अपनी अकर्मण्यता की ठीकरा विधायक पर फोड़ने को बुलाई प्रेस कांफ्रेंस क्या ड्रामेबाजी थी?

बांदा नगर पालिका को पांच साल पूरे होने को हैं, और कुछ समय बाद पुनः चुनाव की घोषणा होगी। परन्तु इन बीते पांच सालों में नगर पालिका...

अपनी अकर्मण्यता की ठीकरा विधायक पर फोड़ने को बुलाई प्रेस कांफ्रेंस क्या ड्रामेबाजी थी?
फाइल फोटो

बांदा नगर पालिका को पांच साल पूरे होने को हैं, और कुछ समय बाद पुनः चुनाव की घोषणा होगी। परन्तु इन बीते पांच सालों में नगर पालिका को पहचान मिली है, आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति से। पूरे पांच साल विकास कार्य की बाट जोहते बांदा के नगरवासी अपने गुस्से का ठीकरा चुनाव में न फोड़ दें तो इसे भांपकर राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी बन चुके सपाई नेता मोहन साहू ने प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर अपनी नाकामियों को सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी के सर मढ़ने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी

तो आईये आपको बताते हैं कि बांदा नगर पालिका परिषद के सभागार में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में नगर पालिका चेयरमैन मोहन साहू ने बांदा सदर विधायक और उनके प्रतिनिधि के बारे में क्या कहा।

नगर पालिका परिषद बांदा के चेयरमैन मोहन साहू ने सदर विधायक प्रकाश को द्विवेदी को चुनौती देते हुए कहा, ”उन्होंने जनहित के कार्यों को मेरे व्यक्तिगत हितों से जोड़ने का आरोप लगाया है। वह अपने आरोपों को साबित करने के लिए उच्च स्तरीय जांच करा लें, अगर मैं गलत साबित होता हूं तो मेरे खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज कराएं, अन्यथा जनहित के कार्यों में अड़ंगा लगाना बंद करें। जनता ने भारी मतों से जिता कर विधायक बनाया है। अब जनता की पीठ पर छुरा भोंकने का काम न करें।“

मोहन साहू ने आरोप लगाया कि नगर पालिका के 15वें वित्त के विकास कार्यों के अंतर्गत वार्ड नंबर 1 से लेकर 31 वार्डों के 36 निर्माण कार्यों को अनुमोदित किए जाने से पहले जिलाधिकारी ने तीन सदस्यीय टीम से जांच कराई थी और इसके बाद 24 अगस्त 2022 को इन कार्यों को अनुमोदित किया था। इसके लिए 1 सितंबर को ई-टेंडर अपलोड किए गए, जिसकी निविदा प्राप्ति की तिथि 1 सितंबर से 23 सितंबर को प्रातः 9.30 बजे तक थी। उसी तिथि को उक्त निविदा खुलने का समय 10 से 5.30 बजे निर्धारित किया गया था। परंतु विधायक द्वारा नगरपालिका कर्मचारियों को धमकी दी गई, जिससे नगरपालिका कर्मचारियों ने टेंडर से संबंधित कारवाई पूरी नहीं की। उन्होंने कहा कि विधायक के मोबाइल की जांच कराई जाए, जिससे स्पष्ट हो जाएगा कि उन्होंने नगरपालिका कर्मचारियों को धमकी दी थी या नहीं।

मोहन साहू ने बताया, ”विधायक द्वारा अनुमोदित किए गए कार्यों को मेरे व्यक्तिगत हितों से जोड़ा गया है। इन्हें अनुपयोगी बताकर टेंडर प्रक्रिया में अड़ंगा लगाने की कोशिश की गई। इसमें भाजपा सभासदों की भी उपेक्षा की गई है। शहर में अधिकांश वार्डों में विकास कार्य हो चुके हैं, जबकि जो नए वार्ड जोड़े गए हैं, उनमें विकास कार्य नहीं किए हैं। जहां कार्य कराए जाने की जरूरत है। कई वार्ड ऐसे हैं, जहां बरसात में पानी भर जाता है, बच्चे स्कूल तक नहीं जा पाते हैं। ऐसी स्थिति में वहां पर सड़क बनाने की आवश्यकता है। इन वार्ड से जुड़े सभासदों ने प्रेस वार्ता के दौरान अपने वार्ड की खस्ताहाल स्थिति के बारे में जानकारी दी। 

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एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भाजपा सभासद नीरज त्रिपाठी का कार्य भी इस अनुमोदित कार्य में शामिल है। इसके अलावा एक ऐसे भी भाजपा के सभासद हैं जिन्होंने बनी हुई सड़क पर सड़क बनवाने का काम किया है। उन्होंने भाजपा सभासद राकेश दद्दू का नाम लेते हुए कहा कि इनके द्वारा बनी हुई सड़क पर पुनः सड़क बनवाई गई है। जब उन्हांेने विरोध किया तो ईओ ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर यह सड़क नहीं बनी तो आपके कोई भुगतान नहीं किए जाएंगे।

