प्रेमचंद स्मृति कथा सम्मान वरिष्ठ कथाकर योगेन्द्र आहूजा को मिला

जन संस्कृति मंच के आठवें राज्य सम्मेलन के अवसर पर हार्पर क्लब बाँदा में आयोजित समारोह में प्रेमचंद स्मृति..

प्रेमचंद स्मृति कथा सम्मान वरिष्ठ कथाकर योगेन्द्र आहूजा को मिला
प्रेमचंद स्मृति कथा सम्मान वरिष्ठ कथाकर योगेन्द्र आहूजा..

  • सत्ता समर्थित व्याख्याओं के घने जाल को काटने की जरूरत : आहूजा  

जन संस्कृति मंच के आठवें राज्य सम्मेलन के अवसर पर हार्पर क्लब बाँदा में आयोजित समारोह  में प्रेमचंद स्मृति कथा सम्मान वरिष्ठ कथाकर योगेन्द्र आहूजा को दिया गया। वरिष्ठ कथाकर एवं जन संस्कृति मंच के अध्यक्ष शिवमूर्ति, मुख्य वक्ता आलोचक संजीव कुमार, बजरंग बिहारी तिवारी, वंदना चौबे, कौशल किशोर की उपस्थिति में आयोजन समिति ने योगेन्द्र आहूजा को सम्मान व मानपत्र देकर सम्मानित किया। 

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वरिष्ठ कथाकर योगेन्द्र आहूजा ने सम्मान के लिए आयोजन समिति के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि लिखना अपने आप में एक एकाकी कर्म भले ही हो , यह सन्नाटे में की जाने वाली कोई निजी कार्रवाई नहीं है। लेखक अपने लेखन के एकांत में भी कितने ही अदृश्य दोस्तों से , असंख्य जनों से एकताबद्ध होता है। यह एक साथ ‘अन्य’ से और ‘ अपने’ से संवाद है। लिखना व्यक्तिगत नहीं हो सकता जैसे दुनिया में कुछ भी व्यक्तिगत या सिर्फ़  व्यक्तिगत नहीं होता।

उन्होंने कहा कि हम आज एक राजनीतिक, अर्थनीतिक, सांस्कृतिक दुश्चक्र में फँसे हम एक अनकहे डर और उदासी के बीच हैं। इस समय लेखक का काम और ज़िम्मेदारी पिछले समय से अधिक मुश्किल और बड़ी है। हमें सत्ता समर्थित व्याख्याओं के महीन घने जाल को काटने की कोशिश करनी है। हर सवाल पर एक साफ पोज़ीशन लेनी है जो हवाई क़िस्म की उस गोल मोल मानवीयता से बचते हुए आततायियों के पक्ष में जाती है। 

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मुख्य वक्ता आलोचक एवं जनवादी लेखक संघ के उप महासचिव संजीव कुमार ने कहा कि अस्सी के दशक के आख़िरी समय में कहानी में जो एक मोड़ आया उसके सबसे महत्वपूर्ण कथाकार योगेन्द्र आहूजा हैं। यह वही समय है जब कहानी में ओवर नैरेशन की आपसी हुई। योगेन्द्र आहूजा की कहानी में वाचक का बहुत बोलना अखरता नहीं है। उन्होंने कहा कि योगेन्द्र आहूजा की कहानियों पर और चर्चा की ज़रूरत है और आलोचना के नए उपकरण व शब्दावली की ज़रूरत है।

प्रेमचंद स्मृति कथा सम्मान वरिष्ठ कथाकर योगेन्द्र आहूजा..

उन्होंने कहा कि कथा भूमि, कथा शिल्प से अलग पक्षधरता से प्रेमचंद की परम्परा बनती है और तो योगेन्द्र आहूजा प्रेमचंद की परम्परा के कथाकार हैं। संजीव कुमार ने कहा कि हिंदी का लेखक यथार्थ को नहीं बता सकता वह पाठक को यथार्थ में उतरना और उसे महसूस करना सिखाता है। उन्होंने कहा कि लेखन परंपरा खानदानी नहीं होती, परंपरा पक्षधरता से  बनती है।उन्होंने आलोचना के इस पक्ष को कि ‘लफ्फाज ‘ कहानी में बीच का विवरण हटाया जा सकता है, को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि वह विवरण ही असल कहानी है।

