बुन्देलखण्ड के किसानों को खुशहाल बनायेगा सागौन

वीरभूमि बुन्देलखण्ड के सातों जनपदों में किसानों ने आत्मनिर्भर बनने को सागौन के पेड़ लगाये हैं, इससे अगले कुछ सालों में ही हर एक किसान को..

बुन्देलखण्ड के किसानों को खुशहाल बनायेगा सागौन
सागौन

  • बुन्देलखण्ड के 21 गांवों में आत्मनिर्भर बनेंगे किसान
वीरभूमि बुन्देलखण्ड के सातों जनपदों में किसानों ने आत्मनिर्भर बनने को सागौन के पेड़ लगाये हैं। इससे अगले कुछ सालों में ही हर एक किसान को कम से कम बीस लाख रुपये की आमदनी होगी। एक्रीसेट हैदराबाद के प्रधान वैज्ञानिक रमेश सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प को साकार करने के लिये यहां कई कदम उठाये हैं। इनकी तकनीकी सलाह पर ही 1 लाख से अधिक सागौन के पेड़ खेतों और मेड़ों में लगाये गये हैं।
  • एक्रीसेट संस्था की मदद से एक लाख से अधिक संख्या में लगाये गये सागौन के पौधे
दैवीय आपदाओं से बदहाल बुन्देलखण्ड में किसान बुरी तरह से टूट चुका है। सिंचाई और अन्य समस्याओं से किसान अपनी पूरी जमीन पर खेतीबाड़ी भी नहीं कर पाता है। ऐसे में उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिये एक्रीसेट हैदराबाद के प्रधान वैज्ञानिक रमेश सिंह व समर्थ फाउन्डेशन ने यहां कई कदम उठाये हैं।
 उन्होंने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत करते हुये बताया कि सागौन के पेड़ बुन्देलखण्ड के किसानों की तकदीर बदलकर रख देंगे। क्योंकि कुछ सालों में ही सागौन के पेड़ से तैयार हो जायेंगे। उन्होंने बताया कि किसान आत्मनिर्भर तो बनेगा ही साथ ही इस पूरे क्षेत्र का पर्यावरण भी संरक्षित होगा। एक्रीसेट के बुन्देलखंड टीम लीडर डा.कौशल गर्ग ने बताया कि इस पिछड़े क्षेत्र में किसान आर्थिक रूप से कैसे तरक्की करे इसके लिये लगातार कार्य किये जा रहे हैं। आने वाले कुछ सालों में यहां के किसान आत्मनिर्भर जरूर बनेंगे।
  • पांच से आठ सालों में प्रत्येक किसान को बीस लाख रुपये तक की होगी आमदनी
खेतों में मेड़ और पेड़ से किसानों की समस्यायें होगी दूर
एक्रीसेट के प्रधान वैज्ञानिक रमेश सिंह ने बताया कि खेतों में मेड़बंधी कराकर उसमें पेड़ लगाने से किसानों की तमाम समस्यायें दूर होगी। पूरे क्षेत्र में रिसर्च में देखा गया है कि ज्यादातर इलाकों में खेत खाली रहते है। खेत में मेड़ और पेड़ जरूर होने चाहिये। किसान को खेतों में मेड़बंधी कराकर सागौन के पेड़ लगाने चाहिये इससे आर्थिक फायदा होने के साथ-साथ पानी का संचय होता है। एक किसान अपने खेत और मेड़ पर सौ पेड़ सागौन के लगायेंगे तो उसे कुछ सालों में ही कम से कम बीस लाख रुपये की आमदनी होगी।

सागौन की खेती | सागौन कैसे होती है | सागौन के फायदे

 
सागौन के पेड़ से हजारों किसानों की बदलेगी तकदीर 
एक्रीसेट हैदराबाद के प्रधान वैज्ञानिक रमेश सिंह ने बताया कि जालौन में 200 किसानों ने 11 हजार सागौन के पेड़ लगाये है वहीं ललितपुर में डेढ़ सौ किसानों ने 9 हजार, झांसी में 300 किसानों ने 12 हजार, बांदा में 250 किसानों ने 7 हजार, महोबा में 250 किसानों ने 13 हजार, चित्रकूट में 150 किसानों ने 17 हजार व हमीरपुर में 32 किसानों ने 5 हजार सागौन के पेड़ लगाये है। उन्होंने बताया कि संस्था की ओर से किसानों को मुफ्त पेड़ दिये गये है। खेतों में भी मेड़बंधी के कार्य भी संस्था की तरफ से कराये गये है।
बुन्देलखंड के 21 गांवों में आत्मनिर्भर बनेंगे किसान
एक्रीसेट हैदराबाद के बुन्देलखंड टीम लीडर डा.कौशल गर्ग ने बताया कि बुन्देलखंड के सभी सातों जनपदों के 21 गांवों में किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिये किसान मित्र कार्यक्रम चलाये जा रहे है। जिसमें खेतों में मेड़बंधी, बागवानी और सागौन के पेड़ लगाये जा रहे है।
  • प्रधानमंत्री मोदी के संकल्प को साकार करने को संस्थायें जमीन पर आयीं
हमीरपुर के सुमेरपुर ब्लाक में तीन गांवों में ये कार्यक्रम संचालित किये जा रहे है। यहां दो दर्जन से अधिक किसानों ने अपने खेतों और मेड़ों पर सागौन के पेड़ लगाये है। अगले कुछ सालों में किसानों को इन पेड़ों से लाखों रुपये का मुनाफा होगा।  
बरसात पानी संचय करने को खेतों में बनाई गयी मेड़बंधी 
इन्टरनेशनल क्राप रिसर्च इंस्टीट्यूट फार द सेमीएरिड एंड ट्रोपिक्स (एक्रीसेट) के बुन्देलखंड टीम लीडर डा.कौशल गर्ग ने बताया कि बरसात का पानी रोकने और मिट्टी के बहाव को रोकने के लिये किसानों के खेतों में मेड़बंधी करायी गयी है। मेड़ों में भी सागौन के पेड़ लगाये गये है।
समर्थ फाउन्डेशन हमीरपुर के सचिव देवेन्द्र गांधी ने बताया कि सुमेरपुर क्षेत्र के तीन गांवों में किसानों के खेतों में मेड़बंधी कराकर 5340 सागौन के पेड़ लगाये गये है। पेड़ भी तेजी से बड़े हो रहे है जिसे देख किसान बहुत खुश भी है।
हिन्दुस्थान समाचार

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