मोहन साहू ने सदर विधायक के प्रतिनिधि रजत सेठ पर भी उंगली उठाई। कहा कि छावनी मोहल्ले में इन्होंने अपने मकान के भूतल में दो बैंक और प्रथम तल में होटल संचालित किए हुआ है। इनके द्वारा नगर पालिका परिषद में मात्र 3000 रुपये कर जमा कर भवनकर की चोरी की जा रही है। जबकि इसके संबंध में रामगोपाल गुप्त के द्वारा शिकायत भी की गई है। इसके बारे में संबंधित अधिकारियों से जांच कर कई बार जांच कर नियमानुसार भवन पर लगाने का अनुरोध किया है। किंतु सदर विधायक के हस्तक्षेप से नगर पालिका के कर्मचारी रजत सेठ के भवन पर व्यवसायिक कर अधिरोपित नहीं कर रहे हैं।  उन्होंने विधायक को भी कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि उन्होंने 5 साल पहले शहर में अपने मकान का निर्माण कराया है लेकिन अभी तक हाउस टैक्स जमा नहीं किया है। साथ ही अपने आवास के सामने बने नाले में पूरा कचरा डालकर जाम करने की कोशिश की जा रही है। जबकि यहां पर डस्टबिन रखने की बात कही गई थी। फिर भी स्वच्छ मिशन पर विधायक द्वारा रुचि नहीं ली जा रही हैं।

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विधायक पर बालू खनन में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि शासन की मंशा है कि विकास हर गरीब की दरवाजे तक पहुंचे सरकार की मनसा को ध्यान में रखते हुए नगर पालिका द्वारा विकास से अछूते वार्डाे में काम कराने की कोशिश की जा रही है। अगर जनता के कार्यों पर इसी तरह अड़ंगा लगाया गया और विकास कार्यों से संबंधित टेंडर पास नहीं हुए तो मैं पीड़ित जनता के साथ नगर पालिका से पैदल मार्च कर कलेक्ट्रेट जाऊंगा और प्रदर्शन करके जनता के हितों की लड़ाई लड़ूंगा।

दरअसल ये पूरी प्रेस कांफ्रेंस सिर्फ आगामी नगर पालिका चुनावों के परिप्रेक्ष्य में की गयी प्रतीत होती है, क्योंकि वर्तमान चेयरमैन मोहन साहू को अपनी बिगड़ी हुई छवि को सुधारने की जब जरूरत महसूस हुई तो उन्होंने पूरे पांच साल विकास कार्य न करा पाने का ठीकरा सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी पर फोड़ने में तनिक भी देरी नहीं की। बांदा की जनता जानती है कि पूरे पांच साल मोहन साहू सिर्फ सदर विधायक से लड़ते रहे। और अब जब चुनाव की बारी आई तो अपनी कॉलर को फिर से व्हाइट कराने को बेचैन मोहन साहू ऐड़ी चोटी का जोर लगाने को तुल गये।

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मोहन साहू के भ्रष्टाचार व वित्तीय अनियमिततताओ को लेकर नगर पालिका के 22 सभासदों ने शिकायती पत्र मुख्यमंत्री, मण्डलायुक्त, जिलाधिकारी, प्रमुख सचिव व सदर विधायक को दिया था। जिस पर शासन ने मोहन साहू के खिलाफ जांच कराकर दोषी होने पर पिछले वर्ष पावर सीज कर दिये थे। परन्तु पावर सीज करने की प्रक्रिया में कुछ कानूनी त्रुटियां होने के कारण हाईकोर्ट ने इनके पावर बहाल करते हुये शासन को फिर से जांच कर कार्यवाही करने के निर्देश भी दिये। मोहन साहू को लगातार नोटिसें भेजकर अपना पक्ष रखने के लिये शासन ने तकरीबन 12 बार बुलाया भेजा, पर चेयरमैन के द्वारा अपनी बीमारी का हवाला देकर मात्र 2 बार ही शासन के समक्ष उपस्थिति दर्ज कराई गयी, उसमें भी मोहन साहू तब गये जब उनका मामला सुनने के लिए प्रमुख सचिव ही उपस्थित नहीं थे। चूंकि मोहन साहू को अपने पावर सीज होने का पूरा आभास हो चुका है। इसी को लेकर वो तमाम तरह के हथकण्डे अपना कर शहर के लोगों का ध्यान अपनी नाकामियों से हटाना चाहते हैं। ये बात सदर विधायक प्रतिनिधि रजत सेठ ने बुन्देलखण्ड न्यूज से कही।

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उन्होने बताया कि अभी हाल ही में पद्रहवें वित्त के अन्तर्गत इनके द्वारा शहर के एक ही क्षेत्र मे अधिकतर निर्माण कार्य कराने का टेण्डर कराया गया है जोकि ज्यादातर इनके व इनके पार्टनरों के द्वारा की गयी प्लाटिंग की सड़कें है।

कुल मिलाकर कहा जाये तो आरोप प्रत्यारोप का दौर दोनों ओर से जारी है। बढ़ती चुनावी सरगर्मियों को देखते हुए बांदा की जनता के लिए ये और भी जरूरी हो जाता है कि वो दोनों पक्षों की बातों को सुने और स्वयं ही सही गलत का फैसला करे। वैसे भी राजनेताओं के लिए जनता को मूर्ख बनाना सबसे आसान काम होता है और वो कोई न कोई ड्रामेबाजी का हथकण्डा अपनाकर उल्लू सीधा कर ही लेते हैं।

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