बुंदेलखंड के लिए विशेष पैकज में करोडो का घपला, जांच ठंडे बस्ते में 

पांच साल पहले पहले जनहित याचिका पर हाईकोर्ट के आदेश से बुंदेलखंड पैकेज के तहत विभिन्न विभागों द्वारा कराए गए कार्याे की जांच हुई है। मुख्य तकनीकी परीक्षक मध्यप्रदेश द्वारा की गई जांच....

बुंदेलखंड के लिए विशेष पैकज में करोडो का घपला, जांच ठंडे बस्ते में 

छतरपुर.

पांच साल पहले पहले जनहित याचिका पर हाईकोर्ट के आदेश से बुंदेलखंड पैकेज के तहत विभिन्न विभागों द्वारा कराए गए कार्याे की जांच हुई है। मुख्य तकनीकी परीक्षक मध्यप्रदेश द्वारा की गई जांच में बुंदेलखंड पैकेज में हुए कार्याे में अनियमितताएं पाई गईं। बुंदेलखंड के लिए विशेष पैकज से मध्यप्रदेश के 6 जिलो को 3860 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए थे। जिनमें से मध्यप्रदेश शासन द्वारा 2801 करोड 02 लाख खर्च किए गए। छतरपुर जिले में पहले चरण के काम में 918.22 करोड़ रुपए खर्च हुए। जांच बुंदेलखण्ड पैकेज से कराए गए 6 जिलों में कार्याे की रेण्डम आधार पर की गई है। जिसमें भारी अनियमितता मिली, लेकिन कार्रवाई के प्रस्ताव के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

जल संसाधन विभाग 

छतरपुर जिले में दिदौनिया जलाशय से 375.90 लाख रुपए की लागत से नहरो का निमार्ण किया गया, जांच में पाया गया कि, पुलियों में पाइप के अपस्ट्रीम एवं डाउन स्ट्रीम में सिल्ट जमा होने से नहर में डिजाइन डिस्चार्ज के अनुसार पानी प्रवाहित करने में अवरोध उत्पन्न हो रहा है। वहीं, 3136.10 लाख रुपए से रनगुंवा बांध की नहरो का लाइनिंग कार्य में नहर के सर्विस रोड़ के टॉप लेवल को मेन्टेन कर लिए जाने के बाद सर्विस रोड पर डब्लूबीएम रोड निर्माण के दौरान पुनः मिट्टी डालना दर्शाकर भुगतान कर दिया गया। इसी तरह से बरियापुर बायी तट में 545.90 करोड़ रुपए से मुख्य नहर का 49 किलोमीटर तक सीसी लाइनिंग निर्माण कार्य की जांच चलित प्रयोग शाला द्वारा की जाने पर सीसी लाइनिंग की स्ट्रेंग्थ निर्धारित मापदण्ड से कम पाई और लाइनिंग कार्य में दरारें भी पाई गई। इसी तरह सिंहपुर बैराज योजना में 260.63 करोड़ रुपए से मध्यम योजना की जांच में पाया कि शासन की बिना अनुमति के 1.15 करोड का भुगतान किया गया। वहीं, 802.03 लाख रुपए की खिरिया बुजुर्ग तालाब योजना तहसील बक्स्वाहा की जांच में वास्तविक सिंचाई न होने की शिकायत सही पाई गई।

वन विभाग 

वन विभाग ने 180.37 करोड़ रुपए की राशि से पैकेज के तहत 6 जिलों में कार्य किए गए। मुख्य तकनीकि परीक्षक जांच में पाया गया कि, छतरपुर जिले में बड़ामलहरा एवं बक्स्वाहा विकासखण्ड में बुन्देलखण्ड पैकेज के अंतर्गत कराए गए कार्याे में नवीन तालाब निर्माण में किए गए पिचिंग कार्य में निधारित गुणवत्ता का पत्थर नहीं लगाया गया, सामग्री क्रय की प्रक्रिया त्रटिपूर्ण रही। कक्ष पी-82 में भुगतान किए गए व्हाउचर्स क्रमांक एम-179 20 फरवरी 2012 में मजदूरों के हस्ताक्षर तो है, लेकिन बिना राशि इन्द्राज किए श्रमिकों के हस्ताक्षर कराए गए, जिसकी लागत 479981 रुपए हैं। इसी कक्ष में जेसीबी द्वारा कराए गए कार्याे का भुगतान बिना जेसीबी नंबर पर किया गया है। वहीं, कक्ष पी.202 में निर्मित नवीन तालाब निर्माण में रेत परिवहन हेतु ट्रक नंबर एम.पी.15 जी1732 का उपयोग कर भुगतान किया गया, व्हाउचर क्रमांक बी.एम्स/91 दिनांक 27 जनवरी 2012, आरटीओ की बेब साइट से उक्त वाहन का प्रकार जीप के नाम पर दर्ज होना पाया गया, जिस पर कुल व्यय 31149 किया।कक्ष पी-50 में नवीन तालाबके निर्माण कार्य में ट्रक एम.पी.08/2799 का उपयोग किया जाना दर्शाया गया हैं। जबकि आरटीओ की बेबसाइट पर उक्त वाहन नंबर स्कूटर का है। वहीं, कक्ष पी-107 परलोकेशन पिट क्रमांक 8 में भौतिक सत्यापन में खुदाई की दर्ज मात्रा से प्राप्त मात्रा 30 प्रतिशत ही पाई गई।

