अब यूपी में भी हरियाणा की तरह ‘गोरखधंधा’ शब्द पर प्रतिबंध लगाने की वकालत

हरियाणा में सरकार ने ‘गोरखधंधा’ शब्द के इस्तेमाल करने पर रोक लगा दिया है।जिससे उत्तर प्रदेश में भी इस शब्द पर रोक लगाने की..

अब यूपी में भी हरियाणा की तरह ‘गोरखधंधा’ शब्द पर प्रतिबंध लगाने की वकालत
गुरु गोरखनाथ ( guru gorakhnath )

हरियाणा में सरकार ने  ‘गोरखधंधा’ शब्द के इस्तेमाल करने पर रोक लगा दिया है। जिससे उत्तर प्रदेश में भी इस शब्द पर रोक लगाने की वकालत शुरू हो गई है। इस शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर अनैतिक घटनाओं का जिक्र करने के लिए किया जाता है। गोरख धंधा नाथ संप्रदाय के गुरु गुरु गोरखनाथ से जुड़ा हुआ है। कहां जाता है इस शब्द के प्रयोग से संत गोरखनाथ के अनुयायियों की भावनाओं को ठेस पहुंचती है।

कन्नौज से भाजपा सांसद सुब्रत पाठक का कहना है कि हरियाणा की तरह उत्तर प्रदेश में भी श्गोरखधंधाश् शब्द के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। इस शब्द से गुरु गोरखनाथ के अनुयायियों की भावनाएं आहत होतीं हैं। ऐसे शब्दों की अनुमति देना अनैतिक है। इस मांग के साथ उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजा है।

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सांसद सुब्रत पाठक का कहना है कि हरियाणा सरकार श्गोरखधंधा शब्द के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा चुकी है। यह ऐसा शब्द है, जिसका इस्तेमाल गलत प्रथा के लिए किया जाता है। यह शब्द कब गढ़ा गया था, इसकी भी किसी को जानकारी नहीं है। इससे लगता है कि यह शब्द हमारी सनातन संस्कृति और संतों को बदनाम करने की साजिश का हिस्सा था। सांसद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस शब्द पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर को धन्यवाद भी दिया है।

बताते चलें कि  हरियाण में अब गोरखधंधा शब्द नहीं बोला जाएगा। मनोहर लाल खट्टर सरकार ने गोरखधंधा शब्द के प्रयोग किए जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस शब्‍द का इस्‍तेमाल आमतौर पर अनैतिक प्रथाओं का जिक्र करने के लिए किया जाता है। गोरखधंधा नाथ संप्रदाय के संत गुरु गोरखनाथ से जुड़ा हुआ है। आधिकारिक बयान के अनुसार, गोरखनाथ समुदाय के प्रतिनिधिमंडल से मिलने के बाद सीएम मनोहर लाल खट्टर ने यह फैसला किया है। 

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  • कहां से आया गोरखधंधा शब्द

विकिपीडिया पर गोरखधंधा शब्द के ऐतिहासिक सफर का जिक्र है। इसके मुताबिक, गोरख धंधा शब्द गुरु गोरखनाथ के कई चमात्कारिक सिद्धियों के कारण प्रयोग में आया था। वह तंत्र के ज्ञाता थे. शुरुआत में बहुत जटिल, बहुत उलझे हुए काम को गोरखधंधा कहा जाता था।

एक भजन भी है, ‘माया का गोरखधंधा, कोई समझ न पाए रे’. यहीं से नुसरत फतेह अली खान, जब अपनी कव्वाली गाते हैं तो मुखड़े में कहते हैं, ‘तुम इक गोरखधंधा हो.’ यह कव्वाली कई सालों से काफी मशहूर है।

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  • गुरु गोरखनाथ ने बनाया था एक खास यंत्र

गोरखनाथ जिस धंधा का प्रयोग करते थे, दरअसल यह उनके एक यंत्र का नाम था, जिसे धंधारी या धंधाधारी कहा जाता था। गोरखपंथी साधु लोहे या लकड़ी की सलाइयों के हेर-फेर से एक चक्र बनाते हैं. उस चक्र के बीच में एक छेद करते हैं।

इस छेद में से कौड़ी जो कि धागे से बंधी होती है, उसे डालते हैं. फिर मन्त्र पढ़कर उसे निकालते हैं। गोरखपंथियों का मानना था कि जो भी इस कौड़ी को सही तरीके से बाहर निकाल लेता था उस पर गुरु गोरखनाथ की विशेष कृपा होती थी और वह जीवन भर किसी भी किस्म के जंजाल में नहीं उलझता था। धागे में बंधी इस कौड़ी को बिना धागे के उलझे या किसी अन्य वस्तु को छुए निकालना होती थी।

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इस तरह देखा जाए तो ‘गोरखधंधा’ कोई अपमानजनक शब्द नहीं है. वास्तव में यह शब्द तो खुद गुरु गोरखनाथ ने घुमंतु गोरखपंथी साधुओं के लिए ईजाद किया था। ऐसे में ‘गोरखधंधा’ शब्द पर पाबंदी लगाए जाने के प्रस्ताव का विरोध किया जा रहा था।

हरियाणा सरकार ने गोरखधंधा पर प्रतिबंध तो लगा दिया है। लेकिन देखना यह है कि क्या वाकई यह शब्द फिर से अपने सकारात्मक अर्थ को पा सकेगा या नहीं, क्योंकि गुरु गोरखनाथ के ही शब्दों नें आप बाहरी रोक-टोक तो कर सकते हैं। लेकिन अंदर की रोक खुद ही करनी होगी। यानी लोगों को अपने मन में खुद ही इसके सही अर्थ को स्वीकार करना पड़ेगा।

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