सात साल पहले रहे छात्र प्रणव, बने कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक

मेधा किसी परिस्थितियों की मोहताज नहीं होती,बल्कि लगन व परिश्रम से उसे उडान जरूर मिलती है....

सात साल पहले रहे छात्र प्रणव, बने कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक
सात साल पहले रहे छात्र प्रणव बने कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक

मेधा किसी परिस्थितियों की मोहताज नहीं होती,बल्कि लगन व परिश्रम से उसे उडान जरूर मिलती है। करीब सात साल पहले बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मे छात्र रहे प्रणव अब वहीं सहायक वैज्ञानिक पद पर चयनित किये गये हैं। प्रणव की इस उपलब्धि से घर परिवार व विश्वविद्यालय के लोग खुश हैं।

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बांदा कृषि विश्वविद्यालय में वर्ष 2013 बैच के छात्र प्रणव कुमार का चयन यूनिवर्सिटी में अलसी परियोजना के अंतर्गत प्रशासनिक तथा सहायक वैज्ञानिक पद पर हुआ है। प्रणव मूलतः बबेरू तहसील क्षेत्र के मझींवा गांव निवासी हैं। पढाई के दौरान अपने बैच में मेधावी छात्रों की फेहरिस्त में शुमार रहे हैं। इनको राज्यपाल द्वारा स्वर्णपदक से पुरस्कृत किया गया था। प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल से पूरी की। पिता पेशे से किसान हैं। विश्वविद्यालय की ओर से चंडीगढ मे सीटीआई द्वारा आयोजित प्रतियोगी सेमीनार में सहभाग करते हुए आपने प्रतियोगिता में जीत हासिल कर यूनिवर्सिटी तथा परिवार का नाम रोशन किया था।

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कुलपति द्वारा आपको प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। एनएसएस एवं विश्वविद्यालय के प्रतियोगिताओ मे आप कई पुरस्कार जीत चुके हैं। प्रणव ने बताया कि कुल दो पदों के लिये हुए साक्षात्कार में बुंदेलखण्ड तथा प्रदेश के अन्य हिस्सों से करीब 40 अभ्यर्थी शामिल हुए थे। उन्होने कहा कि बुंदेलखण्ड शुरू से ही दलहन,तिलहन का गढ रहा है। लिहाजा अलसी उत्पादन को बढावा देने के लिये पूरी लगन व परिश्रम से काम करेंगे। बताया कि गुरूजनों के आशीर्वाद तथा परिश्रम से उन्हें यह सफलता मिली है।

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