उद्यान महाविद्यालय के छात्रो ने बनाया हर्बल गुलाल

होली के त्यौहार में विभिन्न रंगो के गुलाल बहुतायत में उपयोग मे लाया जाता है। प्रायः यह देखने को मिलता है कि रसायनयुक्त गुलाल से त्वचा..

उद्यान महाविद्यालय के छात्रो ने बनाया हर्बल गुलाल

बाँदा,  

होली के त्यौहार में विभिन्न रंगो के गुलाल बहुतायत में उपयोग मे लाया जाता है। प्रायः यह देखने को मिलता है कि रसायनयुक्त गुलाल से त्वचा, आंखें व शरीर के अन्य अंग प्रभावित होते है। डाक्टरो की माने तो यह रसायनयुक्त रंग व गुलाल बहुत ही घातक होते है। ऐसे में अगर गुलाल हर्बल अथवा प्राक्रतिक वनस्पतियो से बनाये गये हो तो उन्हे प्रयोग मे लाने से किसी भी तरह के नुकसान की सम्भावना कम या नही होती है। हर्बल गुलाल बनाने व उसे बेचने के लिए तैयार करने की अनोखी पहल छात्रो द्वारा की गई है।

यह छात्र बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बाँदा के उद्यान महाविद्यालय के चतुर्थ वर्ष में अध्ययनरत है। उद्यान महाविद्यालय के इन छात्रों ने अनुभवात्मक शिक्षण कार्यक्रम के अन्तर्गत यह हर्बल गुलाल तैयार किया है। छात्रों ने पुष्प एवं भू-सौन्दर्यीकरण विभाग के सहायक प्राध्यापक के.एस.तोमर के दिशा निर्देशन में विभिन्न वनस्पतियों जैसे- गेंदा, चुकन्दर, पलास इत्यादि के फूल एवं जड़ों का उपयोग करके 17 किलो हर्बल गुलाल इस होली पर बिक्री को तैयार किया है। उद्यान महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. एस.वी. द्विवेदी ने यह जानकारी दी।

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डा. द्विवेदी ने यह बताया कि छात्रो के द्वारा बनाया गया गुलाल रंगीन, खुशबूदार व बहुत ही चिकना है, जो कि त्वचा के लिये नुकसाान दायक नही है। डा. द्विवेदी ने अध्ययनरत छात्रो को ऐसे कार्य के लिये प्रोत्साहित करने की बात कही, जिससे स्वरोजगार अपनाकर और लोगो को रोजगार दे सके। अनुभवात्मक शिक्षण कार्यक्रम में छात्रों को उद्यमिता विकास द्वारा आत्मनिर्भर बनने का कौशल सिखाया जाता है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत छात्र अपनी रुचि के हिसाब से विषय का चयन करते हैं तथा उस विषय में महारत हासिल कर स्वरोजगारी बनने के गुण सीखते हैं। 

कृषि एवं उद्यान विषयो मे अध्ययरत छात्र स्वरोजगारी बनने के लिये छः माह शिक्षण कार्यक्रम के तहत ही प्रायोगिक ज्ञान प्राप्त करते है। प्राशिक्षण प्राप्त छात्रो को रूचि एवं आवश्यकतानुसार जागरूक एवं प्रशिक्षित किया जाता है।  छात्रो द्वारा तैयार किये गये विभिन्न उत्पाद को विश्वविद्यालय परिसर अथवा स्थानीय बाजार मे मात्रा अनुसार विक्रय को उपलब्ध कराया जाता है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत छात्रों द्वारा बिक्री के उपरान्त जो भी लाभ मिलता है उसे छात्रों में ही वितरित कर दिया जाता है। ज्ञात हो कि पूर्व में इस महाविद्यालय के तीन छात्र हिमांशु दीक्षित, लवलेश मिश्रा व सिमरन सिंह ने बडे पैमाने पर अपने उद्योग स्थापित कर कई लोगो को रोजगार दिया है।

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