बाँदा : स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राम भजन निगम के पुत्र को एसआईटी ने 84 के सिख दंगों में भेजा जेल

बांदा जनपद के जाने-माने शिक्षाविद गोवा आंदोलन में भाग लेने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व.राम भजन निगम..

बाँदा : स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राम भजन निगम के पुत्र को एसआईटी ने 84 के सिख दंगों में भेजा जेल

बांदा जनपद के जाने-माने शिक्षाविद गोवा आंदोलन में भाग लेने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व.राम भजन निगम के पुत्र अनिल कुमार निगम को कानपुर में 1984 के सिख दंगों के सिलसिले में बिना जांच पड़ताल के जेल भेज दिया गया है। चार्जशीट में आरोपी का नाम गुड्डू दर्ज है जबकि जेल भेजे गए अनिल निगम का घर का नाम डुड्डू है। उनके बड़े भाई का नाम गुड्डू था जो अब इस दुनिया में नहीं है। उनकी गिरफ्तारी गुरुवार को कानपुर में एसआईटी ने की और तत्काल उन्हें जेल भेज दिया गया। 

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शहर के कटरा मोहल्ले में किरण कॉलेज का संचालन करते थे स्वर्गीय राम भजन निगम। उनके छोटे बेटे हैं अनिल कुमार निगम, जो घर पर ही रह कर टिफिन सेंटर का काम देखते हैं। गुरुवार को एसआईटी ने उन्हें पूछताछ के सिलसिले में कानपुर बुलाया। जिस पर वह अपने एक रिश्तेदार के साथ कानपुर पहुंचे। जहां एसआईटी ने उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। बताते चलें कि 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देशभर में दंगे हुए थे। कानपुर में भी उस समय दंगों के दौरान बड़ी संख्या में लूटपाट और सिखों की हत्या की गई थी।

इस सिलसिले में एसआईटी ने विशेष सेल का गठन कर आरोपी बनाए गए व्यक्तियों को जेल भेजने रही में जुटी है। अनिल निगम की मौसी कानपुर में रहती थी। उस समय मौसी के साथ अनिल निगम के बड़े भाई रहते थे। जिनका नाम गुड्डू था। 1984 में अनिल निगम झांसी में अपनी मां के पास रह कर पढ़ाई कर रहे थे। दंगों के दौरान जो मुकदमा दर्ज हुआ। उसमें गुड्डू नाम से पनकी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी।

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इस बीच अनिल निगम की मौसी और बड़े भाई का निधन हो गया। जिससे अब इनका कानपुर से कोई लेना-देना नहीं। अनिल निगम के रिश्तेदार संतोष कुमार निगम बताया कि 2 साल पहले एसआईटी ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था।तब पता चला था कि 1984 के सिख दंगे में गुड्डू नाम से एक मुकदमा दर्ज़ है।पूछताछ के दौरान अनिल ने स्पष्ट कर दिया था कि मेरा घर का नाम डुड्डू है। मैं कानपुर में नहीं रहता था मैं 84 में अपनी मां के पास झांसी में रहकर पढ़ाई कर रहा था। बड़े भाई कानपुर में रहते थे जिनका 1991 में निधन हो चुका है। नाम के आगे न तो पिता का नाम  चार्जशीट में दर्ज है और न ही अभिलेखों में प्रथम नाम का अनिल उल्लेख है। इसके बाद भी पुलिस ने अनिल से शैक्षिक दस्तावेज आदि प्राप्त कर लिया था और जेल भेजते समय अनिल निगम उर्फ गुड्डू का उल्लेख किया है।

एसआईटी की इंस्पेक्टर जितेंद्र सिंह ने बिना जांच पड़ताल के उन्हें आरोपी बनाकर जेल भेज दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि सिख दंगों में एसआईटी मनमाने ढंग से लोगों को जेल भेज रही है। ऐसा ही एक मामला सीपी सिंह का बताया जाता है। इस नाम के दो व्यक्ति एक ही गली में रहते थे‌। एक का निधन हो चुका है जो जीवित मिला एसआईटी ने उसे जेल भेज दिया। ठीक इसी तरह से अनिल निगम के साथ भी हुआ। उनका घरेलू नाम डुड्डू है भाई का नाम गुड्डू था। चार्जशीट में कहीं भी नाम के साथ पिता का नाम दर्ज नहीं है और न ही प्रथम नाम अनिल दर्ज पाया गया। इस तरह कोई ऐसा साक्ष्य नहीं मिल पाया। जिससे प्रमाणित हो कि अनिल निगम ही सिख दंगे के आरोपी हैं।फिर भी उन्हें बांदा से बुलाकर जेल भेजा गया है।

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