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लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग 
299.51 करोड़ रुपए की राशि से 6 जिलों में कराए गए कार्याे की जांच में पाया गया कि, छतरपुर जिले में रेण्डम आधार पर प्रत्येक विकासखण्ड की दो योजनाओं का परीक्षण किया गया। छतरपुर जिले में 10 ग्रामों में नलजल योजना के तहत पाइप लाइन निर्धारित गुणवत्ता की नहीं डाली गई। जांच रिपोर्ट में उल्लेख है कि अफसरों ने बुंदेलखंड पैकेज के तहत योजनाएं तैयार करने में अपनी जिम्मेदारी का ईमानदारी से निर्वहन नहीं किया। यही कारण है कि 1287 में से 997 नलजल योजनाएं पूर्णतरू व्यर्थ रही। जिसमें से छतरपुर जिले में 150 योजनाओं का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। जांच में पाया गया कि, अफसरों ने न तो सामान की गुणवत्ता परखी, न भौतिक सत्यापन किया, न साइट विजिट की, न ही पाइन लाइन बिजली पंपों की गुणवत्ता परखी।

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कृषि विभाग
कृषि विभाग को बुन्देलखण्ड पैकेज से 614.36 करोड़ की राशि दी गई थी , जिसमें वेयर हाउस, मंड़ी निर्माण, उद्यानिकी, डीजल पम्प वितरण, आदि कार्य कराये जाने थे। उक्त संबंध में मुख्य तकनीकि परीक्षक द्वारा आंशिक जांच कराई गई, जिसमें पाया गया कि नौगांव में कार्यालय भवन, मैनेजर आवास गृह, चौकीदार भवन, वाटर पोर्श और बड़ामलहरा में केन्टीन,कृषक सूचना केन्द्र, पम्प हाउस का हस्तांतरण नहीं किए जाने से संरचनाएं क्षतिग्रस्त हो रही हैं। इसके अलावा छतरपुर जिले में माइको एरीगेशन योजना में बांटे गए स्प्रिंकलर एवं ड्रिप सेट की कुल संख्या 1059 के विरूद्ध दो चरणों में किए गए सत्यापन में 339 हितग्रहियों का मौके पर भौतिक सत्यापन किया गया ,जिसमें कुल 101 कृषकों को कम सामान प्राप्त होना तथा 40 कृषकों को बिल्कुल भी सामान प्राप्त नहीं होना पाया गया। कलेक्टर द्वारा की गई जांच विवरण के आधार पर उप समिति द्वारा किए गए आंकलन में छतरपुर जिले के अंतर्गत हेराफेरी की संभावित राशि रुपए 65.24 लाख है।


ग्रामीण विकास विभाग 


छतरपुर जिले के ग्राम पतरा में श्यामरी नदी पर स्टाप डेम, कुटिया बेरी घाट स्टाप डेम का निर्माण विकासखण्ड राजनगर, बगमरिया घाट इमली चौक कुटी स्टाप डेम विकासखण्ड बिजावार, खजरी घाट दौरियां स्टाप डेम नौगांव विकासखण्ड, बिलरिया घाट पंचमनगर स्टाप डेम लवकुशनगर, गंगायच व विक्रमपुर स्टाम डेम राजनगर की जांच की गई। जांच में निर्माण में अनियमतिता पाई गई।


पशुपालन व उद्यानिकी 
पैकेज के तहत 151.27 करोड़ रुपए की राशि से 6 जिलो में बकरी पालन, मुर्रा सांड और डेयरियां के विकास के लिए कार्य किया गया। डबल संख्या में बकरी इकाई में कमजोर बकरियां प्रदाय के कारण भारी संख्या में बकरियां की मृत्यु होना पाया गया। छतरपुर जिले 15.44 प्रतिशत मृत्यु दर पाई गई। इसके साथ ही मुर्रा वितरण में छतरपुर जिले में 15.88 प्रतिशत मृत्यु दर पाई गई। जांच रिपोर्ट के अनुसार निर्धारित प्रतिशत से अधिक मृत्यु होना इस बात का घोतक है कि ठेकेदारों द्वारा हितग्रहियों को स्वस्थ मुर्रा एवं बकरियां प्रदान नहीं की गई । योजना अनुसार राशि को सीधे हितग्राहियों के खाते में जमा किया जाना था, लेकिन छतरपुर जिले में अनुदान राशि 8371665 रुपए उपसंचालक पशु चिकित्सा सेवाएं छतरपुर द्वारा हितग्राहियों के खाते में जमा न करते हुए पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञों के निजी खातों में जमा की गई, जो कि एक गंभीर आर्थिक अनियमितता है।

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