गुलाबी गैंग कमांडर का डंडा और यूनिफॉर्म, ब्रिटिश संग्रहालय में रखे जाएंगे

अपनी लाठी के बलबूते पर महिलाओं को उनका अधिकार दिलाने के मामले में सुर्ख़ियों में रही गुलाबी गैंग की राष्ट्रीय...

गुलाबी गैंग कमांडर का डंडा और यूनिफॉर्म, ब्रिटिश संग्रहालय में रखे जाएंगे

बांदा, अपनी लाठी के बलबूते पर महिलाओं को उनका अधिकार दिलाने के मामले में सुर्ख़ियों में रही गुलाबी गैंग की राष्ट्रीय कमांडर संपत पाल की लाठी और उनका लिबास गुलाबी साड़ी ब्लाउज और पेटीकोट लंदन के केनसिंगटन डिजाइन संग्रहालय में रखा जाएगा। ब्रिटिश संग्रहालय ने राष्ट्रीय कमांडर के प्रतीक के तौर पर उनसे उनका यूनिफॉर्म और डंडा मांगा था। जिसे संपत पाल ने गुरुवार को भेज दिया है। अपनी प्रतीकात्मक डंडे और यूनिफॉर्म को संग्रहालय में रखे जाने पर उन्होंने खुशी जाहिर की है।

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इस बारे में जानकारी देते हुए गुलाबी गैंग की राष्ट्रीय कमांडर संपत पाल ने बताया कि संग्रहालय की क्यूरेटोरियल प्रमुख प्रिया खानचंदानी ने 2 महीने पहले संपर्क किया था। जूम मीटिंग के बाद गुलाबी गैंग के परिधान 6 माह के लिए संग्रहालय में रखे जाने की बात कही थी। इस पर मैंने खुशी जाहिर करते हुए अपना सामान भेजने की सहमति दी थी। इसी आधार पर आज अपनी साड़ी ब्लाउज और पेटिकोट मैंने भेज दिया है।

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बताते चलें कि गुलाबी गैंग के इस समय देशभर में 11 लाख से अधिक सदस्य हैं। संपत पाल ने महिलाओं को उनका अधिकार दिलाने के लिए 12 फरवरी 2006 में गुलाबी गैंग का गठन किया था और गैंग की हर सदस्य को गुलाबी साड़ी और हाथ में डंडा लेकर चलने की नसीहत दी थी। गैंग जब भी महिलाओं के हक की लड़ाई लड़ने के लिए धरना प्रदर्शन करता था। तब महिलाएं इसी यूनिफॉर्म का प्रयोग करती थी। जिससे गुलाबी साड़ी गुलाबी गैंग की पहचान बन गई। 

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यूपी और भारत की महिलाओं के संघर्ष को वैश्विक पहचान दिलाने वाली इस महिला को जब टीवी सीरियल बिग बॉस में स्थान मिला। तब उसने महिलाओं की हक की बात करके खूब सुर्खियां बटोरी थी। धीरे-धीरे गुलाबी गैंग पूरे देश में छा गया। इस पर माधुरी दीक्षित अभिनीत गुलाब गैंग फिल्म भी बनाई गई थी। इसके अलावा अन्य देशों ने इनके संगठन को लेकर डॉक्यूमेंट्री भी बनाई थी।

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संपत पाल यूपी के जनपद बांदा में  छोटे से गांव कैरी की रहने वाली है। इनका विवाह चित्रकूट जिले के छोटे से गांव रौली में हुआ था। महिलाओं के हक की लड़ाई लड़ने वाली इस महिला को पहले राष्ट्रीय स्तर पर फिर वैश्विक पहचान मिली। इन्होंने राजनीति में भी हाथ आजमाया। कांग्रेस के टिकट पर मऊ मानिकपुर सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा लेकिन चुनाव जीतने में असफल रही। अभी भी राजनीति में सक्रिय हैं और महिलाओं के हक हकूक की लड़ाई के लिए हमेशा तैयार रहती हैं।

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