प्रभु चरणरज पाकर पिघलीं शिलाएं

प्रभु चरणरज पाकर पिघलीं शिलाएं

बुन्देलखण्ड की धरती पर मौजूद हैं जगह- जगह प्रभु श्री राम व मां जानकी के चरण चिंह आदि काल से चित्त को कूटस्थ (मन को शांत )करने का स्थान चित्रकूट अद्वितीय है। त्रिदेवों के साथ ही तमाम देवता और ऋषियों ने इस धरती पर अपने पग रखे, पर आज तक धरती मां ने किसी के भी चरण चिंह को सुरक्षित नहीं रखे। लेकिन मां जानकी और भगवान श्रीराम के साथ ही श्री भरत, लक्ष्मण, शत्रुघन, माता कौशिल्या, माता सुमित्रा, माता कैकेई, विदेहराज जनक, माता सुनयना, ऋषि वशिष्ठ सहित अन्य मिथिलावासियों के चरणों के चिंह आज भी चित्रकूट में सुरक्षित हैं। इसका कारण सीधे तौर पर माता जानकी से जोड़ा जा सकता है। माता जानकी धरती मां की संतान है, और वह चाहती हैं कि उनकी बेटी व जामाता श्री राम के चरण चिंह सदियों तक सुरक्षित रहें इसलिए ऐसा हो रहा है।

रामवन गमन पथ का अन्वेषण कर दुनिया के सामने लाने वाले डा0 राम अवतार शर्मा सीधे तौर कहते हैं कि चित्रकूट वह स्थान है जहां पर श्री राम जी ने अपने वनवास काल का सर्वाधिक समय व्यतीत किया। भगवान के साथ माता जानकी व अन्य तत्कालीन लोगों के चरण चिंह यहा ंपर भारी मात्रा में मौजूद हैं। वैसे तो उनके चरण चिंह अन्य तपस्थलियों में मिलते है,ं लेकिन चित्रकूट में सर्वाधिक व सुस्पष्ट मात्रा में हैं। 
श्री शर्मा ने चित्रकूट में भरतमिलाप मंदिर के पास ही एक शोधपरक प्रदर्शनी बनाई है। जो बताती है कि श्री राम ने अपने जीवन में अयोध्या से जनकपुर और अयोध्या से श्रीलंका की यात्रा की। इस प्रदर्शनी में दोनों यात्राओं के उन स्थानों का वर्णन किया गया है, जहां -जहां पर प्रभु श्री राम गए। वनवास काल में सर्वाधिक समय उन्होंने चित्रकूट परिक्षेत्र में बिताया। प्रयागराज में भारद्वाज मुनि के द्वारा चित्रकूट का परिचय व रहने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त स्थान जानकर वह यहां पर वाल्मीकि आश्रम होते हुए आए। चित्रकूट आकर सबसे पहले रामशैया में रूके। यहां पर आज भी विशाल शिला में उनके व मां जानकी के विश्राम करने के स्थान के साथ धनुष को रखने के स्थान के दर्शन होते हैं। इसके बाद उन्होंने चित्रकूट के क्षेत्रपाल महाराजाधिराज स्वामी मत्तगयेन्द्रनाथ जी महराज से अनुमति लेकर श्री कामदगिरि में पर्णकुटी का निर्माण किया। भले ही उन्होंने अपना मुख्य निवास कामदगिरि में बनाया, पर वह 84 कोस में फैले चित्रकूट परिक्षेत्र में विचरण कर ऋषि मुनियों से मिलते रहे। कामदगिरि में मौजूद भरत मिलाप मंदिर में श्री राम श्री भरत सहित अन्य भाईयों, माताओं व विदेहराज के चरण चिंह आज भी सुरक्षित हैं। इन शिलाओं की कई बार कार्बन डेटिंग भी हो चुकी है। लेकिन हर बार इसे प्रमाणिक और सही माना गया है। भरप मिलाप मंदिर के महंत राम मनोहरदास कहते हैं कि यह उनके लिए सौभाग्य की बात है, कि रोज ही उन्हें सुबह और शाम को भगवान राम के साथ ही सभी भाईयों व माताओं के साथ ऋषि वशिष्ठ की चरणरज लेने का सौभाग्य प्राप्त होता है।

