झाँसी : उ.म. रेलवे ने दी सौगात, कई स्टेशनों पर लगवाई 10 ₹ के नोट छापने की मशीन

एक ओर जहां कोविड के चलते त्राहि-त्राहि मची हुई है, लोगों के व्यवसाय बन्द हो गए, गरीब मजदूर पलायन कर रहे, एक समय ऐसा था कि सब कुछ थम सा गया था...

झाँसी : उ.म. रेलवे ने दी सौगात, कई स्टेशनों पर लगवाई 10 ₹ के नोट छापने की मशीन

आज कोरोना का भय तो खत्म नहीं हुआ लेकिन पेट की भूख और परिवार पालने की चिंता के सामने कोरोना न टिक सका। धीरे-धीरे समय और काम-धंधे की गाड़ी जब पटरी पर आने की कोशिश ही कर रही थी तभी रेलवे ने भी अपनी स्पेशल रेलगाड़ियों को पटरी पर दौड़ाना शुरू कर दिया। लेकिन पिछले कई माह से बंद पड़ी सवारी गाड़ियों का संचालन बन्द होने से रेलवे को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा।

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इस नुकसान की भरपाई के लिए रेलवे ने एक नई स्कीम चालू की जिसका नाम रखा इनोवेशन आईडिया। इस में कोविड से बचाव एवं रेलवे को होने वाले फायदे को ध्यान में रखते हुए कुछ विचार रखे गए,जिसमें यह निर्णय लिया गया कि झाँसी मंडल के मुख्य स्टेशनों पर बैग सेनेटाइजिंग की मशीनों को लगाया जाए, जिससे ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों का बैग,सूटकेस आदि सेनेटाइज कर ही ट्रेन में जाएं ताकि कोरोना संक्रमण के खतरे को कम किया जा सके।और झाँसी मंडल के मुख्य स्टेशन झाँसी,ग्वालियर,बाँदा,ललितपुर एवं चित्रकूट स्टेशनों पर इन्हें स्थापित किया गया।

क्या हैं इस मशीन इस्तेमाल के नियम एवं शर्तें
नियमानुसार इस मशीन का इस्तेमाल यात्री का बैग सेनेटाइज करना यात्री की स्वेच्छा से किया जाएगा जिसका शुल्क निर्धारित ₹10/- प्रति यात्री होगा चाहे उसके पास कितने भी बैग हों। लेकिन देखा यह जा रहा है कि मशीन के आसपास खड़े मशीन के ठेकेदारों द्वारा जबरन दवाब बनाकर सभी यात्रियों के बैग्स को सेनेटाइजिंग मशीन से गुजारा जा रहा और प्रति बैग ₹ 10/- वसूला जा रहा। जबकि रेलवे नियमानुसार यात्रियों पर बैग सेनेटाइजिंग का कोई दवाब नहीं होना चाहिए।

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आखिर क्यों बनाया जा रहा यात्रियों पर दवाब?
दरअसल कोविड के चलते सवारी गाड़ियों एवं रेल यात्रियों की संख्या कम होने के कारण इस प्रकार का दवाब बनाया जा रहा है ताकि ठेकेदार द्वारा रेलवे को देने वाली फीस झाँसी,ग्वालियर,बाँदा,ललितपुर,एवं चित्रकूट की मशीनों की क्रमशः 2लाख, 2 लाख, 1 लाख, एवं .75, .75 लाख निकाली जा सके।

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जहां रेलवे ने एक ठेकेदार को बैग सेनेटाइज करने का ठेका तो दे दिया लेकिन बैग सूटकेस के सामने इंसान की कोई कीमत नहीं, किसी भी यात्री को सेनेटाइज करने का न तो कोई इंतजाम किया गया न और न ही सोशल डिस्टेंस का ध्यान प्रवेश द्वार किया गया जो फोटोज में साफ दिखाई दे सकता है।

सवाल यह है कि क्या कमाई के लिए  सुरक्षा से खिलवाड़ चलता रहेगा, कब तक गरीब मजदूर की जेब किसी बहाने से ढीली की जाएगी।

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