कोयला नहीं मिला तो बुंदेलखंड में गहरा सकता है, बिजली का संकट

कोयले की कमी से जूझ रहे पारीछा थर्मल पावर प्लांट के सामने एक बार फिर संकट गहराने लगा है। स्थिति यह है कि झांसी के..

कोयला नहीं मिला तो बुंदेलखंड में गहरा सकता है, बिजली का संकट
फाइल फोटो

कोयले की कमी से जूझ रहे पारीछा थर्मल पावर प्लांट के सामने एक बार फिर संकट गहराने लगा है। स्थिति यह है कि झांसी के पारीछा थर्मल पावर प्लांट में बिजली उत्पादन के लिए सिर्फ एक दिन का ही कोयला बचा है। वहीं ललितपुर के बजाज पावर प्लांट में भी मात्र पांच दिनों के लिए ही कोयला शेष है। ऐसे में भीषण गर्मी में बिजली संकट गहरा सकता है।

पारीछा पावर प्लांट में बिजली उत्पादन के लिए प्रतिदिन 16 हजार टन कोयले की जरूरत होती है, लेकिन कोयले की कमी के कारण बुधवार को सिर्फ एक रैक 3800 टन ही मिला है। इससे बिजली उत्पादन पर असर पड़ सकता है। अगर समय से कोयला नहीं मिला तो यूनिट बंद भी हो सकती है। उधर, ललितपुर के बजाज पावर प्लांट में भी सिर्फ पांच दिनों का ही कोयला बचा हुआ है। अगर जल्द ही कोयला नहीं मिला तो यहां भी बिजली उत्पादन कम हो जाएगा। इससे बिजली उत्पादन का संकट गहरा सकता है।

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वर्तमान में पारीछा थर्मल पावर प्लांट की चार इकाइयां हैं, जिनसे मांग के अनुसार प्रतिदिन 910 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है। वहीं, कोयले की कमी होने पर 510 और 710 मेगावाट बिजली का उत्पादन ही हो पाता है। इससे 400 से 200 मेगावाट की बिजली के उत्पादन में कमी हो जाती है। वहीं, ललितपुर के बजाज पावर प्लांट की तीनों यूनिटों को पूरी क्षमता के साथ चलाया जा रहा है, जिनसे 1980 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है, लेकिन प्लांट के पास सिर्फ पांच दिनों का कोयला ही बचा है। इससे बिजली का उत्पादन कम होने की संभावना है। यदि समय से और कोयला नहीं मिला, तो यूनिट भी बंद हो सकती हैं। 

इस बीच उ. प्र.पावर कारपोरेशन ने भी पारीछा थर्मल पावर प्लांट और ललितपुर के बजाज पावर प्लांट से कोयले की कमी के चलते रिपोर्ट मांगी है। इस संबंध में जल्द ही हल निकलने की संभावना जताई जा रही है। इस बारे में पारीछा थर्मल पावर प्लांट मुख्य महा प्रबंधक एम. के. सचान ने बताया कि पारीछा थर्मल पावर प्लांट में सिर्फ एक दिन का कोयला बचा हुआ है। बुधवार को सिर्फ एक रैक 3800 टन कोयला मिला है। जबकि 910 मेगावाट बिजली के उत्पादन के लिए प्रतिदिन 16 हजार टन कोयले की जरूरत होती है। कोयले की कमी के कारण बिजली का उत्पादन भी दिन में 510 और रात में 710 मेगावाट किया जा रहा है।

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