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आलोचक बजरंग बिहारी तिवारी ने कहा कि योगेन्द्र आहूजा अपनी कहानियों में न्याय का सवाल उठाते हैं। न्याय की आवाज़ बनने के कारण वे हमारे प्रिय कथाकार हैं। उन्होंने कहा कि कहानीकार को परम्परा में परखने की कोशिश की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि साहित्य का इलाका दुख से आगे बढ़कर अन्याय को पहचानने का इलाका है। कविता के बोध का जन्म ही अन्याय से  होता है। उन्होंने योगेंद्र आहूजा की कहानी डॉग स्टोरी पर चर्चा करते हुए कहा कि लेखक ने कहानी में न्याय का सवाल उठाये हैं। यह सवाल वंचित, शोषित और अतिरिक्त मूल्य का सवाल है।

युवा कवयित्री वंदना चौबे ने योगेंद्र आहूजा की कहानी कुश्ती और लफ्फाज पर विस्तार से चर्चा करते हुए उन्हें फैज और मुक्तिबोध की परंपरा को आगे बढ़ाने वाला बताया। उन्होंने कहा कि बाजारवाद, पूंजीवाद और अतिरिक्त मूल्य खतरनाक ढंग से शब्द और उनके अर्थ को बदल रहा है। उन्होंने कहा कि लफ्फाज कहानी में शब्द और अर्थ को लेकर इसी बात की चिंता व्यक्त की गई है। कहानी में लफ्फाज अपने अंदर और बाहर इसी सत्य को ढूंढ रहा है। अंत में श्बस लफ्फाजश् की स्वीकृति ही बाहरी संघर्ष का आत्मबोध है।

कवि एवं जन संस्कृति मंच के कार्यकारी अध्यक्ष कौशल किशोर ने कहा कि वर्तमान राज्य व्यवस्था जनता पर बड़ी आपदा की तरह हाई जिससे निजात पाने के लिए जन संघर्षों की एकता बन रही है जिसके साथ संस्कृतिकर्मियों को एका बनाना चाहिए। उन्होंने अपनी कविता ‘ भेड़िया निकल आया है मांद से ‘ सुनाते हुए एकजुट होकर मशाल जलाने का आह्वान किया। उन्होंने योगेंद्र आहूजा की कहानी को बर्बरता के दौर में लेखक की छटपटाहट की रचनात्मकता बताया। 

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युवा कवयित्री वंदना चौबे ने योगेंद्र आहूजा की कहानी कुश्ती और लफ्फाज पर विस्तार से चर्चा करते हुए उन्हें फैज और मुक्तिबोध की परंपरा को आगे बढ़ा अपने अध्यक्षीय उदबोधन में वरिष्ठ कथाकार शिवमूर्ति ने प्रेमचंद स्मृति कथा सम्मान की निरंतरता के लिए आयोजन समिति को बधाई देते हुए कहा कि योगेन्द्र आहूजा हमारे समय के विशिष्ट और एक अलग कथाकार हैं जिनको पढ़ने के लिए पाठक को  परिष्कृत होना पड़ता है। उन्होंने लेखक संगठनों को जनता से और गहरा संबंध बनाने का आह्वान किया। 

प्रेमचंद स्मृति कथा सम्मान वरिष्ठ कथाकर योगेन्द्र आहूजा..

कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रेमचंद स्मृति कथा सम्मान के संयोजक मयंक खरे ने स्वागत वक्तव्य देते हुए कथा सम्मान की यात्रा की चर्चा की। अमिताभ खरे ने सम्मान पत्र का वाचन किया। कार्यक्रम का संचालन कवि बृजेश यादव ने किया। कार्यक्रम में श्री संजय निगम अकेला,श्री रणवीर सिंह चौहान,डॉ प्रमोदमय सैरहा,डॉ रंजना सैरहा,श्री प्रेम सिंह,श्री अरुण खरे,श्री अरुण निगम,श्री शशिभूषण मिश्र,श्रीमती सबीहा रहमानी,श्री वासिब जमा खान,श्री अंकुर कुशवाहा व सीरजधवज सिंह शामिल रहे।

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