सिक्किम की तर्ज पर बुंदेलखंड को जैविक कृषि क्षेत्र घोषित करने की तैयारी

सिक्किम के बाद अब बुंदेलखंड को जैविक कृषि क्षेत्र घोषित करने की तैयारी हो रही है। संसद में यह मुद्दा उठने के बाद अब प्रशासनिक कसरत भी तेज हो गई है..

सिक्किम की तर्ज पर बुंदेलखंड को जैविक कृषि क्षेत्र घोषित करने की तैयारी
बुंदेलखंड को जैविक कृषि क्षेत्र घोषित..

सिक्किम के बाद अब बुंदेलखंड को जैविक कृषि क्षेत्र घोषित करने की तैयारी हो रही है। संसद में यह मुद्दा उठने के बाद अब प्रशासनिक कसरत भी तेज हो गई है। यूुपी के सभी सात जिलों में जैविक फसलों का मौजूदा रकबा और संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। जैविक उत्पादों के लिए अच्छा मार्केट भी तैयार होगा। अभी तक बुंदेलखंड में 10 हजार एकड़ में जैविक खेती हो रही है जिसमें सबसे बड़ा रकबा झांसी का है।

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रासायनिक खादों का कम से कम प्रयोग कर गोमूत्र और गोबर की खाद का अधिक से अधिक प्रयोग करके यहां की खेती को जैविक खेती की तरफ ले जाने की कवायद हो रही है। अभी तक झांसी जिले में 1500 एकड़ में जैविक खेती हो रही है। लेकिन खेती करने वाले किसानों को जैविक उत्पादों को बेचने का अच्छा मार्केट नहीं मिल पा रहा है। यही कारण है कि किसानों को उचित लाभ नहीं मिल पाता। जिससे किसानों को परेशानी होती है। 

बुंदेलखंड को जैविक कृषि क्षेत्र घोषित..

बुंदेलखंड में छुट्टा जानवरों की समस्या भी बड़ी है। इसके समाधान के लिए गांव- गांव में गोशालाएं बनाई गई हैं। लेकिन इनके भी अच्छे परिणाम नहीं आए हैं। इस कारण हमीरपुर के सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने पिछले दिनों संसद में मांग की थी कि बुंदेलखंड को सिक्किम की तर्ज पर आर्गेनिक कृषि क्षेत्र घोषित कर दिया जाए। जो सब्सिडी रासायनिक खादों में दी जा रही है, वह गायों के पालने वालों को दी जाए। इससे गायों का संरक्षण होगा और छुट्टा जानवरों की समस्या हल हो जाएगी। 

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  • जैविक क्षेत्र घोषित होने से गोबर खाद को बढ़ावा मिलेगा

यदि बुंदेलखंड को जैविक कृषि क्षेत्र घोषित कर दिया जाता है तो यहां पर रासायनिक खादों और कीटनाशकों की बिक्री बंद कर दी जाएगी। गोबर की खाद को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे छुट्टा गायों पर लगाम कसेगी, क्योंकि प्रत्येक किसान को गोबर की जरूरत होगी।

गोबर की खाद डालने से खेतों से हानिकारक वैक्टीरिया नष्ट हो जाएंगे। धीरे- धीरे तीन साल में प्रत्येक किसान जैविक खेती करने लगेगा। केवल जैविक कृषि क्षेत्र होने से कारोबारी भी आएंगे।

इस सम्बन्ध में जीरो बजट पर प्राकृतिक खेती के जानकार सुभाष पालेकर देशी गाय के गोबर और मूत्र पर आधारित प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दे चुके हैं। उस प्रशिक्षण में पूरे बुंदेलखंड के किसानों ने हिस्सा लिया था। यदि ऐसा हो जाता है तो यह खेती बुंदेलखंड में मील का पत्थर साबित होगी।

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