कैसे बनेगा बुन्देलखण्ड आत्मनिर्भर? विभाग लगा रहे हैं सरकारी योजनाओं मे पलीता

उत्तर प्रदेश के अत्याधिक पिछड़े बुन्देलखण्ड क्षेत्र में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।

कैसे बनेगा बुन्देलखण्ड आत्मनिर्भर? विभाग लगा रहे हैं सरकारी योजनाओं मे पलीता

उत्तर प्रदेश के अत्याधिक पिछड़े बुन्देलखण्ड क्षेत्र में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। उनके प्रयास से ही प्रदेश स्तर पर लखनऊ में इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया गया तथा औद्योगिक विकास निवेश नीति 2017 घोषित की गई है एवं बुन्देलखण्ड चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज झांसी एवं टीम इनोवेशन द्वारा बुंदेलखंड इन्वेस्टर समिट का आयोजन कराया गया था। फलस्वरूप बुंदेलखंड में उद्यमियों ने उद्योग लगाने की पहल की, करोड़ों रुपए निवेश किया लेकिन औद्योगिक विकास से जुड़े विभागों और बैंकों का सहयोग न मिलने से बुंदेलखंड में औद्योगिक विकास को ग्रहण लगता दिखाई पड़ रहा है।

इस संबंध में बुन्देलखण्ड चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री झांसी द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक पत्र भेजा गया है। इस पत्र में कहा गया है कि बुन्देलखण्ड में उद्योगों को बढ़ाने के लिए आपका प्रयास सराहनीय है ,आपकी ही पहल पर बुन्देलखण्ड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज झांसी एवं टीम इनोवेशन द्वारा 9 जून 2018 को औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना की अध्यक्षता में बुंदेलखंड इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन कराया था। जिसके फलस्वरूप बुन्देलखण्ड में उद्योग लगाने हेतु 35 उद्यमियों ने लगभग 2396. 81 करोड़ के निवेश करने पर सहमति जताई थी तथा सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कर प्रेषित किया था। जिसके सापेक्ष 10 उद्यमियों ने उद्योग लगाने हेतु लगभग 244.5 करोड रुपए का निवेश किया है और आगे 8 उद्यमियों द्वारा लगभग 899.58 करोड़  का निवेश किया जाना प्रस्तावित है।

बुन्देलखण्ड क्षेत्र में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए जो आपने सपना देखा था उसका धरातल पर कोई प्रभाव दिखाई नहीं पड़ रहा क्योंकि जिन 10 उद्यमियों ने सहमति पत्र हस्ताक्षर कर प्रेषित करते हुए अपने उद्योग स्थापित किए हैं .उन्हें 1 वर्ष से अधिक अवधि समाप्त होने के बाद भी किसी विभाग से स्वीकृति सब्सिडी की धन राशि का वितरण नहीं हो पाया। चेंबर के सचिव सीएस सक्सेना ने पत्र में कहा है कि आपकी सरकार द्वारा औद्योगिक विकास के लिए योजनाएं तो लागू की गई हैं परंतु उनका क्रियान्वयन संबंधित विभागों द्वारा नहीं किया जा रहा और न ही उनकी कोई जिम्मेदारी निर्धारित है। शासन स्तर से औद्योगिक निवेश नीति 2017 के अंतर्गत स्थापित उद्योगों द्वारा किए गए पूंजी निवेश का स्थलीय निरीक्षण कर सत्यापन किए जाने और सत्यापन रिपोर्ट संबंधित विभाग को प्रेषित किए जाने के लिए नामित किया गया है लेकिन यह संस्था मृतप्राय है।

संस्थाएं जवाब नहीं देती
पत्र में कहा गया है कि औद्योगिक विकास से जुड़ी संस्थाएं उद्यमियों का सहयोग नहीं करती हैं।यूपीएसआईडीसी व यूपी सी डा एक ऐसी संस्था है जिसके स्तर से चेंबर जैसी मान्य संस्थाओं के पत्रों का न तो जवाब दिया जाता है और ना ही संदर्भित किए गई इकाइयों के मामलों का कई माह तक निस्तारण हो पाता है.ऐसी स्थिति में क्षेत्र के विकास की कल्पना करना ही निरर्थक है।

पत्र में कहा गया है कि बुन्देलखण्ड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री झांसी ने अपने चेंबर कार्यालय भवन /ऑडिटोरियम हॉल के निर्माण हेतु ग्रोथ सेंटर बिजौली में लगभग 3000 वर्ग मीटर के भूखंड के आवंटन हेतु अग्रिम धनराशि जमा करते हुए आवेदन किया था। जिसके फलस्वरूप यूपीएसआईडीसी द्वारा भूखंड संख्या एच-3 फेस-1क्षेत्रफल 568 वर्ग मीटर का आवंटन किया था। जिसे चेंबर ने स्वीकार नहीं किया और यह आवंटन सरेंडर कर दिया था तथा चेंबर द्वारा जमा कराई गई धनराशि 233046रुपये ब्याज सहित वापस करने हेतु यूपीएसआईडीसी कार्यालय में रसीद उपलब्ध करा दी थी। इसके बाद इसके लिए कई बार ई-मेल पर पत्र भेजते हुए ध्यान आकृष्ट कराया गया, परंतु अभी तक उसका उत्तर प्राप्त नहीं हुआ। न जमा की गई धनराशि को वापस कराने हेतु क्षेत्रीय कार्यालय को निर्देश जारी किए गए।

