प्रायोजित इंटरव्यू मे ही रिया चक्रवर्ती हुई बेनकाब , जाने क्यों ?
आज तक पर रिया कह रही हैं कि सुशांत डिप्रेशन मे था और वो खुद मुझसे बोले कि डाक्टर से मिलवाओ, रिया सुशांत का प्यार हैं और रिया सुशांत से प्यार करती हैं। जहाँ प्यार होता है वहाँ डिप्रेशन जैसी बीमारी छू मंतर से समाप्त हो जाती है..
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आज तक पर रिया कह रही हैं कि सुशांत डिप्रेशन मे था और वो खुद मुझसे बोले कि डाक्टर से मिलवाओ !
रिया सुशांत का प्यार हैं और रिया सुशांत से प्यार करती हैं। जहाँ प्यार होता है वहाँ डिप्रेशन जैसी बीमारी छू मंतर से समाप्त हो जाती है।
जब हमें किसी से प्यार होता है। हम किसी के प्यार मे होते हैं और वो प्यार हमारे आसपास हो तो सचमुच अवसाद जैसी बीमारी आसमान के सातों तल से परे जाकर हमारे मन - मस्तिष्क और देह से जादू की तरह समाप्त हो जाता है , अगर कुछ रह जाता है तो वह आनंद रह जाता है।
प्यार एक अद्भुत अनुभूति है। जिसमे प्यार को महसूस करने वाले अपनी दुनिया में सबसे सुखी इंसान होते हैं और उस प्रेम के वक्त दुनियादारी से परे प्यार की एक दुनिया होती है। उस दुनिया में अवसाद की जगह आनंद का स्वर्ग होता है।
अब कोई राजदीप सरदेसाई जैसा पत्रकार ही प्रेम की इस अनुभूति पर सवाल - जवाब ना करके सिर्फ और सिर्फ एक केन्द्रित विषय पर इंटरव्यू कर सकता है। यह इंटरव्यू कांग्रेस के कुछ नेताओं के शुरूआती ट्विट की तरह है , जो बाते हो रहीं हैं वही सब शिवसेना और कांग्रेस लगातार कह रही है।
परिवार से सुशांत के रिश्ते अच्छे थे या नहीं , सुशांत के पिता ने बचपन में उसकी मां को छोड़ दिया था। यह सबकुछ उसके कला जीवन में उन्नति के शिखर तक बाधक नहीं बना फिर एकाएक अवसाद से घिरे और सुसाइड कर लिए ?
असल में राजदीप सरदेसाई को प्रेम का अनुभव हो या ना हो , वे प्रेम के जानकार हों या ना हों परंतु प्रेम जैसे अहसास को अपने जीवन में हर शख्स कभी न कभी महसूस करता है।
आखिर कोई प्रेम क्यों करता है ? एक समय में किसी के लिए प्रेम महसूस होने का क्या अर्थ है ? ऐसा अहसास जीवन के किसी भी पल में जब महसूस होता है तो महसूस करने वाले असीम आनंद का पल जी रहे होते हैं तो महत्वपूर्ण पहलू सुशांत का और परिवार का रिश्ता नहीं है , परिवार का रिश्ता उसकी तरक्की में कहाँ बाधक था ? कोई कैसे इतनी तरक्की कर लेगा और इतनी तरक्की करने के पश्चात परिवार की वजह से एकाएक अवसाद मे आकर आत्महत्या क्यों करेगा ?
सुशांत का अतीत कुछ भी हो परंतु वर्तमान उसका रिया थी। यह भी सच है कि जीवन मे प्रेम एक बार होता है और वह आत्मीय प्रेम जीवन का पहला प्रेम होता है तो मायने ये नहीं रखता कि उसका अतीत क्या था ? चूंकि अतीत के बावजूद भी उसकी जिंदगी चल रही थी और वर्तमान रिया थी !
सुशांत के वर्तमान जीवन के केन्द्र मे रिया थी। रिया यह स्वीकार करती हैं कि वे सुशांत से प्यार करती थीं। जब आप दोनो एक - दूसरे से प्यार करते थे तो अवसाद जैसी किसी बीमारी का होना प्यार को झुठला देता है और अवसाद था तो प्यार नहीं था , फिर भी यह सत्य है कि पुरूष अगर किसी स्त्री के संपर्क मे हो और वह स्त्री वास्तव मे उसे प्यार करती हो तो पुरूष को कम से कम इतना गहरा अवसाद नहीं हो सकता कि वह आत्महत्या कर ले !
इसलिए रिया कितना सत्य कह रही हैं ? उसे प्रेम के अहसास से महसूस कर लिया जाए। पत्रकारिता का अपना सवाल - जवाब एक केन्द्र के अंतर्गत निहित होता है। यह स्पष्ट हो रहा है कि कुछ ना कुछ गडबड है और इसी गडबड की सतह पर हत्या या आत्महत्या को साबित करने का युद्ध चल रहा है।
वैसे सच है कि बालीवुड देश की तमाम घटनाओं पर तख्तियां लेकर खड़ा रहा जैसे कि तख्तापलट चाहते हों। किन्तु इस घटना पर तख्तियां लेकर नहीं खड़ा हुआ फिर सहज विश्वास होने लगता है कि कहीं कुछ गडबड है। इस जंग मे आर - पार होना तय हैं। चूंकि यह सिर्फ बालीवुड की बात नहीं है , यह राजनीति , पत्रकारिता और सत्ता की जंग का काकटेल बन चुका है।
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