भगवान श्री राम के चरणचिह्न मिलने के स्थान प्रयागराज त्रिवेणी स्थित यमुना नदी के इस पार कुछ हिस्से जिला कौशाम्बी और प्रयागराज जनपद व बांदा में हैं तथा कुछ मध्य प्रदेश के सतना और पन्ना जिला में स्थित हैं।

यहां-यहां पर पड़े श्री राम के चरण


1 यमुना घाट (जलालपुर, कौशांबी, उ.प्र.)
2 सीता रसोई (जसरा बाजार, यमुना, प्रयागराज, उ.प्र.)
3 शिव मंदिर, ऋषियन (जंगल) (यमुना तट, प्रयागराज, उ.प्र.)
4 सीता रसोई (जनवां, प्रयागराज)
5 हनुमान मंदिर (मुरका, यमुना तट, प्रयागराज)
6 हनुमान मंदिर, मुरका, यमुना तट, जिला चित्रकूट
7 दशरथ कुंड (लौरी गांव ) रामनगर
8 कुमार द्वय तालाब, रामनगर
9 वाल्मीकि आश्रम, लालापुर, चित्रकूट
10 कर्वी
11 तरौहा
12 रामशैया
13 परिक्रमा मार्ग (राम बाजार खोही गांव)
14 कामदगिरि (खोही गांव)
15 रामघाट,राघव प्रयाग घाट,भरत घाट
16 वन देवी , सीता रसोई ,कोटि तीर्थ
17 देवांगना,पंपापुर
18 हनुमान धारा 
19 मड़फा आश्रम ,मड़फा पंचमुखी महादेव
20 भरतकूप
21 भरत मिलाप22 चरण पादुका (जिला सतना, म.प्र.)
23 जानकी कुंड, प्रमोद वन, श्रंगार वन (जिला सतना, म.प्र.)
24 स्फटिक शिला (जिला सतना, म.प्र.)
25 गुप्त गोदावरी (जिला सतना, म.प्र.)
26ण् महर्षि अत्रि-अनसूया आश्रम (जिला सतना, म.प्र.)
27ण् अमरावती, ग्राम जमुनीहाई (जिला चित्रकूट, उ.प्र.)
28ण् विराधकुंड, ग्राम जमुनिहाई (जिला चित्रकूट, उ.प्र.)
29ण् पुष्कर्णी, टिकरिया (जिला चित्रकूट, उ.प्र.)
30ण् मार्कंडेय आश्रम (मारकुंडी) (जिला चित्रकूट, उ.प्र.)
31ण् सरभंग आश्रम, सरभंगा (जिला सतना, म.प्र.)
32ण् हर्ष मुनि आश्रम, सरभंगा (जिला सतना, म.प्र.)
33ण् सुतीक्षण आश्रम ग्राम सारंगधर (जिला सतना, म.प्र.) 
34ण् सिद्धा पहाड़, ग्राम सिद्धा (जिला सतना, म.प्र.)
35ण् सीता रसोई, रक्सेलवा (जिला सतना, म.प्र.)
36ण् बृहस्पति कुंड, पहाड़ी खेड़ा, बाघिन का जंगल (जिला पन्ना, म.प्र.)
37ण् सुतीक्षण आश्रम गांव सारंगधर (जिला पन्ना, म.प्र.)
38ण् अग्निजिह्वा आश्रम ,बड़े गांव, मीढ़ासन (जिला पन्ना, म.प्र.)
39ण् अगस्त मुनि आश्रम, सलेहा (जिला पन्ना, म.प्र.)
40ण् राम जानकी मंदिर, मैहर (जिला सतना, म.प्र.)

-अशोक त्रिपाठी

(लेखक चित्रकूट जनपद के ग्राम खोही के पूर्व प्रधान हैं)

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