नदियों व पर्यावरण संरक्षण के लिए पदयात्रा कर रहीं शिप्रा

कामदगिरि मंदिर के कार्यालय में संत मदनगोपाल दास के साथ रविवार को पत्रकारों से बातचीत में वाटर वुमेन शिप्रा पाठक...

नदियों व पर्यावरण संरक्षण के लिए पदयात्रा कर रहीं शिप्रा

प्रभु श्रीराम की तपोस्थली पहुंची वाटर वुमन

रामेश्वर में पदयात्रा का होगा समापन 

चित्रकूट। कामदगिरि मंदिर के कार्यालय में संत मदनगोपाल दास के साथ रविवार को पत्रकारों से बातचीत में वाटर वुमेन शिप्रा पाठक ने कहा कि उनका किसी राजनैतिक दल से संबध नहीं है। वह सिर्फ नदियों व पर्यावरण संरक्षण के लिए पदयात्रा कर रहीं हैं। इसके पूर्व वह मानसरोवर व शिप्रा नदी उज्जैन तक की पदयात्रा कर लोगों को जागरूक कर चुकी हैं। 

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उन्होंने बताया कि अयोध्या की सरयू नदी तट से 27 नवंबर को शुरु हुई यह चार हजार किमी लंबी पदयात्रा यूपी, एमपी, उत्तराखंड, महाराष्ट्र होते हुए रामेश्वर जाकर समाप्त होगी। इस मार्ग को चुनने व यात्रा के उददेश्य के बारे में बताया कि यह पूरा मार्ग भगवान राम के रामायण काल से जुड़ा है। वह पूरे देश में पर्यावरण सरंक्षण का संदेश दे रहीं हैं। खुद सात साल के इस सफर में अब तक 12 लाख पौधों का रोपण कर चुकी हैं। इन पौधों की देखभाल भी कराई जाती है। पत्रकारों के सवाल पर कहा कि बचपन से ही जल संरक्षण का जुनून ही इस तरह की पदयात्रा के लिए प्रेरित करता रहा। हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। किसी सरकार पर निर्भरता से यह अभियान सफल नहीं होगा। मंदाकिनी नदी के प्रदूषण को लेकर कहा कि मानव स्पर्श स्थल पर इसमें गंदगी है। लोग जागरूक नहीं हो रहे हैं।

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अंधविश्वास व रूढवादिता से दूर हटकर काम करें। महिलाएं इसमें प्रमुख भूमिका निभा सकती हैं। हर नारी को भूलती जा रही भारतीय संस्कृति को ही अपना कर वीरांगनाओं को मॉडल बनाना चाहिए। माता जानकी सिर्फ श्रीराम के साथ चलने वाली महिला नहीं बल्कि वीरांगना हैं। उनके चरित्र से प्रेरणा लेनी चाहिए। हर कष्ट में उन्होंने सफलता पाई। इस मौके पर संत मदन गोपाल दास महाराज, वाटर वुमेन की मां मृदुला पाठक, पिता शैलेश पाठक, भाई अंकित पाठक व बहन साक्षी शर्मा मौजूद रहीं।

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