एकीक्रत कृषि प्रणाली को  बुन्देलखण्ड में क्षेत्रानुकूल विकसित किया जाये-अपरमुख्य सचिव, कृषि

विश्वविद्यालय के छात्र द्वारा विकसित उद्यम इस विश्वविद्यालय की ही नही बल्कि बुन्देलखण्ड की पहचान बनेगे। बुन्देलखण्ड..

एकीक्रत कृषि प्रणाली को  बुन्देलखण्ड में क्षेत्रानुकूल विकसित किया जाये-अपरमुख्य सचिव, कृषि

एकीक्रत कृषि प्रणाली को  बुन्देलखण्ड में क्षेत्रानुकूल विकसित किया जाये-अपरमुख्य सचिव, कृषिविश्वविद्यालय के छात्र द्वारा विकसित उद्यम इस विश्वविद्यालय की ही नही बल्कि बुन्देलखण्ड की पहचान बनेगे। बुन्देलखण्ड परिक्षेत्र मे सर्वागींण विकास के लिये कृषि का स्थान महत्वपूर्ण है जिसके आधुनिक एवं तकनीकी विस्तार के लिये कृषि विश्वविद्यालय, बांदा कार्य कर रहा है। विश्वविद्यालय के छात्र द्वारा विकसित उद्यम इस विश्वविद्यालय की ही नही बल्कि बुन्देलखण्ड की पहचान बनेगे।

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यह बात उ.प्र. सरकार कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान के अपर मुख्य सचिव डा. देवेश चतुर्वेदी ने कृषि विश्वविद्यालय, बांदा के विशेष भ्रमण पर कही।उन्होने कहाकि तकनीकी का विस्तार कृषकों तक अवश्य पहुचें। विश्वविद्यालय कृषि मे उद्यमि विकसित करने हेतु कार्य करे। बुन्देलखण्ड के कृषको के लिये उच्च गुणवत्तयुक्त बीज प्राप्त हो सके इसके लिये कृषि प्रक्षेत्र को विकसित किया जाना आवश्यक है जिसके लिये धन को समय समय पर शासन द्वारा अवमुक्त किया जायेगा। एकीक्रत कृषि प्रणाली को क्षेत्रानुकूल विकसित किया जाये। जिसमे कृषि वैज्ञानिको का महत्वपूर्ण योगदान होगा। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि जैविक खेती को बढावा देने हेतु एकीक्रत कृषि प्रणाली एक सफल प्रयोग साबित हो सकता है। इसे पूरे बुन्देखण्ड मे क्षेत्रानूकूल विकसित किया जाये। पशुपालन एवं पशु चिकित्सा महाविद्यालय खोलने हेतु आवश्यक कार्यवाही की जायेगी।

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ज्ञात हो कि अपर मुख्य सचिव विश्वविद्यालय मे चल रही गतिविधियों, परियोजनाओ, तथा इन्हे संचालित करने मे आ रही कठिनाइयों की समीक्षा करने के लिये एक दिवसीय भ्रमण पर आए थे। अपर मुख्य सचिव इस दौरान शुष्क खेती अनुसंधान उत्कृष्ठता केन्द्र परियोजना के अन्तर्गत आणविक पादप प्रजनन प्रयोगशाला का लोकापर्ण तथा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना द्वारा वित्तपोषित मधुमक्खी पालन परियोजना मे चयनित 7 एफ.आई.जी. के कृषको को मधुमक्खी पालन हेतु बक्से प्रदान किये गये एक ग्रुप को 50 बाक्स प्रदान किये जाने हैं।

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भ्रमण के दौरान उन्होने एकीक्रत कृषि प्रणाली माडल को देखा और वैज्ञानिको को सराहा। संरक्षित ख्ेाती के संरचना मे लगाये गये टमाटर खीरा, चेरी, टमाटर तथा शिमला मिर्च को देखा। औषधीय वाटिका मे हल्दी, लेमनग्रास कालमेघ, अश्वगंधा, सहजन की खेती के साथ-साथ वानिकी महाविद्यलाय मे स्थापित टिश्यू कल्चर लैब बास से बने हुये उत्पाद को भी देखा और छात्रो एवं वैज्ञानिको द्वारा किये गये कार्य को सराहा। मछली पालन इकाई के बारे मे जानकारी प्राप्त की। प्रक्षेत्र भ्रमण के दौरान उन्होने नीलगाय तथा अन्नापशु से हुये नुकसान को भी देखा। प्रक्षेत्र विकास के लिये उन्होने हरसम्भव मदद करने का अश्वासन दिया।

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समीक्षा बैठक के दौरान विश्वविद्यालय की प्रगति आख्या डा. बी0के0 सिंह, निदेशक प्रशासन ने प्रस्तुत किया। इस दौरान अपर मुख्य सचिव ने सभी वैज्ञानिकों तथा विशेष रूप से कुलपति महोदय को कम समय मे किये गये उत्कृष्ठ कार्य के लिये सराहा। डा0 चतुर्वेदी ने कहा कि कुलपति डा0 यू0एस0 गौतम के नेतृत्व मे विश्वविद्यालय सफलता के नित्य नये सोपान चढ रहा है। यहा से पढे छात्र उच्च शिक्षा हेतु देश के नामचिन विश्वविद्यलायो मे दाखिला प्राप्त कर रहे है। शिक्षा को और आधुनिक और रोजगारपरख बनाने की आवश्यकता हैं।

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उन्होने वैज्ञानिको से अपने अपने विषयों मे बुन्देलखण्ड क्षेत्र के लिये उत्कृष्ठ कार्य करने के लिये प्रेरित किया साथ ही यह अश्वासन दिया कि सरकार हरसम्भव समय समय पर आवश्यक धनराशि को अवमुक्त करती रहेगी। रूकी हुई परियोजनाये जल्द ही शरू की जायेगी।अपर मुख्य सचिव ने बांदा जिले के जिलाधिकारी आनंद कुमार सिंह से हुई वार्ता के दौरान कहा कि विश्वविद्यलाय द्वारा केन्द्रीय विद्यालय को आवंटित किये गये भूखण्ड को तथा नये सत्र की शुरूवात के लिये दिये गये भवन को अपने स्तर से देख कर पठन पाठन शुरू करायें। केन्द्रीय विद्यालय की स्थापना से बांदा जिले के लोग लाभान्वित होगें।

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विश्वविद्यालय के कुलपति डा. यु.एस. गौतम ने भ्रमण के दौरान किये गये कार्य तथा उद्देश्यो को बराकी से बताया। डा. गौतम ने कहा कि अल्प व उपलब्ध संसाधनो का समुचित प्रयोग कर शोध के कार्यो को बढाया है। कार्यक्रम का संचालन सह निदेशक प्रसार डा. नरेन्द्र सिंह द्वारा किया गया। भ्रमण एवं बैठक मे विश्वविद्यालय के कुलसचिव एंव अधिष्ठाता कृषि प्रो. जी.एस. पवांर, अधिष्ठाता उद्यान प्रो. एस.वी. द्विवेदी, सह अधिष्ठाता वानिकी डा. संजीवकुमार, निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र प्रो. मुकुल कुमार, डा. प्रिया अवस्थी, डा. ए..के. श्रीवास्तव, डा. ए.सी. मिश्रा, डा. एस.के. सिंह, के अलावा विश्वविद्यालय के विभिन्न अधिकारी विभागाध्यक्ष एवं प्राध्यापक उपस्थित रहे।

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