ऑनलाइन शिक्षण न लेने व प्रबंधन से न मिलने वाले अभिभावकों सरकार जारी करे निर्देश 

कोविड-19 के दौरान सभी स्कूल बंद है, छात्र-छात्राएं ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं लेकिन अभिभावकों द्वारा शासन के निर्देश के बावजूद फीस जमा नहीं की जा रही है..

ऑनलाइन शिक्षण न लेने व प्रबंधन से न मिलने वाले अभिभावकों सरकार जारी करे निर्देश 

कोविड-19 के दौरान सभी स्कूल बंद है ,छात्र-छात्राएं ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं लेकिन अभिभावकों द्वारा शासन के निर्देश के बावजूद फीस जमा नहीं की जा रही है।जिससे शिक्षण संस्थानो के अध्यापक व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के वेतन के लाले पड़ गए हैं ,इसलिए जो लोग अभी तक ऑनलाइन शिक्षण में भाग ले रहे हैं और न ही प्रबंधन से मिल रहे हैं ऐसे लोगों को सरकार जरूरी निर्देश जारी करें।

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यह मांग बुन्देलखंड अनएडेड स्कूल एसोसिएशन उत्तर प्रदेश द्वारा चित्रकूट धाम मंडल बांदा के आयुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजे गए मांग पत्र में की गई है। इस संबंध में एसोसिएशन के अध्यक्ष नवल किशोर चैधरी ने बताया कि सत्र 2020- 20 21 में विद्यालय के शुल्क में किसी तरह की वृद्धि नहीं की गई एवं शुल्क मासिक आधार पर लिया जा रहा है। इस सत्र में वाहन शुल्क नहीं लिया जा रहा है और न किसी से अग्रिम शुल्क जमा कराया जा रहा है।

शासन द्वारा निर्देश किए गए थे की जो अभिभावक फीस जमा करने में सक्षम नहीं है या उनकी कोई समस्या है तो वह विद्यालय में जाकर अपनी समस्याएं बताएं और प्रार्थना पत्र दें जिसके आधार पर विद्यालय के संचालक अभिभावकों की समस्या का समाधान करेंगे। बाकी जो सक्षम अभिभावक हैं वह हर माह शुल्क जमा करें।

सरकार के इस आदेश का अभिभावकों द्वारा पालन नहीं किया जा रहा जबकि विद्यालय द्वारा व्हाट्सएप के माध्यम से छात्र छात्राओं को ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है।जिन छात्र-छात्राओं की शिक्षण शुल्क अप्रैल से वर्तमान माह तक नहीं जमा है उन्हें भी विद्यालय ने ऑनलाइन कक्षाओं में सम्मिलित कर रखा है।

इसी तरह एसोसिएशन के सचिव डॉ मनीष गुप्ता ने कहा कि फीस जमा न होने से विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक शिक्षिकाओं एवं कर्मचारियों के वेतन भुगतान एवं अन्य खर्चों में कठिनाइयां आ रही हैं ऐसी परिस्थितियों में विद्यालय में अध्ययनरत छात्र छात्राओं की संख्या सुनिश्चित करने में भी कठिनाई आ रही है।

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सरकार के आदेश के बावजूद जिन अभिभावकों ने अभी तक न तो कोई फीस का भुगतान किया है न ही प्रधानाचार्य से मिलकर अपनी आर्थिक समस्या के विषय में कोई प्रार्थना पत्र दिया है। उनके संबंध में यह स्वतः यह मान लिया जाए जाए कि उन्हें फीस जमा करने में कोई आर्थिक समस्या नहीं है और वह अपने बच्चे को हमारे विद्यालय में पढ़ाने में रूचि नहीं रखते हैं इसलिए ऐसे विद्यार्थियों का नाम उपस्थित पंजिका से हटाने के आदेश निर्देश निर्गत किए जाएं, जिससे विद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की संख्या निश्चित की जा सके एवं विद्यालय के संसाधनों  को छात्र छात्राओं के अनुपालन में समायोजित किया जा सके, अन्यथा आय  अत्याधिक कम एवं खर्चा यथावत होने से अनेक विद्यालयों के सामने बंदी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

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