अधिवक्ता व उसके परिजनों की बेरहमी से पिटाई करना पुलिस को पड़ा महंगा, 11 पुलिसकर्मियों के खिलाफ..

पुलिसकर्मियों पर हुए हमले के बाद बदले की भावना से पुलिसकर्मियों ने एक अधिवक्ता के घर में घुसकर जमकर तोड़फोड़...

अधिवक्ता व उसके परिजनों की बेरहमी से पिटाई करना पुलिस को पड़ा महंगा, 11 पुलिसकर्मियों के खिलाफ..

बांदा,

पुलिसकर्मियों पर हुए हमले के बाद बदले की भावना से पुलिसकर्मियों ने एक अधिवक्ता के घर में घुसकर जमकर तोड़फोड़ और लूटपाट की साथ ही घर के सभी सदस्यों महिलाओं, बच्चों को गिरफ्तार कर उनकी जमकर पिटाई की। पिटाई के दौरान यातनाएं भी दी। इसके बाद अधिवक्ता व दो बेटों को बांदा स्थित घर से गिरफ्तार किया गया। इस घटना के विरोध में जिला मुख्यालय में अधिवक्ताओं ने हड़ताल कर दी। इस मामले में विशेष न्यायधीश नुपूर ने सीओ बबेरू, थाना प्रभारी, चौकी इंचार्ज समेत 11 नामजद और 14-15 अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना के आदेश दिए हैं।

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बताते चलें कि 13 मई उत्तर प्रदेश के जनपद बांदा में बबेरू कोतवाली अंतर्गत पडरी गांव में रहने वाले अधिवक्ता केशव प्रसाद यादव के घर पुलिस की टीम पहुंची और एक नोटिस तामील कराने की कोशिश की। नोटिस तामील कराने गए थे दोनों सिपाही सादी वर्दी में थे। बृजेश यादव सलमान खान नामक यह दोनों सिपाही केशव प्रसाद के बेटे जोगेंद्र से पिता के बारे में पूछताछ कर रहे थे और तभी विवाद हो गया। जिससे दोनों सिपाही जोगेंद्र को घसीट कर जंगल की तरफ ले जाने लगे। तब बेटी प्रभा भाई को बचाने के लिए आई तो पुलिसकर्मियों ने उसके साथ अभद्रता की। शोर मचाने पर आसपास के लोग आ गए और दोनों पक्षों से मारपीट होने लगी। तब तक इन पुलिसकर्मियों ने फोन करके थाने से पुलिस फोर्स बुला ली। तब ग्रामीणों को पता चला कि जिनसे झगड़ा हुआ वह पुलिसकर्मी हैं।

इस बीच मौके पर सिमौनी चौकी प्रभारी दिलीप कुमार मिश्रा समेत दो दर्जन पुलिसकर्मी पहुंचे और केशव प्रसाद यादव के घर में घुसकर जमकर तांडव किया। तोड़फोड़ की और लूटपाट भी की। अधिवक्ता की पत्नी सावित्री, बहु सविता व बेटियां शिखा व प्रभा को बंधक बनाकर मारपीट की व अश्लील हरकतें की। अधिवक्ता द्वारा दी गई तहरीर में बताया गया है कि सिपाही दिलीप कुमार ने बक्से का ताला तोड़कर नगद 50 हजार व जेवरात निकालकर बृजेश व सलमान को दे दिया। गर्भवती बहू सविता ने जब इनका विरोध किया तो दिलीप ने उसके पेट पर लात मार दी। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई।

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बाद में पुलिसकर्मी सभी को थाने ले गए और उसी दिन बांदा से अधिवक्ता के मकान में पहुंचकर दिलीप मिश्रा, बृजेश सलमान व 4-5 अन्य पुलिसकर्मियों ने दोनों बेटों व अधिवक्ता को पकड़ लिया और इन्हें भी बबेरू थाने ले गए। जहां सीओ बबेरू, प्रभारी निरीक्षक बबेरू के निर्देश पर दिलीप मिश्रा, बृजेश, सलमान और सुखबीर व प्रवेश यादव सहित 4-5 अन्य पुलिसकर्मियों तथा महिला कांस्टेबल शिवानी, कल्पना आराधना ने सब के साथ बेरहमी से मारपीट की। पुलिस ने इन्हें लाठी-डंडों से पीटा। इस घटना के विरोध में वकीलों ने हड़ताल शुरू कर दी थी। हालांकि जब सभी आरोपियों को पुलिस न्यायालय में पेश करने लाई तब वकीलों की मांग पर मेडिकल बोर्ड बनाकर उनका मेडिकल कराया गया। जिसमें महिलाओं बच्चों और अधिवक्ता के शरीर में अनेक चोट के निशान पाए गए।

इस पर न्यायालय ने पूरे प्रकरण की जांच कर पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके बाद भी पुलिस ने इस पर कोई एक्शन नहीं लिया इस दौरान अधिवक्ताओं की हड़ताल एक सप्ताह से जारी रही। शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश नुपूर ने मामले की सुनवाई करते हुए 11 पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए। इस आदेश के शनिवार को अधिवक्ताओं ने अपनी हड़ताल समाप्त कर दी है।

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