इन्हें है 30 वर्षों से लकड़ी के स्वनिर्मित तिरंगा झंडे बांटने का जुनून, अब तक 33000 से अधिक बांट चुके

देश जहां इस समय आजादी के 75 वी वर्षगांठ पर अमृत महोत्सव मनाते हुए घर घर तिरंगा फहराने में जुटा है...

इन्हें है 30 वर्षों से लकड़ी के स्वनिर्मित तिरंगा झंडे बांटने का जुनून, अब तक 33000 से अधिक बांट चुके

देश जहां इस समय आजादी के 75 वी वर्षगांठ पर अमृत महोत्सव मनाते हुए घर घर तिरंगा फहराने में जुटा है। वही जनपद बांदा निवासी शोभाराम कश्यप पिछले 30 वर्षों से लोगों को अपने हाथों से बनाए हुए तिरंगा झंडे बांटकर देशभक्ति की अलख जगाने में जुटे है। जो हर साल 1100 तिरंगे बांटते थे लेकिन इस वर्ष आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर 3000 झंडे बांटने का लक्ष्य है। जिसे पूरा करने के लिए पूरी तत्परता से जुटे हुए हैं।

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बांदा शहर के कटरा मोहल्ले में रहने वाले 70 वर्षीय शोभाराम कश्यप तिरंगा झंडे बांटकर जिस तरह से देश भक्ति की अलख जगा रहे हैं। इसके बारे में पूछने पर बताते हैं कि 1992 में जब जिले में विकराल बाढ़ आई थी उस समय लोग बाढ़ से घिर गए थे। पानी में डूब रहे थे उन्हें बचाने के लिए कोई सामने नहीं आ रहा था। मैं मछुआरा समुदाय से ताल्लुक रखता हूं मुझसे यह देखा नहीं गया और तब मैंने अपने एक दर्जन साथियों के साथ मिलकर पानी में डूब रहे लोगों को बचाने में मदद की। इस दौरान मैंने देखा कि लोग बाढ़ पीड़ितों को बचाने में भी जातिवाद कर रहे थे। तभी मेरे मन में लोगों देशभक्ति की भावना जगाने की इच्छा हुई। मैंने अपने साथियों के साथ रात भर में बिना किसी भेदभाव के छाबीतालाब  और कंचन पुरवा में लोगों को बचाया था।

दूसरे दिन सवेरे तत्कालीन डीएम शंकर दत्त ओझा अधिकारियों के साथ पहुंचे तब लोगों ने उन्हे बताया  कि यहां के युवकों ने हमारे प्राण बचाए हैं तब डीएम ने मुझे बाढ़ का त्रासदी का संयोजक बनाया था और सम्मानित भी किया था। तभी मैंने लोगों में राष्ट्रवाद की भावना जगाने का संकल्प लिया और उसी वर्ष 15 अगस्त को 100 झंडे बनाकर स्कूली बच्चों में वितरित किया। जिससे लोगों में देशभक्ति की भावना जागृत हुई। इससे मेरा उत्साह बढ़ता गया मैंने हर साल 1100 तिरंगा बांटने का संकल्प लिया और यह सिलसिला 1992 से अब तक लगातार चल रहा है।

पहले यह अभियान स्कूल कॉलेजों व अन्य प्रतिष्ठानों तक सीमित रहा लेकिन अब मेरे यह तिरंगे झंडे शहर के हर सरकारी गैर सरकारी कार्यालय स्वयं सेवी संस्थाओं व्यापारियों के प्रतिष्ठानों में वितरित किए जा रहे हैं। अब तक मैंने 33,000 से अधिक तिरंगे झंडे बांटे हैं इस साल अमृत महोत्सव को देखते हुए 3000 तिरंगा झंडा बांटने का संकल्प है। अब तक लगभग 2400 सौ झंडे बांट चुका हूं। रोज सुबह से झंडे बनाने के लिए जुट जाता हूं और दोपहर बाद इन्हें वितरित करने का काम शुरू करता हूं। मेरे साथ कई सहयोगी भी हैं जो इस काम में लगे हुए हैं।

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