मुक्केबाजी में हारकर भी लवलीना ने रचा इतिहास, भारत को दिलाया तीसरा पदक

टोक्यो ओलंपिक्स के 69 किग्रा वर्ग महिला मुक्केबाजी के सेमीफाइनल में भारत की 23 वर्षीय लवलीना हार गई हैं। उनका मुकाबला तुर्की की मौजूदा विश्व..

मुक्केबाजी में हारकर भी लवलीना ने रचा इतिहास, भारत को दिलाया तीसरा पदक
लवलीना ने रचा इतिहास..

टोक्यो ओलंपिक्स के 69 किग्रा वर्ग महिला मुक्केबाजी के सेमीफाइनल में भारत की 23 वर्षीय लवलीना हार गई हैं। उनका मुकाबला तुर्की की मौजूदा विश्व चैंपियन बुसेनाज सुरमेनेली से हुआ। सुरमेनेली शुरू से हावी रहीं और उन्होंने 5-0 से जीत दर्ज कीं।

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वहीं लवलीना का एक अंक कम भी कर दिया गया था क्योंकि रेफरी द्वारा रोके जाने के बाद भी लवलीना ने पंच मारा था। लवलीना आज जीत जातीं तो सिल्वर पक्का हो जाता। अब उन्हें कांस्य मेडल से संतोष करना पड़ेगा। टोक्यो ओलंपिक्स में यह भारत का तीसरा पदक है।

मैच के बाद लवलीना ने कहा, सदमे में हूं। मैं एक ही रणनीति के साथ रिंग में उतरी थी कि जितनी मार खाऊं, उतना मारूं। ओलंपिक्स में इस स्तर पर पहुंचने वालीं वे देश की पहली मुक्केबाज हैं। यदि वे फाइनल में पहुंचती तो भी ऐसा करने वाली देश की पहली भारतीय होती। कांस्य पदक पक्का कर वह पहले ही विजेंदर सिंह (2008) और एम सी मैरीकॉम (2012) की बराबरी कर चुकी हैं।

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रियो और लंदन में पिछले दो ओलंपिक खेलों में गोल्ड मेडल के भारत के सूखे को समाप्त करने के लिए लवलीना की नजर स्वर्ण पदक पर थी। लवलीना ने अब तक के अपने प्रदर्शन से सभी को चौंका दिया था। उन्होंने चीनी ताइपे के डबल विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता चेन निएन-चिन को 4-1 से हराकर शीर्ष चार में स्थान हासिल किया था।

लवलीना असम की रहने वाली हैं। यहां असम विधानसभा का सत्र चल रहा है, लेकिन बुधवार को विधानसभा की कार्रवाई रोककर सभी मंत्री और विधायक यह मुकाबला देखा। सभी को भरोसा था कि उनके प्रदेश की बेटी आज देश का गौरव और बढ़ाएगी। हालांकि देश के लिए कांस्य पदक जीतने भी बहुत बड़ी उपलब्धि है।

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