जल सहेलियां कर रही अपनी जल विरासत को बचाने का काम : सांसद

जल सहेलियां अपनी जल विरासत को बचाने का काम कर रही हैं। आप सभी इस क्षेत्र में एक मजबूत जिंदगी की कड़ी जोड़ती हैं..

जल सहेलियां कर रही अपनी जल विरासत को बचाने का काम : सांसद
झांसी सांसद (Jhansi MP)

  • सम्मेलन में जल सहेलियां, पानी एवं परमार्थ पत्रिका का हुआ विमोचन

जल सहेलियां अपनी जल विरासत को बचाने का काम कर रही हैं। आप सभी इस क्षेत्र में एक मजबूत जिंदगी की कड़ी जोड़ती हैं। मैं जब भी संसद में बात करता हूं तो बुन्देलखण्ड की प्यास की बात जरूर करता हूं। यह बात झांसी-ललितपुर संसदीय क्षेत्र के सांसद अनुराग शर्मा ने परमार्थ संस्थान द्वारा आयोजित जल सहेली सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप सम्बोधित करते हुए कही।

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उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड हिंदुस्तान का वह इलाका है जहां सदियों से स्त्रोंतों काे संरक्षित किया गया था। बुन्देलों-चंदेलों द्वारा 6 हजार के लगभग वाबडियों का निर्माण किया गया। जिससे इलाके में कभी भी जल संरक्षण का सामना नहीं करना पड़ा। लेकिन सालों से हम लोगों द्वारा स्त्रोंतों को संरक्षित न करने से यह स्त्रोत अब लुप्त हो गये हैं।

पूरे बुन्देलखण्ड में अब बावड़ियां ढूढ़े नहीं मिलती है। आप सब जो काम कर रही है वह भगवान का काम है, आप सब देवी का स्वरूप हैं। जब तक हम अपनी विरासत को सम्हाल कर नहीं रखेगे, हर एक बूंद को गंगाजल नहीं मानेगें तब तक बुन्देलखण्ड प्यासा ही रहेगा। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के लिए गांव में जो भी व्यक्ति काम करवाना चाहता है वह सभी काम मनरेगा के अन्तर्गत किये जा रहे हैं।

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विशिष्ठ अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष पवन गौतम ने कहा कि इस जल संरक्षण की मुहिम में मैं स्वयं टीम के रूप में जुड़कर काम करना चाहता हूं। इस बार जिला पंचायत द्वारा गांवों में पेयजल, जल संरक्षण एवं पर्यावरण को लेकर प्रमुखता से काम किया जायेगा। जल जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक डाॅ. संजय सिंह ने कहा कि आज बुन्देलखण्ड में 1 हजार से ज्यादा जल सहेलियां हैं जो अपने-अपने गांव मेें जल संरक्षण को लेकर कार्य कर रही हैं। उन्होंने सभी जल सहेलियों की सहमति से प्रस्ताव पारित कराया कि इस क्षेत्र में एक साल में दस हजार से ज्यादा जल सहेलियां बनायी जायेगी साथ ही उनके द्वारा पानी की विरासत को बचाने का काम किया जायेगा।

सम्मेलन में उपस्थित इतिहासविद डाॅ. चित्रगुप्त ने कहा कि बुदेलखण्ड में प्राचीन काल से संसाधन की व्यवस्था सुदृढ़ रही है। चंदेलों और बुंदेलों के साथ-साथ गोसाई संयासियों ने यहां तालाब बाबड़ी और कुएं बनवाये। मारवाड़ सहित विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले व्यापारियों ने यहां के जल संसाधनों से प्रेरणा लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में जल संरक्षण के लिए कार्य किया है, जिनके अवशेष आज भी सुरक्षित है। वर्तमान में जल सहेलियां अब जल वीरागंना की भूमिका में हैं। बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के प्राध्यापक डाॅ. मोहम्मद नईम ने कहा कि जल सहेलियों के काम को अब पाठयक्रम में भी जगह दी जा रही है, बच्चे जल सहेलियों के काम को देखकर उनसे जल संरक्षण के बारे में सीख ले रहे हैं।

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  • छतरपुर में अंधविश्वास खत्म कर बनवाया था तालाब

छतरपुर से आई जल सहेली गंगा देवी ने कहा गांव के पास एक तालाब को अंधविश्वास के कारण सही नहीं कराया जाता था। उनके द्वारा उस तालाब को बनवाया गया। जिससे गांव में अंधविश्वास खत्म हुआ एवं तालाब में पूरे साल पानी भरा रहता है।

जिसका गांव के लोगों को भी लाभ मिल रहा है। कार्यक्रम में जल सहेली श्रीकुंवर, मीरा ठाकुर, गीता देवी, पुष्पा देवी, रेखा सोनी, रामदेवी के द्वारा अपनी जल संरक्षण की कहानी अपनी जुबानी सुनायी।

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  • 11 जल सहेलियां वाटर चैम्पियन अवार्ड से सम्मानित

सम्मेलन में सांसद अनुराग शर्मा द्वारा जल संरक्षण के क्षेत्र मेें अग्रणी काम करने वाली 11 जल सहेलिया में शारदा देवी, सोना सहरिया, पूजा देवी, सुशीला देवी, अर्चना सोनी, रानी यादव, नीतू, राजकुमारी, बबीता, रानी देवी, सुशीला देवी को वाटर चैम्पियन अवार्ड से सम्मानित किया गया।

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हि.स

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