डाला गया था और एक व्यक्ति की मौत भी हुई थी।

  • पश्चिम बंगाल के मालदा में हिंसा

बशीरहाट से पहले पश्चिम बंगाल का मालदा भी 2016 में हिंसा की आग में जला था। उस दौरान भी कारण यही था कि किसी ने पैगंबर मोहम्मद को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी सोशल मीडिया पर कर दी थी। इस टिप्पणी के बाद इलाके में न केवल बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी बल्कि आगजनी को भी व्यापक स्तर पर अंजाम दिया गया था।

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  • फ्रांस में चार्ली हेब्दो मैग्जीन के कार्यालय पर हमला

चार्ली हेब्दो नामक मैग्जीन कुछ साल पहले पैगंबर मुहम्मद का कार्टून छापने के कारण चर्चा में आई थी। इसके बाद इस्लामिक कट्टरपंथियों ने उस पर ईशनिंदा का आरोप लगाया। साल 2011 में इसके कार्यालय पर गोलीबारी हुई और बम फेंके गए। फिर 7 जनवरी, 2015 को कट्टरपंथियों ने इसे एक बार दोबारा निशाना बनाया और अल्लाह हू अकबर कहते हुए 12 लोगों को मौत के घाट उतार गए। इनमें तीन पुलिसकर्मी भी थे।

  • फेसबुक पोस्ट ने ले ली थी 3 की जान

पाकिस्तान के गुजरांवाला शहर में इस्लाम के विरुद्ध टिप्पणी करना एक अहमदी समुदाय के व्यक्ति को महंगा पड़ गया। पहले तो उसके विरुद्ध 150 लोग शिकायत करने थाने गए। लेकिन तभी दूसरी भीड़ ने अहमदियों (वे लोग जो पैगंबर मोहम्मद के बाद आए एक और पैगंबर को मानते हैं) के घर पर हमला करके उनमें तोड़फोड़ और आगजनी शुरू कर दी। कई लोगों को हल्की चोटें आई और कुछ गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके अलावा एक महिला और दो छोटे बच्चों की जान भी इसी हमले में गई।

  • जब टीवी पर हुआ हत्या करने की अनाउंसमेंट

साल 2013 में नूर टीवी पर एक होस्ट ने खुलेआम मुसलमानों को भड़काने का काम किया था। उस समय टीवी से अनाउंस हुआ था कि अगर कोई पैगंबर मोहम्मद का अपमान करता है तो किसी मुसलमान द्वारा उसकी हत्या को स्वीकार किया जा सकता है। ये मुसलमान का कर्तव्य है कि वो उस व्यक्ति को मारे। इस अनाउंसमेंट के बाद ब्रिटेन के प्रसारण नियामक एजेंसी ने इस्लामी टीवी चैनल पर हिंसा को बढ़ावा देने के लिए 85000 यूरो का जुर्माना लगाया था।

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  • पैगंबर मुहम्मद पर बनी फिल्म पर अरब देशों का विरोध

साल 2012 में अमेरिका ने एक फिल्म बनाई थी। नाम था इन्नोसेंस ऑफ मुस्लिम। ये फिल्म मुस्लिमों के लिए विवादित थी क्योंकि उन्हें इसमें दिखाए गए कंटेंट से आपत्ति थी। जिसके कारण मिस्र से लेकर अरब जगत में इसका विरोध हुआ था। कई लोग सड़कों पर आ गए थे। फिल्म बनाने वाले पर आरोप था कि उसने अपने घर के दरवाजे को पैगंबर की फिल्म में दिखाया था। फिल्म के कलाकारों ने भी विरोध देखकर हाथ खड़े कर लिए थे कि उन्हें नहीं मालूम था कि ये फिल्म पैगंबर से जुड़ी है। इस विवाद में मिस्र, लीबिया से लेकर यमन तक में अमेरिकी दूतावास पर हमला हुआ था और प्रदर्शनकारियों ने जमकर तोड़फोड़ मचाई थी। हालात इतने बिगड़ गए थे कि सुरक्षाकर्मियों को गोलियाँ चलाकर हिंसक भीड़ को रोकना पड़ा था। लीबिया के बेनगाजी में तो अमेरिकी राजदूत समेत चार लोगों की मौत भी हुई थी।

  • 700 वर्ष पुरानी किताब से कोट लेने पर हुआ हंगामा

साल 2000 में भी न्यू इंडियन एक्सप्रेस नामक समाचार पत्र ने 700 साल पुरानी एक किताब से एक कोट लेकर अपना आर्टिकल लिखा था। जिसके कारण मुस्लिम कट्टरपंथियों की भीड़ भड़क गई थी और बेंगलुरू के इस अखबार ने इस भीड़ का एक भयानक चेहरा देखा था। रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब 1000 की भीड़ ने सिर्फ़ आर्टिकल में पैगंबर का नाम आने से कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया था और 20 उलेमाओं ने बाद में अखबार के चीफ रिपोर्टर से मिलकर माँग की कि लेख लिखने वाले अखबार के सम्पादकीय सलाहकार टीजेएस जॉर्ज माफी माँगें।

  • डेक्कन हेराल्ड को भी करना पड़ा था सामना

साल 1986 में डेक्कन हेराल्ड को ऐसे आक्रोश का सामना करना पड़ा था, जब एक छोटी सी स्टोरी के कारण देश में साम्प्रदायिक हिंसा भड़क गई और 17 लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ी। बाद में अखबार ने रेडियो और टेलीविजन के जरिए मुस्लिम समुदाय से माफी माँगी। इस घटना में भी संप्रदाय विशेष के लोगों को स्टोरी में यही लगा था कि लिखने वाले ने पैगंबर का अपमान किया है।

  • रंगीला रसूल किताब के कारण प्रकाशक की ली गई जान

साल 1924 में अनाम लेखक के नाम से रंगीला रसूल नाम की एक किताब प्रकाशित हुई थी। इस किताब में मुहम्मद साहब के परस्पर संबंधों का कथानक था। जिसके कारण संप्रदाय विशेष के लोगों ने इसका काफी विरोध किया और इसके प्रकाशक को वैमनस्यता फैलाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन प्रकाशक के रिहा होते ही इल्मुद्दीन नामक कट्टरपंथी ने महाशय राजपाल की हत्या कर दी और इल्मुद्दीन को बचाने के लिए उसका केस मुहम्मद अली जिन्ना ने लड़ा था।गौरतलब है कि पैगंबर मोहम्मद के नाम पर मचाई गई हिंसा की ये चंद घटनाएँ हैं जो आमजन में चर्चा का बिंदु बनी हैं। इससे पहले और इनके बाद कितनी घटनाएँ लिस्ट में हैं अथवा जोड़ी जाएँगी, ये कहा नहीं जा सकता। लेकिन इस देश के लिए ऐसा कट्टरपंथ खतरनाक है और इसे सख्ती से रोका जाना चाहिये।

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