नई औद्योगिक नीति में उद्यमियों की उपेक्षा
चेंबर ने पत्र के जरिए बताया है कि नई औद्योगिक निवेश नीति 2017 से संबंधित उद्यमियों की किस  तरह उपेक्षा की जा रही है। इसमें बताया गया है कि झांसी जनपद में 7 वें किलोमीटर पर स्थित पाल कॉलोनी ग्वालियर रोड झांसी पर स्थापित औद्योगिक इकाई मेंसर्स हैककुल पैकवेल प्राइवेट लिमिटेड ने 9.5 करोड रुपए का पूंजी निवेश करते हुए अपने उद्योग का विस्तार किया, जिसने उत्तर प्रदेश राज्य वस्त्र निगम के अंतर्गत घोषित नीति की सुविधाएं प्राप्त कर ली थी। इस इकाई के पक्ष में आयुक्त झांसी मंडल झांसी की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा उपलब्ध होने वाली सुविधाओं की स्वीकृति प्रदान की गई। जिसके आधार पर औद्योगिक के इकाई का निरीक्षण अपर मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश राज्य वस्त्र निगम रमा रमण द्वारा किया गया था।

उन्होंने उद्योग की सराहना की और किए गए पूंजी निवेश की सत्यापन रिपोर्ट जल्द भेजने हेतु निर्देश दिए। पिकअप की  सक्षम अधिकारियों की टीम ने 15 माह पूर्व  के लिए किए गए निवेश का निरीक्षण किया था परंतु उनके द्वारा अभी तक सत्यापन रिपोर्ट  स्वीकृति धनराशि के  वितरण  हेतु  वस्त्र निगम को नहीं भेजी गई ।यदि उद्योग को समय से शासन द्वारा उपलब्ध कराई गई सुविधाओं के अनुसार स्वीकृति धनराशियों का समय से वितरण नहीं होता तब उद्योग प्रारंभिक अवस्था में ही बीमार हो जाता है, अथवा इकाई रूग्ण में हो जाती है ।इसी तरह अन्य 9 उद्योगों को भी औद्योगिक निवेश नीति 2017 के अंतर्गत उपलब्ध सुविधाओं की प्राप्ति नहीं हो पाई, जबकि उनके पक्ष में आयुक्त झांसी मंडल की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा स्वीकृत प्रदान की जा चुकी है।

हतोत्साहित हो रहे हैं उद्यमी

कहने का आशय यह है कि नई औद्योगिक निवेश नीति की घोषणा तो कर दी गई ,जो केवल कागजों तक ही सीमित प्रतीत होती है।इसमें उपलब्ध होने वाली सुविधाओं की स्वीकृति धन राशियों का वितरण 1 साल के अंतराल के बाद भी किसी भी उद्योग को नहीं हो पाया है।जिससे नए उद्यमी प्रदेश में उद्योग लगाने हेतु हतोत्साहित हो रहे हैं बुंदेलखंड के झांसी जनपद की सीमाएं लगभग आठ नौ किलोमीटर की दूरी पर मध्य प्रदेश से लगी हुई है जहां पर इस क्षेत्र के उद्यमी उद्योग लगाने में ज्यादा इच्छुक रहते हैं क्योंकि वहां पर उद्योग स्थापित होने पर मिलने वाली सब्सिडी आदि की सुविधाएं एक-दो माह में ही उपलब्ध हो जाती हैं और बिजली की दरें भी दो रुपए प्रति यूनिट कम है।

क्षेत्रीय कार्यालय बना पोस्ट ऑफिस

बुन्देलखण्ड के उद्यमियों द्वारा लगातार मांग की जा रही है कि जिला एवं मंडली उद्योग बंधु की बैठकों में लिए गए निर्णय के अनुरूप झांसी में यूपीएसआईडीसी का क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित हुआ है जिसमें उद्यमियों को हर कार्य के लिए कानपुर न दौडना  पड़े। प्रारंभ में यूपी एसआईडीसी के मुख्यालय कानपुर द्वारा केंद्रीकृत अधिकारों को क्षेत्रीय प्रबंधक को दिए गए, लेकिन बाद में सभी केंद्रीय अधिकार मुख्यालय स्तर पर ही रख लिए गए हैं इसलिए झांसी में स्थित क्षेत्रीय कार्यालय केवल पोस्ट ऑफिस की तरह ही कार्य कर रहा है और हर कार्य के लिए मुख्यालय से अनुमोदन प्राप्त कर करता है।जिससे उद्यमियों की समस्याएं काफी समय तक लटकी रहती हैं।इस तरह की समस्याओं के निस्तारण में उधमी हर जिला स्तरीय मंडल स्तरीय उद्योग बंधु की बैठकों में अपनी आवाज बुलंद करते रहते हैं, लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकल रहा है।

इस बारे में बुन्देलखण्ड चेंबर ने कहां है कि उपरोक्त मामले की गहराई से जांच कराकर, ऐसे उच्च स्तरीय विभागों की जिम्मेदारी निर्धारित करते हुए कड़ी कार्रवाई अमल में  लाई जाए ताकि धरातल पर उन योजनाओं का क्रियान्वयन सही ढंग से हो सके।

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