"मसालों की खेती से बुन्देलखण्ड वैश्विक बाजार पर जमा सकता है कब्जा"

बुन्देलखण्ड मे मसालों की खेती के लिये उपयुक्त जलवायु, मिट्टी के साथ-साथ बाजार भी सुलभ है। कृषि विश्वविद्यालय बांदा द्वारा..

"मसालों की खेती से बुन्देलखण्ड वैश्विक बाजार पर जमा सकता है कब्जा"

बुन्देलखण्ड मे मसालों की खेती के लिये उपयुक्त जलवायु, मिट्टी के साथ-साथ बाजार भी सुलभ है। कृषि विश्वविद्यालय बांदा द्वारा बुन्देलखण्ड परिक्षेत्र में मसालों की खेती को बढावा देने हेतु पिछले कई वर्षो से निरन्तर कार्य चल रहे है।मसाला में लहसुन, अदरक, हल्दी तथा मिर्च पैदाकर हम बुन्देलखण्ड में वैश्विक बाजार को आकर्षित कर सकते है।

यह बाते कृषि विश्वविद्यालय बांदा के कुलपति डाॅ. यू.एस. गौतम ने कृषि प्रसार विभाग, कृषि महाविद्यालय द्वारा ‘‘बुन्देलखण्ड क्षेत्र में मसाला वर्गीय फसलों के उत्पादन के मुद्दे एवं रणनितियां‘‘ आयोजित दो दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुये कही।

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उन्होने कहा कि वर्तमान कोरोना महामारी में पूरे विश्व ने भारतीय मसालों के महत्व को समझा है। विभिन्न मसालों की वजह से आज पूरी दुनिया हमारी तरफ देख रही है।

भारतीय मसालों में रोग प्रतिरोधी क्षमता अत्यधिक होने के कारण अन्र्तराष्ट्रीय बाजार में इसका महत्व एवं मांग दोनों बढ़ी है। 

यह कार्यशाला एकीकृत उद्यानिकी विकास मिशन के अन्तर्गत मसाला एवं सुपारी विकास निदेशालय कालीकट, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के वित्तीय सहयोग से आयोजित की।

कार्यशाला में आयोजन का मुख्य उद्देश्य एवं इसके परिदृश्य पर चर्चा करते हुये परियोजना के प्रधान अन्वेषक व कृषि प्रसार विभाग के विभागाध्यक्ष डा. भानु प्रकाश मिश्रा ने बताया कि बुन्देलखण्ड में मुख्य रूप से हल्दी, अदरक, धनियां, मेथी व औषधीय फसल तुलसी पर कार्य चल रहा है।

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डाॅ0 मिश्रा ने बताया कि इसी परियोजना अन्तर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र महोबा एवं ललितपुर में पान की खेती को बढावा देने हेतु पान बरेजा लगाया जा रहा है। अदरक में राइजोम गलन की समस्या प्रमुख बीमारी है।

इसके दृष्टिगत इस वर्ष वानिकी महाविद्यालय में एक लैब की स्थापना की जा रही है जिसमें इस बीमारी से छुटकारा पाने हेतु बीमारी रहित पौध किसानों के लिये तैयार किये जायेगे। 

कार्यक्रम में कृषि विश्वविद्यालय बांदा के कुलसचिव तथा अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय डा. जी.एस. पवांर ने कहा कि मसला में लहसुन, अदरक, हल्दी तथा मिर्च पैदाकर हम बुन्देलखण्ड में वैश्विक बाजार को आकर्षित कर सकते है।

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मुख्य वक्ता रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी के उद्यान विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डा. आर.के. शर्मा ने अपने व्याख्यान में बताया बुन्देलखण्ड में आर्गेनिक मसालों का क्षेत्र हो सकता है जिसका बाजारा मूल्य किसनों को अच्छा प्राप्त हो सकता है। 

कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र झांसी, महोबा जालौन हमीरपुर तथा बांदा के प्रगतिशील मसाला कृषक के साथ-साथ सह निदेशक प्रसार डा. नरेन्द्र सिंह, सह निदेशक शोध डा. ए.सी. मिश्रा, डा. मुकुल कुमार, डा. वी.के. ंिसह, डा. एस.के. सिंह, डा. संजीव कुमार, डा. आर.के. सिंह, डा. जे. पाठक, डा. श्याम सिंह, डा. सुभाषचन्द्र सिंह, डा. प्रशांत सिंह, डा. बृजेश पाण्डेय, डा. अमित कनौजिया, डा. अचर्ना दीक्षित, डा. अजुर्नप्रसाद, डा. बी.के0. गुप्ता, डा. पंकज ओझा व अन्य प्राध्यापक छात्र एवं छात्रायें उपस्थित रहे।

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