काव्य पंक्तियों के माध्यम से वीरांगना लक्ष्मीबाई को याद किया
अखिल भारतीय साहित्य परिषद एवं बुंदेलखंड आजाद सेना के संयुक्त तत्वाधान में वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि के अवसर पर एक काव्य..

अखिल भारतीय साहित्य परिषद एवं बुंदेलखंड आजाद सेना के संयुक्त तत्वाधान में वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि के अवसर पर एक काव्य गोष्ठी दीनदयाल सोनी के आवास में सम्पन्न हुई। जिसमें कवियों ने जिसमें काव्य पंक्तियों के माध्यम से वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई को याद किया।
गोष्ठी की शुरूआत डा.शिवप्रकाश सिंह ने रानी लक्ष्मीबाई को बुंदेलखंड का गौरव बताते हुये कहा-नमन हैं तुम्हे बुंदेलखंड की धरा,तु आन बान शान की प्रतीक हैं वसुंधरा।दीनदयाल सोनी ने संचालन करते हुये पढ़ा-प्रथम राष्ट्र स्वतंत्र समर का दीप जलाकर, निज तन को जिसने दिया बलिदान। उनकी पावन भूमि में पावन समाधि में सुमन चढ़ाकर,आओं चढ़ाकर आओं करें वीरांगना लक्ष्मीबाई का गुणगान।
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कु.शालनी ने कोमल कलाईयां, आंखों में खून था। दुश्मनों से लड़ने का अद्भुत जुनून था। आत्मबल भरा था,न मन कभी डरा था। पंक्तियां पढ़ी।रामप्रताप शुक्ला ने कहा -नारी शक्ति की प्रतीक रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से लड़कर राष्ट् का गौरव बढ़ाया।
प्रमोद आजाद अध्यक्ष बुंदेलखंड आजाद सेना ने बुंदेलखंड की पहचान रानी लक्ष्मीबाई को बताया। राजेश राष्ट्रवादी ने कहा आने वाली पीढ़ियों को उनसे वीरता सीखनी चाहिए। कार्यक्रम में मनोज कुमार मृदुल, चंद्रप्रकाश व्यथित,रामदत्त पटेल सहित दर्जनों युवाओं ने सुभद्रा कुमारी चैहान की लिखित पंक्तियां ‘बुंदेलो मुख हमने सुनी कहानी का सामुहिक गायन किया।
गोष्ठी की अध्यक्षता अखिल भारतीय साहित्य के अध्यक्ष रामप्रताप शुक्ला ने की।
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